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जब दिवंगत सुनील श्रीवास्तव के परिजनों से मिलने उनके घर पहुंची प्रियंका गांधी

 

 

​​रायबरेली। रायबरेली में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुनील श्रीवास्तव के निधन के 2 दिन पश्चात उनके परिजनों से मिलने पत्रकारपुरम में स्थित उनके पर पहुंची प्रियंका गांधी ने परिजनों से मिलकर ढांढस बंधाया। प्रियंका गांधी को देखकर सुनील श्रीवास्तव के परिजन फफक पड़े। दिवंगत सुनील श्रीवास्तव की मां प्रियंका गांधी से लिपटकर फफक-फफक कर रो पड़ी। सुनील श्रीवास्तव के घर जाते समय पुलिस ने कांग्रेसियों को रोक लिया जिसको लेकर पुलिस और कांग्रेसियों में तीखी नोकझोंक हुई।

पुलिस और कांग्रेसियों की होती नोकझोंक

जानकारी होने पर प्रियंका गांधी के दखल पर कांग्रेसियों को अंदर जाने दिया गया। जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी ने कहा कि भाजपा कांग्रेस डरती है इसलिए हर मामले में पुलिस को आगे कर देती है। इस मौके पर प्रभारी फरहान वारसी,अशोक सिंह, गणेश शंकर पांडेय, महताब आलम, अभय त्रिवेदी,रमेश शुक्ल,वी के शुक्ल, रवींद्र सिंह,विजय शंकर अग्निहोत्री, पदमधर सिंह, अखिलेश मिश्र,राहुल बाजपेई,धीरज श्रीवास्तव,आर के सिंह, निर्मल शुक्ल,सदगुर देव,मो.जफरुल,संजय शुक्ल,नौशाद खतीब, प्रमेन्द्र पाल सिंह,राघवेंद्र सिंहविरेन्द्र यादव, कमल सिंह, अमीन पठान,राहुल बाजपेई।

पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बसपा से सोनू- मोनू का निष्कासन

बहुजन समाज पार्टी ने जारी किया प्रेस विज्ञप्ति लिखा पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त

 

सुल्तानपुर- चंद्रभान सिंह उर्फ सोनू पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सुल्तानपुर एवं यशभद्र सिंह उर्फ मोनू निवासी जनपद सुल्तानपुर बसपा के पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी से निष्कासन किया गया इसकी जानकारी बहुजन समाज पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है।

प्रेस विज्ञप्ति में लिखा गया है कि जिला सुल्तानपुर दिनांक 12 जनवरी को बहुजन समाज पार्टी सुल्तानपुर जिला यूनिट द्वारा चंद्रभान सिंह उर्फ सोनू पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सुल्तानपुर एवं यशभद्र सिंह उर्फ मोनू निवासी जनपद सुलतानपुर को पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने व पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की दी गई रिपोर्ट की विभिन्न सूत्रों से छानबीन करने के बाद आज इनको बीएसपी से निष्कासित कर दिया गया है जबकि इनको पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में कई बार चेतावनी दी जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद इनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया है जिसकी वजह से पार्टी हित में आज इनको निष्कासित कर दिया गया।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर भाजपा की जागरूकता कार्यशाला संपन्न

अंगद राही

रायबरेली। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर शिवगढ़ भाजपा मंडल के पदाधिकारियों द्वारा शिवगढ़ क्षेत्र भवानीगढ़ चौराहे पर स्थित नहर कोठी प्रांगण में जागरूकता गोष्ठी एवं कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का आयोजन शिवगढ़ भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉक्टर जीबी सिंह के नेतृत्व में किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित पूर्व विधानसभा प्रत्याशी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता एमडी पासी, शिवगढ़ भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉक्टर जीबी सिंह, पूर्व मंडल अध्यक्ष राकेश बाबू तिवारी,

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित पूर्व विधानसभा प्रभारी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता एमडी पासी को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित करते हुए शिवगढ़ भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉ जीबी सिंह, पूर्व विधानसभा प्रभारी राकेश बाबू तिवारी वरिष्ठ भाजपा नेता रविंद्र कुमार शर्मा

हनुमान प्रसाद मिश्र, पदुम नारायण शुक्ला, वरिष्ठ भाजपा नेता दिनेश सिंह भदौरिया, रामेश्वर सिंह उर्फ मुन्नान सिंह, वीरेंद्र द्विवेदी, वीरेंद्र सिंह सहित वक्ताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की विस्तृत रूप से जानकारी दी और कहाकि विपक्षी पार्टियां नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर तरह तरह की भ्रांतियां फैलाकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रही हैं। जिसके लिए सभी कार्यकर्ताओं को डोर टू डोर जाकर लोगों को जागरूक करना होगा। शिवगढ़ भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉ जीबी सिंह ने सभी कार्यकर्ताओं को निर्देशित करते हुए कहा कि दिए गए पंपलेटों के माध्यम से घर घर जाकर लोगों को जागरूक करें। जिससे आपसी भाईचारा एवं सौहार्दपूर्ण माहौल बना रहे सके। श्री सिंह ने कहा कि विपक्षी पार्टियां नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर भारतीय जनता पार्टी को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं जिनको कामयाब होने नहीं दिया जाएगा। कार्यशाला में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तहे दिल से आभार प्रकट किया।
इस मौके पर बेड़ारु सेक्टर संयोजक जितेंद्र सिंह, पूर्व लेखपाल एवं भाजपा नेता भगवानदीन, राजाराम लोधी, रमेश शुक्ला सहित भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।

पहले पैदल, फिर स्कूटी से दारापुरी के परिवार से मिलने पहुंचीं प्रियंका

पहले पैदल, फिर स्कूटी से दारापुरी के परिवार से मिलने पहुंचीं प्रियंका, पुलिस पर गला दबाने का लगाया आरोप

 

प्रियंका नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार किए गए रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी के परिवारजनों से मिलने पहुंचीं जहां जाने से पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की.

 

 

लखनऊ: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस ने उन्हें धक्का दिया और गला दबाने की कोशिश की. दरअसल शनिवार शाम प्रियंका नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार किए गए रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी के परिवारजनों से मिलने जाने लगीं तो पुलिस ने उन्हें रोका और कहा कि बिना पूर्व सूचना के सुरक्षा कारणों से प्रियंका के इस तरह से जाने के चलते उन्हें रोका जा रहा है.

इसके बाद प्रियंका नहीं मानीं और पैदल उतरकर चल पड़ीं. थोड़ी दूरी के बाद एक कार्यकर्ता की स्कूटी से आगे पहुंची तो फिर पुलिस ने रोकने की कोशिश कीं तो वह पैदल ही दारापुरी के घर पहुंचीं.

 

दारापुरी के घर पर उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर साथ निभाने का वादा किया. उन्होंने दारापुरी की बीमार पत्नी से भी मुलाकात की. प्रियंका शनिवार को कांग्रेस की 135वीं स्थापना दिवस समारोह में शाामिल होने के कुछ देर बाद विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए एसआर दारापुरी और पार्टी की पूर्व प्रवक्ता सदफ जफर के परिवारीजनों से मिलने जा रही थीं तभी पुलिस ने उन्हें लोहिया पार्क के पास रोका था.

 

प्रियंका ने लगाए गंभीर आरोप

 

प्रियंका ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘मैं गाड़ी में शान्तिपूर्वक तरीके से दारापुरी जी के परिवार से मिलने जा रही थी. रास्ते मे अचानक पुलिस की गाड़ी आई और मुझे रोक लिया गया. मैंने पूछा कि मुझे रोकने का क्या मतलब है. पुलिस ने मुझसे कहा कि आपको आगे नहीं जाने देंगे. इस बीच पुलिस ने मेरा गला दबाया. मुझे धकेला भी गया. एक महिला पुलिस कर्मचारी ने मुझे धकेला. मैं चलती रही मैं टू वीलर पर आई, दोबारा पुलिस ने मुझे रोका तो मैं पैदल आ गई.’

प्रियंका ने कहा कि योगी सरकार को डर है कि कहीं सच न सामने आ जाए इसलिए मिलने से रोका जा रहा है. इससे पहले दोपहर में प्रियंका गांधी ने नागरिकता कानून के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया. पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा कि संविधान के खिलाफ कानून लाना, झूठ बोलना, विरोधी आवाज को हिंसा से कुचलना और फिर कदम वापस खींचना कायरता की निशानी है. उन्होंने मोदी सरकार को कायर सरकार की संज्ञा देते हुए कहा कि कांग्रेसी कार्यकर्ता न डरते हैं और न ही अपना विरोध प्रकट करने के लिए हिंसा का रास्ता चुनते हैं.

 

कई किलोमीटर चलीं पैदल

 

प्रियंका के साथ चलने वाले तमाम कार्यकर्ताओं ने बताया कि वह लगभग चार किलोमीटर पैदल चलीं. इसके अलावा कुछ दूर तक स्कूटी से गईं. ये स्कूटी उनकी पार्टी के सचिव धीरज गुर्जर चला रहे थे. स्कूटी रोके जाने के बाद फिर वह पैदल चल पड़ी. पुलिस प्रशासन में प्रियंका के इस कदम से हड़कंप मच गया.

यूं ही नहीं ढह गया भारत का चौथा स्तम्भ ..

लेखक पुण्य प्रशून बाजपाई वरिष्ठ पत्रकार है। 

नरेन्द्र मोदी को 722 घंटे तो राहुल गांधी को 252 घंटे ही न्यूज चैनलो ने दिखया । जिस दिन वोटिंग होती थी उस दिन एक खास चैनल नरेन्द्र मोदी का ही इंटरव्यू दिखाता था । बालीवुड नायक अक्षय कुमार के साथ  गैर राजनीतक गुफतगु या फिर मोदी की धर्म यात्रा को ही बार बार न्यूज चैनलो ने दिखाया ।मीडिया के मोदीनुकुल होने या फिर गोदी मीडिया में तब्दिल होने के यही किस्से कहे जा रहे है या कहे तर्क गढे जा रह है । लेकिन मीडियाको लेकर मोदीकाल का सच दरअसल ये नहीं है । सच तो ये है कि पांच बरस के मोदीकाल में धीरे धीरे भारत के राष्ट्रीय अखबारो और न्यूज चैनलो से रिपोर्टिग गायब हुई । जनता से जुडे मुद्दे न्यूजचैनलो में चलने बंद हुये । जो आम जन को एहसास कराते कि उनकी बात को सरकार तक पहुंचाने के लिये मीडिया काम कर रहा है । और धीर धीरे संवाद एकतरफा हो गया । जो मोदी सरकार ने कहा उसे ही बताने का या कहे तो उसके प्रचार में ही मीडिया लग गया । मीडिया ने अपनी भूमिका कैसे बदली या कहे मीडिया को बदलने के लिये किस तरह सत्ता ने खासतौर से मीडिया पर किस तरह का ध्यान देना शुरु किया । या फिर सत्तानुकुल होते संपादक-मालिको की भूमिका ने धीरे धीरे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ही खत्म कर दिया । कमोवेश यही हाल लोकतंत्र के बाकि तीन स्तम्भ का भी रहा लेकिन बाकि की स्वतंत्रता पर तो सत्ता की निगाह हमेशा से रही है और हर सत्ता ने अपने अनुकुल करने के कई कदम अलग अलग तरीको से उठाये भी है । लेकिन मीडिया की भूमिका हर दौर में बीच का रास्ता अपनाये रही । इस पार या उस पार खडे होने के हालात कभी मीडिया में आये नहीं । यहा तक की इमरजेन्सी में भी कुछ विरोध कर रहे थे पर अधिकतर रेंग रहे थे । लेकिन पहली बार उस पार खडे [ सत्तानुकुल ना होने ]  मीडिया को जीने का हक नहीं ये मोदी का में खुल कर उभरा । और जब लोकतंत्र ही मैनेज हो सकता है तो फिर लोकतंत्र के महापर्व को  मैनेज करना कितना मुश्किल होगा ।
 ध्यान दिजिये 2014 में मोदी की बंपर जीत के बाद भी मीडिया मोदी से सवाल कर रहा था । तब निशाने पर हारी हुई मनमोहन सरकार थी । काग्रेस का भ्रष्ट्राचार था । घोटालो को फेरहिस्त थी । पर मोदी को लेकर जागी उम्मीद और लोगो का भरोसा कभी गुजरात दंगो की तरफ तो कभी बाईब्रेट गुजरात की दिशा में ले ही जाती था । और राज्य दर राज्य की राजनीति ने मोदी सत्ता ही नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी से भी सवाल पूछने बंद नहीं किये थे । केन्द्र में मनमोहन सत्ता के ढहने का असर महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड की काग्रेस सत्ता पर भी पडा । 2014 में तीनो राज्य काग्रेस गंवा दियें या कहे मोदी सत्ता का असर फैला तो बीजेपी तीनो जगहो पर जीती । लेकिन 2015 में दिल्ली और बिहार दो ऐस राज्य उभरे जहा मोदी सत्ता ने पूरी ताकत झोक दी लेकिन उसे जीत नहीं मिली । और अगर उस दौर को याद किजियगा तो बिहार में जीत को लेकर आशवस्त अमित शाह से जब चुनाव खत्म होने के दिन 5 नवंबर को पूछा गया तो वह बोले मै 8 नवंबर को बोलूगा । जब परिणाम आयेगें । और 8 नवंबर 2015 को जब बिहार चुनाव परिणाम आये तो उसके बाद अमित शाह ने खामोशी ओढ ली । और तब भी मीडिया ना सिर्फ गुजराज दंगो को लेकर सवाल कर रहा था बल्कि संघ परिवार की बिहार में सक्रियता को लेकर सवाल कर रहा था । क्योकि तब यही सवाल नीतिश - लालू दोनो अपने अपने तरीके से उछाल रहे थे । वैसे उस वक्त बिहार और गुजारत के जीडीपी से लेकर कृर्षि विकास दर तक को लेकर मीडिया सक्रिय रहा । रिपोर्टिंग -आर्डिकल लिखे गये । मनरेगा के काम और न्यूनतम आय को लेकर रिपोर्टिंग हुई । इसी तरह दिल्ली चुनाव के वक्त यानी 2015 फरवरी में भी दिल्ली में शिक्षा, हेल्थ , प्रदूषण , गाडियो की भरमार सरीखे मुद्दे बार बार उठे । और शायद 2015 ही वह बरस रहा जिसने मोदी सत्ता को भारतीय लोकतंत्र का वह ककहरा पढा दिया जिसके अक्स में गुजरात कहीं नहीं है ये समझा दिया । यानी 6 करोड गुजराती को तो एक धागे में पिरोयो जा सकता है लेकिन 125 करोड भारतीय की गवर्नेंस एक सरीखी हो नहीं सकती । और उसी के बाद यानी 2016 में मोदी सत्ता का टर्निग पाइंट शुरु होता है जब वह ऐसे मुद्दो पर बड निर्णय लेती है जो समूचे देश को प्रभावित करें । भूमि अधिग्रहण , नोटबंदी और जीएसटी । ध्यान दिजिये तीनो मुद्दो से हर राज्य प्रभावित होता है लेकिन राज्यो की सियासत या क्षत्रपो से कही ज्यादा बडी भूमिका में काग्रेस आ जाती है । बहस का केनद्र संसद से सडक तक होता है । और यही से मीडिया के सामने जीने के विकल्प खत्म करने की शुरुआत होती है । हर मुद्दे का केन्द्र दिल्ली बनता है और ह मुद्दे पर बहस करती हुई कमजोर काग्रेस उभरती है । जिसकी राजनीतिक जमीन पोपली थी और मजबूत क्षत्रपो के विरोध की मौजूदगी सिवाय विरोध की अगुवाई करती दिखती काग्रेस के पीछे खडे होने के अलावे कुछ रही ही नहीं । यानी 2016 से राज्यो की रिपोर्टिग अखबारो के पन्नो से लेकर न्यूज चैनलो के स्क्रिन से गायब हो गई । अपने इतिहास में सबसे कमजोर काग्रेस संसद के दोनो सदनों बेअसर थी ।इसी दौर में भीडतंत्र का न्याय सडक पर उभरा । राजनीतिक मान्यता कानून की मूक सहमति के साथ बीजेपी शासित राज्य में उभरी । देश भर में 64 हत्यायें हो गई । लेकिन सजा किसी हत्यारो को नहीं हुई । क्योकि हत्या पर कोई कानूनी रिपोर्ट थी ही । इस कडी में नोटबंदी क दौर में लाइन में खडे होकर नोट बदलवाने से लेकर नोट गंवाने के दर्द तले 106 लोगो की जान चली गई । लेकिन सत्ता ने उफ तक नहीं किया तो फिर संसद के भीतर हंगामे और सडक पर शोर भी बेअसर हो गया । क्योकि खबरो का मिजाज किसी मुद्दे से पडने वाले असर को छोड उसके विरोध या पक्ष को ही बताने जताने लगा । तो पहली बार जनता ने भी महसूस किया कि जब उसकी जमीन भूमि अधिग्रहण में जा रही है और मुआवजा मिल नहीं रहा है । नोटबंदी में घर से नोट बदवाने निकले परिवार के मुखिया का शव घर लौट रहा है । और अखबरो के पन्नो से लेकर न्यूज चैनलो के स्क्रिन पर आम जन का दर्द कही है ही नहीं । बहस सिर्फ इसी बात को लेकर चल रही है कि जो फैसले मोदी सत्ता ने लिये वह सही है या नहीं । या फिर अखबारो के पन्नो को ये लिख कर रंगा जा रहा है कि लिये गये फैसले से इक्नामी र क्या असर पड रहा है या फिर इससे पहले की सरकारो के फैसले की तुलना में ये फैसले क्या असर करेगें । ये लकीर बेहद महीन है कि मोदी सत्ता के जिन निर्णयो ने आम जन पर सबसे ज्यादा असर डाला उन आम जन पर पडे असर की रिपर्टिग ही गायब हो गई ।
खासतौर से न्यूज चैनलो ने गायब होती खबरो को उस बहस या स्टूडियो में चर्चा तले शोर से ढक दिया जो जब तक स्क्रिन पर चलती तभी तक उसकी उम्र होती । यानी ऐसी बहसो से कुछ निकल नहीं रहा था । चर्चा खत्म होती फिर अगली चर्चा शुरु हो जाती और फिर किसी और मुद्दे पर चर्चा । हां , सिवाय तमाम राजनीतिक दल के ये महसूस करने के कि उनहे भी न्यूज चैनलो में अपनी बात कहने की जगह मिल रही है । लेकिन इस एहसास से सभी दूर होते चले गय कि हर राजनीतिक दल के जन सरोकार खत्म हो चले है । और उसमें सबसे बडी भूमिका चाहे अनचाहे मीडिया की ही हो गई ।  क्योकि जब मीडिया में रिपोर्टिंग बंद हुई । जन-सरोकार बचे नहीं तो फिर किसी भी मीडिया हाउस को लेकर जनता के भीतर भी सवाल उठने लगे । राष्ट्रीय न्यू चैनलो में काम करने वाले जिले और छोटे शहरो के रिपोर्टरो के सामने ये संकट आ गया कि वह ऐसी कौन सी रिपोर्ट भेजे जो अखबारो मेंछप जाये या न्यूज चैनलो में चल जाये । क्योकि धारा उल्टी बह रही थी । जनता की खबर से सत्ता पर असर पडने की बजाय सत्ता के निर्णय से जनता पर पडने वाले असर पर बहस होने लगी । और धीर धीरे स्ट्रिगर हो या रिपोर्टर या पत्रकार उसकी भूमिका भी राजनीतिक दलो के छुटमैसे नेताओ को सूचना या जानकारी देने से लेकर उनकी राजनीतिक जमीन मजबूत कराने में ही पत्रकारिता खत्म होने लगी ।  2016 से 2019 तक हिन्दी पट्टी [ यूपी, बिहार , झारखंड, छत्तिसगढ, मध्यप्रेदश , राजस्थान , पंजाब , उत्तराखंड ] के करीब  पांच हजार से ज्यादा पत्रकार अलग अलग पार्टियो के नेताओ के लिये काम करने लगे । सोशल मीडिया और अपने अपने क्षेत्र में खुद के प्रोफाइल को कैसे बनाया जाता है या कैसे पार्टी हाइकमान को दिखाया जाता है इस काम से पत्रकार जुड गये । इसी दौर में दो सौ से ज्यादा छोटी बडी सोशल मीडिया से जुडी कंपनिया खुल गई जो नेताओ को तकनीक क जरीये सियासी विस्तार देती ष उनकी गुणवत्ता को बढाती । और राज्यो की सत्ताधारी पार्टियो से काम भी मिलने लगा उसकी एवज में पैसा भी मिलने लगा । बकायदा राज्य सरकार से लेकर निजी तौर पर राज्यस्तीय नेता भी अपना बजट अपने प्रचार के लिये रखने लगा । और इस काम को वहीं पत्रकार करते जो कल तक किसी न्यूज चैनल को खबर भेज कर अपनी भूख [ पेट- ज्ञान ]  मिलाते  । हालात बदले तो नेताओ से करीबी होने का लाभ स्ट्रिगर-रिपोर्टरो को राष्ट्रीय चैनलो की सत्तानुकुल रिपोर्टिंग करने से भी मिलने लगा । और ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ नीचले स्तर पर हो । दिल्ली जैसे महानगर में भी दो सौ से ज्यादा बडे पत्रकारो [ कुल दो हजार से ज्यादा पत्रकार ] ने इसी दौर में राजनीतिक दलो का दामन थामा । कुछ स्वतंत्र रुप से तो कुछ बकायदा नेता या पार्टी के लिये काम करने लगे । दिल्ली में काम करते कुछ पत्रकार दिलली में बडे नेताओ के सहारे राज्यो  के सत्ताधारियो के लिय काम करने के लिय दिल्ली छोड रराजधानियो में लौटे । आलम ये है कि 18 राज्यो के मुख्यमंत्रियो के सलाहकारो की टीम में पत्रकारिता छोड सीएम सलाहकार की भूमिका को जीने वाले लोग है । और इनका कार्य उसी मुख्यधारा के मीडिया हाउस को अपनी सत्तानुकुल करना है जिस मुख्यधारा की पत्रकारितो को छोड कर ये सलाहकार की भूमिका में आ चुके है । और मीडिया की ये चेहरा चूकि राजनीति के बदलते सरोकार [ 2013-14 के चुनाव प्रचार केतौर तरीके  ] और मीडिया के बदलते स्वरुप [ इक्नामिक मुनाफे का माडल ] से उभरा है तो फिर 2016 से 2018 तक के सफर में सरकार का मीडिया को लेकर बजट पिछली किसी भी सरकार के आकडे को पार कर गया और मीडिया भी अपनी स्वतंत्र भूमिका छोड सत्तानुकुल होने से कतराया नहीं । मोदी सत्ता ने 2016-17 में न्यूज चैनलो के लिये 6,13,78,00,000 रुपये का बजट रखा तो 2017-18 में 6,73,80,00,000 रुपये का बजट रख । प्रिट मीडिया के कुछ कम लेकिन दूसरी सरकारो की तुलना में कही ज्यादा बजट रखा गया । 2016-18 के दौर में 9,96,05,00,000 रुपये का बजट प्रिट मीडिया में प्रचार के लिये रखा गया । यानी मीडिया को जो विज्ञापन अलग अलग प्रोडक्ट के प्रचार प्रासर के लिये मिलता उसके कुल सालाना बजट से ज्यादा का बजट जब सरकार ने अपने प्रचार के लिये रख दिया तो फिर सरकार खुद एक प्रोडक्ट हो गई और प्रोडक्ट को बेचने वाला मीडिया हो गया । हो सकता है इसका एहसास मीडिया हाउस में काम करते पत्रकारो को ना हो और उन्हे लगता हो कि वह सरकार के कितने करीब है या फिर सरकार चलाने में उनी की भूमिका पहली बार इतनी बडी हो चली है कि प्रधानमंत्री भी कभी ट्विट में उनके नाम का जिक्र कर या फिर कभी इंटरव्यू देकर उनके पत्रकारिय कद को बढा रह है । और इसी रास्ते धीरे धीरे मीडिया भी पार्टी बन गया और पार्टी का बजट ही मीडिया को मुनाफा देने लगा । यानी एक ऐसा काकटेल जिसमें कोई गुंजाइश ही नहीं बचे कि देश में हो क्या रहा है उसकी जानकारी देश के लोगो को मिल पाये । या फिर संविधान में दर्ज अधिकारो तक को अगर सत्ता खत्म करने पर आमादा हो तो भी मीडिया के स्वर सत्तानुकुल ही होगें । इसीलिये ना तो जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट से निकली आवाज ' लोकतंत्र पर खतरा है ' को मीडिया में जगह मिल पायी । बहस हो पायी । ना ही अक्टूबर 2018 में  सीबीआई में डायरेक्टर और स्पेशल डायरेक्टर का झगडा और आधी रात सरकार का आरपेशन सीबीआई कोई मुद्दा बन पाया ।

Raebareli

भौसी में शिष्टाचार बैठक एवं समरसता भोज का हुआ आयोजन

 

पार्टी की नीतियों एवं सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने की अपील

अंगद राही

रायबरेली।भाजपा के नवनियुक्त शिवगढ़ मंडल अध्यक्ष डॉ.जीबी सिंह के स्वागत में शिवगढ़ क्षेत्र के भौसी सेक्टर संयोजक अर्जुन सिंह भदौरिया के नेतृत्व में सेक्टर भौसी में शिष्टाचार बैठक एवं समरसता भोज का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे पूर्व शिवगढ़ मंडल अध्यक्ष एवं सेक्टर प्रभारी हनुमान प्रसाद मिश्रा की अगुवाई में भाजपा पदाधिकारियों एवं बूथ अध्यक्षों द्वारा नवनियुक्त शिवगढ़ भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉ.जीबी सिंह का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया गया। इस शिष्टाचार बैठक में डॉक्टर जीबी सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी कार्यकर्ता छोटा या बड़ा नहीं होता है। बूथ अध्यक्ष पार्टी में रीड की हड्डी की तरह होते हैं जिनकी सक्रियता से ही चुनाव लड़ा जाता है और उन्हीं की मेहनत और लगन के बल पर चुनाव जीता जाता है। श्री जीबी सिंह ने कहा कि उनके रहते किसी भी पार्टी कार्यकर्ता का अपमान बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर रात को 12 बजे भी जरूरत पड़ी तो बूथ अध्यक्षों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। डॉ. जीबी सिंह ने सरकार की नीतियों एवं सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाने के लिए सभी बूथ अध्यक्षों से अपील की। डॉ.जीबी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि शिष्टाचार बैठक का आयोजन प्रत्येक सेक्टर स्तर पर किया जाएगा।

बैठक को संबोधित करते हुए नवनियुक्त मंडल अध्यक्ष डॉक्टर जीबी सिंह

वहीं वरिष्ठ भाजपा नेता रविंद्र कुमार शर्मा ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ.जीबी सिंह को मंडल अध्यक्ष मनोनीत किए जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं को एक नई ऊर्जा मिली है,जिसको प्रत्येक कार्यकर्ता महसूस कर रहा है। इसी क्रम में भौसी सेक्टर संयोजक अर्जुन सिंह भदौरिया ने बैठक को संबोधित करते हुए मूलभूत समस्याओं को मंडल अध्यक्ष के सामने रखते हुए समस्याओं के निराकरण की अपील की और सभी को आश्वस्त करते हुए कहा कि वो पार्टी के प्रति समर्पण की भावना से काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। इस मौके पर वरिष्ठ भाजपा नेता दिनेश सिंह भदौरिया, वीरेंद्र सिंह,अखिलेश सिंह, नागेंद्र सिंह, राजाराम लोधी,रामहेत सिंह,धनंजय सिंह, दिनेश कुमार,अयोध्या प्रसाद, जितेंद्र कुमार, श्रवण कुमार, विजय सिंह, सुनील कुमार पांडेय, राम बहादुर सिंह, रंजीत सिंह, राकेश कुमार वर्मा, अवध राम वर्मा, नंदकिशोर लोधी सहित दर्जनों भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।

पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव को देखकर फफक पड़े दुष्कर्म पीड़िता के परिजन

दिवाकर त्रिपाठी

खीरों (रायबरेली)खीरों थाना क्षेत्र के एक गावं में युवती के साथ दुष्कर्म की घटना घटने के बाद सूबे के राजनैतिक गलियारे में सरगर्मी बढ़ गयी है। शनिवार को लगभग डेढ़ बजे इसी सड़क मार्ग से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सूबे के पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश सिंह यादव ने भी दुष्कर्म पीडिता के पैत्रिक गाँव पहुंचकर परिवारजनों से मुलाकात की।

चाय की चुस्कियां लेते पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव

अपनी इस यात्रा के दौरान खीरों चौराहे पर रुक कर लोगों मुलाक़ात की पीडिता के परिवारजनों से मुलाक़ात करने के बाद वह जब पुनः इसी संपर्क मार्ग से वापस लौटने लगे तो क्षेत्र के सेमरी चौराहा,कस्बा खीरों सहित कई जगह पर सपा कार्यकर्ताओं ने उनके काफिले को रोककर उनका स्वागत किया। इसी क्रम में पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव शास्त्री नगर की एक चाय की दुकान पर रुके और पूर्व कैबिनेट मन्त्री एवं ऊंचाहार विधायक मनोज पाण्डेय,पूर्व राज्य मन्त्री सुनील सिंह साजन,जिलाध्यक्ष राम बहादुर यादव,उपाध्यक्ष बीरेन्द्र यादव आदि

चाय पीते वक्त किसानों की समस्याएं सुनते पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव

प्रदेश अध्यक्ष नरेश सिंह उत्तम, बछरावां विधानसभा अध्यक्ष राकेश त्रिवेदी उर्फ आलू महराज सहित नेताओं के साथ बैठकर चाय की चुस्कियां ली। चाय पीते वक्त चाय की तारीफ़ करते हुए उन्होंने दुकानदार गोकरन प्रसाद को पांच सौ रुपये पुरस्कार भी दिए। इस दौरान लोगों ने उनसे छुट्टा पशुओं की समस्या उठायी।

पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव के स्वागत के लिए खीरों में उमड़ी सपाइयों की भीड़

इस पर उन्होंने लोगों से वादा लिया कि इस बार के चुनाव में प्रदेश में सपा की सरकार बनने पर फिर से लैपटाप वितरण के साथ ही छुट्टा पशुओं की समस्या से सभी को निजात मिल जाएगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में क्षेत्रीय ग्रामीण मौजूद रहे।

भाजपा सरकार में बेटियां सुरक्षित नहीं है : पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव

उन्नाव रेप पीड़िता के परिजनों से मिलने घर पहुंचे पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव

अंगद राही

रायबरेली।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय एवं पूर्व मुख्यमंत्री अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव ने शनिवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के घर पहुंचकर पीड़ित के माता-पिता व अन्य परिवारी जनों से बात की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया, उन्होंने कहा कि परिवार की इच्छा अनुसार शहर में घर, नौकरी व न्याय दिलाने के लिए सरकार से मांग करेंगे और यह मुद्दा पुरजोर तरीके से सदन में उठाया जाएगा। बेटियों और महिलाओं के लिए अब तक का सबसे खराब दौर है। आज हमने पीड़ित परिवार के दुख को समझने की कोशिश की है, उनका घर देखकर कोई भी कह सकता है इससे अधिक गरीबी क्या होगी इस परिवार ने एक बहादुर बेटी को खोया है वह बेटी न्याय के लिए जा रही थी लेकिन पीड़िता को तब न्याय नहीं मिल पाया जब सरकार के संज्ञान में मामला था लेकिन सरकार उसे बचा नहीं सकी। हैदराबाद के बाद कहीं इतनी दुखद घटना हुई है तो वह उत्तर प्रदेश में हुई है।

बछरावा मे पूर्व सीएम अखिलेश यादव का इंतजार करते सपा कार्यकर्ता

यह उद्गार उन्नाव से लौटते वक्त पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव बछरावां बाईपास पर पत्रकारों से बात करते समय बोल रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे आंकड़े खराब थे इसलिए हम सत्ता से चले गए, ढाई साल से अब भाजपा की सरकार है दूसरों के आंकड़े बताने की जगह अच्छा काम करना चाहिए केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है। उन्होंने कहा कि हमें बताने की जरूरत नहीं है कि समाजवादी पार्टी ने क्या किया। हमने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1090 लाइफ लाइन चलाई, अपराध को रोकने के लिए डायल 100 चालू किया और उन्होंने क्या किया डायल 100 को 112 कर दिया तो क्या उससे व्यवस्था बदल गई। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहां कि सरकार को पता था उसके स्वास्थ्य के बारे में उत्तर प्रदेश के विरोध ना हो इसलिए पीड़ित को दिल्ली भेजा गया था। आखिरी समय में भी पीड़िता जीना चाहती थी उसने यही कहा था कि मैं बच तो जाऊंगी। हमारी मांग है कि उसे न्याय मिले और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए साथ ही उसके परिवारी जनों को हर संभव आर्थिक मदद व नौकरी दी जाए।

समर्थकों के संग रामलीला मैदान पहुंचे कांग्रेस नेता मनीष सिंह

देश में फैलते अत्याचार, बेरोजगारी, डोलती अर्थव्यवस्था के मुद्दे रहे केंद्र बिंदु पर


 दुर्गेश सिंह चौहान
ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय कवच
कंटेंट राइटर न्यूज़ प्लस

 

रायबरेली- रामलीला मैदान नई दिल्ली  रायबरेली से कांग्रेस नेता मनीष सिंह अपने समर्थकों के साथ पहुंचे। उन्होंने देश में फैलती अत्याचार, बेरोजगारी ,डोलती अर्थव्यवस्था का मुद्दा उठाया। मनीष सिंह ने कहा देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है अर्थव्यवस्था की नौका डूबी जा रही है महिलाओं के साथ अत्याचार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिस को संभालने में भाजपा सरकार पूरी तरह से नाकामयाब है। श्री सिंह ने रायबरेली के भी मुद्दे उठाए उन्होंने कहा रायबरेली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अभी तक अपना रूप नहीं ले सका है रेल कोच के भी हालत वैसे ही है स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए के स्थानीय लोगों को सबसे पहले रोजगार दिया जाए जिससे यहां के लोगों को बाहर के प्रदेशों में और जनपदों में रोजगार के लिए ना जाना पड़े लेकिन 6 सालों में यह सरकार विफल रही है रोजगार तथा छोटे उद्यमी पूरी तरह से चौपट हो गए हैं आज उनके रोजगार बंद हो गए हैं उनकी फैक्ट्रियां बंद हो रही है यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है.  आखिर जो सरकार नवयुवकों के हित के लिए आई थी उसने युवकों को बर्बाद कर दिया है ना तो सरकारी रोजगार दिए जा रहे हैं और ना ही फैक्ट्रियां लगाई जा रही है सरकार की नीतियां विफल होती जा रही है विकास दर में गिरावट हो रही है महंगाई बढ़ रही है खाने पीने की वस्तुओं का रेट बढ़ता जा रहा है यह दुखदाई है। आम जनता ने जिस रामराज्य की कल्पना की थी वह साकार नहीं हो सका छोटे-छोटे मुद्दों में फंसा कर यह सरकार आम जनता को बरगला रही है. इसी के विरोध में रामलीला मैदान में समूची कांग्रेस पार्टी उतरी है और जनता के हर एक मुद्दे को उठाया गया है। देश में नफरत के बीज भी बोए जा रहे हैं जो किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। मनीष सिंह ने कहा देश को गरीबी से निकालकर विकसित देशों की संख्या में लाकर खड़ा करने का काम कांग्रेस  पार्टी ने किया है। 

 

मनरेगा और उद्योगीकरण  के जरिए भारत को मजबूत राष्ट्र के रूप में निखारने का काम कांग्रेस ने किया

 

मनीष सिंह ने कहा मनरेगा जैसी योजना के जरिए गारंटी रोजगार देने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है जिसके मजदूर गारंटी के साथ रोजगार पा सकता था पैसे सीधे उसके खातों में आता था लेकिन आज उस योजना को कमजोर किया जा रहा है जो ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले किसानों के लिए रीड की हड्डी साबित हो रही थी यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा अच्छी तरह उद्योगीकरण के जरिए लाखों फैक्ट्रियां हिंदुस्तान में चलने लगी भारत अपने कच्चे माल को अपनी ही फैक्ट्रियों में तैयार कर कर विश्व को निर्यात कर रहा था. लेकिन आज सब वह फैक्ट्रियां  टूटने लगी है फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर हैं इसीलिए देश की विकास दर कम होती जा रही है। इन्हीं फैक्ट्रियों से लाखों रोजगार पैदा होते थे जिनके जरिए देश के नौजवानों को रोजगार मिलता था लेकिन आज की सरकार नौजवानों की भलाई के लिए बिल्कुल सोचने के लिए तैयार नहीं है रेलवे समेत अन्य जगहों पर भर्तियां नहीं निकाली जा रही है नौजवान रोजगार के लिए हतास है वह अपनी दिल की बात किसी से कह नहीं सकता। ऐसे समय में देश को आत्ममंथन करने की जरूरत है।

पूरी ताकत झोंक कर भी हार गयीं प्रियंका गांधी : एमएलसी

हाईकोर्ट ने खारिज की जिला पंचायत अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव की याचिका

 

रायबरेली - रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर लम्बे समय से चल रहे घमासान पर एक बार फिर अब पूर्णविराम लग गया है, उसका कारण यह है कि जिला पंचायत सदस्यों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दायर की गई अविश्वास सम्बन्धी याचिका को उच्च न्ययालय ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद रायबरेली से सोनिया गांधी के सामने भाजपा से लोकसभा प्रत्याशी रहे दिनेश प्रताप सिंह ने एक बार फिर प्रियंका गांधी पर जमकर हमला बोला है।

भाजपा एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि  कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी पूरी ताकत झोंकने के बाद भी हार गई हैं, 

 

खूब हुआ घमासान

 

विदित हो कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर पिछले कई महीनों से घमासान चल रहा था जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के दिन भाजपा एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के ऊपर सदर विधायक अदिति सिंह व जिला पंचायत सदस्यों के ऊपर हमला कराने का आरोप लगा था हालांकि पुलिस ने मामले में पुलिस दिनेश सिंह को क्लीन चिट दे चुकी है।

 

कमलनाथ पर भी बोला हमला

 

एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रायबरेली के लालची जिला पंचायत सदस्यों को अपने प्रदेश में शरण भी और भारी-भरकम सुरक्षा के बीच उनको उत्तर प्रदेश की सीमा तक भी पहुंचाया एमएलसी दिनेश सिंह ने दिग्गज कांग्रेसी नेता एवं अधिवक्ता सलमान खुर्शीद का नाम लेते हुए कहा कि बड़े-बड़े अधिवक्ता और सांसद सोनिया गांधी के ओएसडी धीरज श्रीवास्तव भी अपना पूरा षड्यंत्र रचने के बाद भी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए और अंततः उच्च न्यायालय लालची जिला पंचायत सदस्यों की याचिका खारिज करके कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है

 

जनता सिखाएगी सबक

 

रायबरेली के जिला पंचायत सदस्यों के बारे में बोलते हुए दिनेश सिंह ने कहा कि तीन लालची जिला पंचायत सदस्यों से अब हमारी लड़ाई खत्म हो गई है उच्च न्यायालय ने न्याय कर दिया है अब इनको आने वाले चुनाव में जनता सबक जरूर सिखाएगी उन्होंने कहा कि उनकी बढ़ती साख के कारण कांग्रेसी परेशान हैं।