मोहिनी ने हौसलों से सफलता की उड़ान भरकर 2,000 से अधिक युवतियों को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर बनाया स्वावलंबी
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए शासन की ओर चलाई जाने वाली सारी योजनाएं ग्रामीण अंचल तक पहुंचने से पूर्व ही हो जाती है फुस्स
रायबरेली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण एवं महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी की जाती हैं किंतु विडंबना है कि महिलाओं के लिए चलाई जाने वाली सभी योजनाएं ग्रामीण अंचल तक पहुंचने से पूर्व ही फुस्स हो जाती हैं। मजे की बात है कि वीवीआईपी जनपद कहा जाने वाला रायबरेली सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है। जो एक महिला सांसद होने के साथ ही एक लम्बे समय तक कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। जिनके इशारे पर समूचे देश में योजनाओं का संचालन होता था। वहीं प्रियंका गांधी भी रायबरेली का नेतृत्व कर रही हैं। इसके बाद अधिकांश महिलाएं योग्यता होते हुए भी बेरोजगार है, शासन की ओर से चलाई जाने वाली सभी योजनाएं मात्र कागजों तक सिमट कर रह गई हैं। आलम यह है कि शासन की ओर से चलाई जाने वाली योजनाओं से ग्रामीण अंचल गीत महिलाएं एवं युवतियां कोसों दूर हैं। इसके बावजूद रायबरेली जनपद के महाराजगंज तहसील का एक ऐसा गांव है जहां मायके से विदा होकर ससुराल पहुंची विवाहिता ने अपनी ससुराल की माली हालत सुधारने के लिए पिछले 28 वर्षों से लगातार सिलाई कढ़ाई करके अपने पुत्र-पुत्रियों को उच्च शिक्षा दिलाने के साथ ही 2,000 से अधिक युवतियों को स्वावलंबी बनाने का सराहनीय कार्य किया है। युवतियां सिलाई कढ़ाई करके अपनी पढ़ाई के साथ साथ भाई, बहनों की पढ़ाई का खर्च उठाने के साथ ही अपने परिवार को आर्थिक सहयोग भी कर रही हैं।
हम बात कर रहे हैं रायबरेली जनपद के शिवगढ़ ब्लाक की रहने वाली मोहिनी साहू की जिन्होंने अपने मायके थुलवांसा में रहकर सिलाई कढ़ाई सीखी थी और 1985 में शिवगढ़ से सुशील कुमार से शादी होने के पश्चात ससुराल की माली हालत सुधारने के लिए किसी तरह एक एक रुपए जोड़कर 1990 में एक सिलाई मशीन खरीदी और पहली बार शिवगढ़ क्षेत्र में श्री सिलाई सेंटर डालकर एक किशोरी से सिलाई कढ़ाई के प्रशिक्षण की शुरुआत की। मोहिनी साहू ने बताया कि शुरुआती दौर में संकीर्ण मानसिकता के चलते लोग अपनी बेटियों को सिलाई कढ़ाई कराने के लिए बहुत कम तैयार होते थे किंतु धीरे धीरे सिलाई कढ़ाई सीखने वाली युवतियों की संख्या में एक – एक करके इजाफा होने लगा और देखते ही देखते 40 से 50 युवतियां सिलाई कढ़ाई सीखने के लिए आने लगी। हौसलों से सफलता की उड़ान भरने वाली मोहिनी साहू आज महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल बन गई मोहिनी साहू ने बताया की पिछले 28 सालों में उन्होंने 2,000 से अधिक युवतियों को सिलाई कढ़ाई सिखाकर स्वावलंबी बना चुकी हैं जिनमें से अधिकांश युवतियां सिलाई कढ़ाई करके अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं।
युवतियों को स्वावलंबी बनाने के लिए आंशिक शुल्क से कि प्रशिक्षण की शुरुआत
मोहिनी साहू बताती हैं कि शुरू से ही लड़कियों के प्रति उनका काफी स्नेह रहा है जिन्होंने युवतियों को स्वावलंबी बनाने के लिए काफी विषम परिस्थितियों में सिलाई कढ़ाई सेंटर की शुरुआत की थी जिसमें उन्हें पूर्ण सफलता मिली।
सिलाई कढ़ाई करके बच्चों को दिलाई उच्च शिक्षा
मोहिनी साहू दो पुत्र एवं एक पुत्री हैं जिन्होंने हौसलों से सफलता की उड़ान भरकर न केवल अपने पति सुनील कुमार को रोजगार कराने के साथ-साथ अपने दोनों पुत्रों एवं पुत्री को स्नातक तक की शिक्षा दिलाई । श्रीमती मोहिनी साहू का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकारी सहायता के लिए प्रयास भी किए किंतु उन्हें निराशा ही हाथ लगी पिछले 28 सालों से आज तक उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल सकी परिवार की जीविका चलाने के लिए आज भी वे पूरी निष्ठा से युवतियों को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण दे रही हैं।