राष्ट्रीय कवच के ब्यूरो चीफ को पुलिस ने पकड़ा, पत्रकार का आरोप पुलिस ने एक नहीं सुनी
सुल्तानपुर पुलिस का पत्रकारिता पर सितम
राष्ट्रीय कवच के ब्यूरो चीफ को पुलिस ने पकड़ा, पत्रकार का आरोप पुलिस ने एक नहीं सुनी
कोटेदार द्वारा भ्रष्टाचार की खबर कवर करने पहुंचे थे, अमरजीत पांडे भ्रष्टाचारियों ने उल्टे फसाया
राकेश प्रताप सिंह
संपादक
राष्ट्रीय कवच समाचार पत्र
सुल्तानपुर- उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर अत्याचार के मामले अकसर प्रकाश में आते रहते हैं इसी के चलते आज एक और अध्याय जुड़ गया राष्ट्रीय कवच समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ अमरजीत पांडे को फर्जी मुकदमों में फंसाकर (जैसा कि पीड़ित पत्रकार का आरोप है) की वह कोटेदार के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की सूचना पर खबर बनाने पहुंचे थे लेकिन वहां पर भ्रष्टाचारियों ने उन्हें घेर लिया उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया यही नहीं मारपीट की भी नौबत आ गई लेकिन किसी तरह ब्यूरो चीफ अमरजीत पांडे अपनी जान बचाकर वहां से निकले। लेकिन कल देर रात पीड़ित पत्रकार को पुलिस ने पकड़ लिया और उन्हें आज कोर्ट में पेश किया गया। ऐसे में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों के साथ यह सरकार जो मजाक कर रही है वह किसी से छुपा नहीं है सत्य का गला घोटने के लिए मनगढ़ंत आरोपों में फंसा कर उन्हें जेल में भेजा जा रहा है। मोतिगरपुर पुलिस पीड़ित पत्रकार की एक ना सुनने पर आमादा थी वह जल्द से जल्द पत्रकार को फसा देना चाहती थी उसके लिए स्थानीय थाना अध्यक्ष ने डीजीपी और मुख्यमंत्री के आदेशों को मानने से इनकार करते हुए पत्रकार को कल 5 बजे शाम को पकड़ लिया और वह इसमें कामयाब हुए।
लोकतंत्र में जब पत्रकारों को बेवजह फंसाया जाएगा तो सत्य कौन लिखेगा?
सवाल यह भी निकल कर आ रहा है यदि सुल्तानपुर पुलिस इतनी जल्दबाजी में थी मामले की जांच और परख करने को ताक पर रखते हुए पुलिस जल्दबाजी में ब्यूरो चीफ अमरजीत पांडे को पकड़कर करके ले गई तो सवाल यही उठता है आखिर लोकतंत्र में जब पत्रकारों की जगह ही नहीं बचेगी वह सच्चाई लिख नहीं पाएंगे तो एक सच्चे और स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना कैसे की जा सकेगी? मोतिगरपुर के काबिल पुलिस अधिकारी हाल ही में आए डीजीपी के उस आदेश को भी ताक पर रखने में जरा सा भी समय नहीं लिए उन्होंने फौरन मामले की सत्यता को परखे बगैर पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया।
भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध बोलना क्या गुनाह हो गया है?
जिस तरह से राष्ट्रीय कवच समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ अमरजीत पांडे को सुल्तानपुर पुलिस द्वारा पकड़ा गया उससे सवाल तो यही उठता है कि भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध बोलना और लिखना गुनाह हो गया है क्या पत्रकार अपनी कलम को चला नहीं सकता क्या पत्रकार पर भ्रष्टाचारी संगठित होकर अपनी खुराक बना लेंगे उन्हें गिरफ्तार कराया जाएगा सत्य का गला घुटने के लिए पुलिस भी उनका सहयोग करेगी।यदि ऐसी स्थितियां बन रही है तो उत्तर प्रदेश सरकार को भी सतर्क हो जाना चाहिए कभी ना कभी ऐसे हालात उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार की किरकिरी करा देंगे आम जनमानस में डर भर चुका है पत्रकार भी डरे और सहमे हुए हैं लोकतंत्र में अगर ऐसे हालात हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं हम लोग किस तरह से जी रहे हैं?
डीजीपी साहब, आईजी रेंज साहब देख लीजिए अपने सुल्तानपुर पुलिस के कारनामे
डीजीपी साहब, आईजी रेंज साहब अपनी काबिल सुल्तानपुर पुलिस को जरूर देखे साथ में जिला अधिकारी महोदय सुल्तानपुर भी देखें किस तरह से सत्य का गला घोटने के लिए पूरा प्रशासन उतारू है। जिस तरह से ब्यूरो चीफ अमरजीत पांडे राष्ट्रीय कवच समाचार पत्र को मनगढ़ंत साजिश के तहत फंसाया गया वह ना तो नौकरशाही के लिए फायदेमंद है और ना ही सरकार के लिए फायदेमंद है पत्रकारिता का महत्व और सच्चाई की लकीर कितनी बड़ी होती है जहां पर लिखकर आईपीएस और आईएएस बने नौकरशाह भी समझ सकते हैं। संविधान के नाम पर कसमें खाने वाली पुलिस विभाग क्या एक पत्रकार से इतना भयभीत हो गई कि उसने बिना पत्रकार से जानकारी मांगी उनको जेल में भेज दिया अगर या अन्याय है तो फिर यकीन जानिए यह न्याय लोकतंत्र के लिए फायदेमंद नहीं है?