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Petrol - Diesel के दामों में कोई राहत नहीं, जानिए क्या है आज के बढ़े हुए दाम?

अमेरिका और ईरान के बीच फौजी तनाव बढ़ने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में जबदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है

 

नई दिल्ली, नए साल में Petrol - Diesel (पेट्रोल - डीजल) की कीमतों में आग बरकरार है. 6 जनवरी को पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार पांचवें दिन भी वृद्धि का सिलसिला जारी रहा. अमेरिका और ईरान के बीच फौजी तनाव बढ़ने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में जबदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है. तेल विपणन कंपनियों ने सोमवार को दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल के दाम में 15 पैसे प्रति लीटर, जबकि चेन्नई में 16 पैसे प्रति लीटर का इजाफा कर दिया.  

 

दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत 75.69 रुपए


सुबह से ही अमेरिका - ईराक के बीच गरमाते बयानों के बीच कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी कर दी गई है. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल का दाम बढ़कर क्रमश: 75.69 रुपये, 78.28 रुपये, 81.28 रुपये और 78.64 रुपये प्रति लीटर हो गया है. वहीं, चारों महानगरों में डीजल की कीमत बढ़कर क्रमश: 68.68 रुपये, 71.04 रुपये, 72.02 रुपये और 72.58 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

 

और बढ़ सकते हैं दाम


बाजार में जुड़े जानकार बता रहे हैं कि खाड़ी देशों में तनाव को देखते हुए कच्चे तेल और सोने की कीमतों में पिछले हफ्ते से ही उछाल है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई कमी नहीं आने वाली. अभी इन दोनो ही उत्पादों की कीमतें और बढ़ेंगी. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर बेंट्र क्रूड के मार्च डिलीवरी अनुबंध में पिछले सत्र के मुकाबले 2.36 फीसदी की तेजी के साथ 70.22 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था, जबकि कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड 70.75 डॉलर प्रति बैरल तक उछला। इससे पहले ब्रेंट का दाम 16 सितंबर, 2019 को 71.95 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था।

 

बाजार में जुड़े जानकार बता रहे हैं कि खाड़ी देशों में तनाव को देखते हुए कच्चे तेल और सोने की कीमतों में पिछले हफ्ते से ही उछाल है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई कमी नहीं आने वाली. अभी इन दोनो ही उत्पादों की कीमतें और बढ़ेंगी. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर बेंट्र क्रूड के मार्च डिलीवरी अनुबंध में पिछले सत्र के मुकाबले 2.36 फीसदी की तेजी के साथ 70.22 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था, जबकि कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड 70.75 डॉलर प्रति बैरल तक उछला. इससे पहले ब्रेंट का दाम 16 सितंबर, 2019 को 71.95 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था.

 

पीएम मोदी बोले- तबाह हो रही अर्थव्यवस्था को संभाला

पीएम मोदी बोले- तबाह हो रही अर्थव्यवस्था को संभाला, बना रहे हैं आधुनिक और पारदर्शी

 

प्रधानमंत्री ने एसोचैम के कार्यक्रम में अर्थव्यवस्था के लिए अपनी सरकार के उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कॉर्पोरेट जगत को भरोसा दिया.

 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की बात करते हुए कहा कि उनकी सरकार इसे आधुनिक और पारदर्शी बना रही है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच-छह साल पहले त्रासदी की ओर बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को उनकी सरकार ने ठीक किया है. वह शुक्रवार को एसोचैम के कार्यक्रम में बोल रहे थे.

पीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने राजकोषीय स्थिति को नियंत्रित किया है. उन्होंने कहा, ‘हम भारतीय अर्थव्यवस्था को आधुनिक और औपचारिक बनाना चाहते हैं.’

कॉरपोरेट कर की दरों में हुई हालिया कटौती पीएम ने कहा इसने इसे कंपनियों के लिये सर्वकालिक निचले स्तर पर ला दिया है. हालांकि उन्होंने कहा कि श्रमिकों का भी ध्यान रखा जाना चाहिये.

उन्होंने अपनी सरकार को सभी के लिए बेहतर बताते हुए कहा कि भारत में ऐसी सरकार है जो किसानों, मजदूरों और कॉरपोरेट जगत की बातें सुनती है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम कर प्रणाली को पारदर्शी, प्रभावी तथा जवाबदेह बनाने के लिये ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें आकलन के दौरान करदाताओं और कर अधिकारियों को एक-दूसरे के बारे में पता नहीं चलेगा.’

उन्होंने कहा कि कंपनी अधिनियम के तहत आपराधिक कार्रवाई को समाप्त करने, कच्चे माल पर तैयार सामानों से अधिक आयात शुल्क की व्यवस्था हटाने पर सरकार काम कर रही है.

पीएम ने कहा बंद हुईं कंपनियों की बात करते हुए कहा कि घोटाले के कारण ही सभी कंपनियां बंद नहीं हुईं. असफलता को अपराध नहीं मान सकते. उद्योग जगत को भरोसा देते हुए उन्होंने कहा कि सही व्यावसायिक निर्णयों पर अनुचित कार्रवाई नहीं की जाएगी.

कंपनी अधिनियम के तहत प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई से मुक्त करने का काम जारी: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के कारोबार के अनुकूल रवैये का शुक्रवार को जिक्र करते हुए कहा कि देश में कारोबार को सुगम बनाने के लिये कंपनी अधिनियम के प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई से मुक्त करने पर काम किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि कंपनी पंजीकृत करने में पहले कई महीनों का समय लगता था, जिसे अब घटाकर महज कुछ घंटे पर ले आया गया है. बेहतर बुनियादी संरचना ने हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर कानूनी प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम किया है.

उन्होंने कहा कि व्यापार एवं उद्योग जगत के सुझावों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में गतिशील परिवर्तन लाये गये हैं. उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में कारोबार सुगमता की दिशा में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 10 देशों में भारत भी एक है.

मोदी ने कहा कि महज तीन साल में हम कारोबार सुगमता सूचकांक में 142वें स्थान से छलांग लगाकर 63वें स्थान पर पहुंच गये हैं.

मोदी ने कहा कि कंपनी अधिनियम के कई प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई से मुक्त कर दिया गया है तथा अभी और प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई से मुक्त करने पर काम जारी है.

कच्चे तेल के उत्पादन में रोजाना पांच लाख बैरल की कटौती करेंगे ओपेक देश, कीमत बढ़ी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी से भारत में महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल

 

नई दिल्ली। तेल उत्पादकों के मंच ओपेक के सदस्य देशों तथा रूस जैसे उनके अन्य मित्र उत्पादक देशों के बीच कच्चे तेल के दैनिक उत्पादन में पांच लाख बैरल की अतिरिक्त कमी किए जाने की शुक्रवार को सहमति बन गई। यह समझौता पहली जनवरी से लागू होगा।

 

लंबी बातचीत के बाद फैसला

 

यह कटौती उत्पादन का स्तर कम रखने के लिए उनके बीच इस समय चल रही सहमति के अतिरिक्त है। वियना में ओपेक के मुख्यालय पर इन देशों के मंत्री लंबी माथापच्ची के बाद नए करार पर पहुंचे। उत्पादक देशों का मानना है कि इस समय वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति जरूरत से अधिक है, इससे कीमतें नीचे आने का जोखिम है। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि मंत्रियों ने दैनिक उत्पादन में पांच लाख बैरल की और कमी करने का फैसला किया है। यह निर्णय एक जनवरी 2020 से लागू होगा।

 

पहले से ही हो रही है 12 लाख बैरल की कटौती

 

इससे पहले इन देशों में गत दिसंबर में उत्पादन को अक्टूबर 2018 के स्तर से 12 लाख बैरल कम करने का समझौता हुआ था। जुलाई में इस समझौते को और आगे के लिए प्रभावी कर दिया गया। कटौती मार्च 2020 तक बनाए रखने का निर्णय हुआ था। ओपेक और सहयोगी देशों के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल 1.58 फीसदी के उछाल के साथ 64.39 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। वहीं अमेरिकी डब्ल्यूटीआई क्रूड 1.32 फीसदी के उछाल के साथ 59.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।

 

महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल

 

कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में आए उछाल से घरेलू बाजार भी प्रभावित होगा। जानकारों का कहना है कि यदि कच्चा तेल लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहता है तो भारत में पेट्रोल-डीजल महंगे हो सकते हैं।

व्यापारियों ने ई-कामर्स कम्पनियों पर नियन्त्रण हेतु सोनिया गाँधी को पत्र लिखा 

ई-कामर्स कम्पनियों पर नियन्त्रण हेतु नियामक आयोग का गठन एवं खुदरा व्यापार बचाने हेतु समुचित नीति

 

रायबरेली - अखिल भारतीय उद्योग व्यापर मंडल के पदाधिकारियों ने जिले की संसद सदस्य सोनिया गाँधी को भेजा पत्र ई कॉमर्स कम्पनियो पर नकेल कसने की मांग की  सांसद  प्रतिनिधि के माध्यम से भेजा ज्ञापन।  व्यापारियों ने पत्र में लिखा है की आज देश में लगभग 20 करोड छोटे-बड़े खुदरा व्यापारी और उद्यमी हैं। जिनसे जुड़े परिवारों की संख्या यदि गिनी जाये तो लगभग 60 करोड़ के आस-पास होती है. जो लोग अपना भरण-पोषण उद्योग और व्यापार के माध्यम से कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का खुदरा व्यापार में सीधा प्रवेश खुदरा व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। विक्री घट गयी है. सरकार का राजस्व निरन्तर कम होता जा रहा है। इस ओर भारत सरकार को बहुत गम्भीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है कि देश का परम्परागत खुरा व्यापार और उद्योग जिन्दा रहे और उससे जुड़े करोड़ो लोग बेरोजगारी के मुहाने पर पहुंचने से बच जाये और उसके लिए सबसे आवश्यक है कि विदेशी बहुराष्ट्रीय अमेजन और फिलपकार्ट पर सरकार द्वारा नकेल कसी जाये। नियमों व कानूनों का उल्लघंनकरके मनमानी करते हुए यह कम्पनियों देश के खुदरा व्यापार को बहुत नुकसान पहुंचा चुकी है।

मूडीज ने भारत की रेटिंग घटाई , कहा- आर्थिक कमज़ोरी से निपटने के लिए सरकार की नीतियां प्रभावी नहीं

मूडीज ने भारत की रेटिंग घटाई , कहा- आर्थिक कमज़ोरी से निपटने के लिए सरकार की नीतियां प्रभावी नहीं

 

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य बदलते हुए इसे ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया है. एजेंसी ने भारत के लिए बीएए2 विदेशी-मुद्रा एवं स्थानीय मुद्रा रेटिंग की पुष्टि की है.

 

नई दिल्ली: मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य बदलते हुए इसे ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है.

एजेंसी ने भारत के लिए बीएए2 विदेशी-मुद्रा एवं स्थानीय मुद्रा रेटिंग की पुष्टि की है.

रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘परिदृश्य को नकारात्मक करने का मूडीज का फैसला आर्थिक वृद्धि के पहले के मुकाबले काफी कम रहने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है. मूडीज के पूर्व अनुमान के मुकाबले वर्तमान की रेटिंग लंबे समय से चली आ रही आर्थिक एवं संस्थागत कमजोरी से निपटने में सरकार एवं नीति के प्रभाव को कम होते हुए दिखाती है. जिस कारण पहले ही उच्च स्तर पर पहुंचा कर्ज का बोझ धीरे-धीरे और बढ़ सकता है.’

जोखिम से बचाव समेत विभिन्न मुद्दों पर परामर्श देने वाली कंपनी फिच सॉल्यूशंस ने भारत के राजकोषीय घाटे को लेकर अपने अनुमान को पिछले दिनों बढ़ाया है. अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.6 प्रतिशत पर रह सकता है. सुस्त आर्थिक वृद्धि और कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती से राजस्व संग्रह को होने वाला नुकसान को देखते हुए राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया गया है.

बीते दिनों विश्व बैंक की ईज ऑफ ड्यूंग बिजनेस (कारोबार सुगमता) की रैंकिंग में भारत की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. भारत 14 स्थान की छलांग के साथ विश्व रैंकिंग में 63वें स्थान पर पहुंच गया है.

गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को संबोधित करते हुए कहा था कि निवेश के मामले में भारत की वैश्विक रैंकिंग में सुधार हुआ है. इससे पता चलता है कि सरकार जमीनी हकीकत को जान कर फैसले ले रही है.

सोना बेचने की अफवाह से ही क्यों देश की अर्थव्यवस्था में मच गई अफरा-तफरी

आरबीआई के महज सोना बेचने की अफवाह से ही क्यों देश की अर्थव्यवस्था में मच गई अफरा-तफरी

 

अगस्त-अंत तक 618.2 टन सोने की हिस्सेदारी के साथ, आरबीआई सोने के भंडार के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 केंद्रीय बैंकों में से एक है

 

नई दिल्ली : पिछले सप्ताह इकोनॉमिक टाइम्स ने जब यह रिपोर्ट किया कि भारतीय रिजर्व बैंक सोने को बेच सकता है, और अपने दावे के लिए केंद्रीय बैंक के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक डाटा का इस्तेमाल किया तो यह चेतावनी के लिए था क्योंकि इस कदम को एक और संकेत के रूप में देखा गया कि भारत का आर्थिक संकट कितना गंभीर हो गया है. हालांकि, आरबीआई ने रिपोर्ट का जल्दी से खंडन किया था और सोने की हिस्सेदारी वैल्यूएशन में बदलाव के लिए वैल्यूएशन की फ्रिक्वेंसी में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया था.

साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक (डब्ल्यूएसएस) मूल्य में उतार-चढ़ाव साप्ताहिक से मासिक से आधार पर पुनर्मूल्यांकन की फ्रिक्वेंसी में दिखाए गए परिवर्तन के कारण होता है और यह सोने और लेन-देन की दरों के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर आधारित है.

 

डाटा से पता चलता है कि अगस्त के अंत तक आरबीआई अपने 618.2 टन सोने के साथ सोने के भंडार के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 केंद्रीय बैंकों में शामिल हो गया है.

पिछले दो सालों से आरबीआई लगातार अपने सोने के भंडार को बढ़ा रहा है, विश्व वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का डाटा बताता है कि यह डॉलर से परे अपने भंडार में विविधता लाने के लिए सोने की होल्डिंग को जोड़ना चाहता है.

नजर इस पर है कि क्यों सोने को बेचना अर्थव्यवस्था में तनाव का संकेत माना जाता है.

 

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत का स्वर्ण भंडार 26.86 बिलियन डॉलर या 1.91 लाख करोड़ रुपये था, जबकि कुल विदेशी मुद्रा भंडार 440.7 बिलियन डॉलर.

इसका मतलब है कि भारत की सोने की होल्डिंग कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 6.1 प्रतिशत है, जबकि लगभग 93 प्रतिशत भंडार अमेरिकी डॉलर और यूरो जैसी विभिन्न विदेशी मुद्राओं में में है.

 

क्यों सोने के भंडार का मूल्य बिना मात्रा में परिवर्तन के बदल सकता है

 

सोने की कीमतों में बदलाव और लेन-देन दरों में उतार-चढ़ाव के कारण, सोने के भंडार की मात्रा में भौतिक बदलाव के बिना भी स्वर्ण भंडार का मूल्य बदल सकता है.

मुद्राओं के प्रदर्शन के आधार पर भारतीय टोकरे में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां भी बदलती रहती हैं. इसे पुनर्मूल्यांकन प्रभाव कहा जाता है.

 

भारत ने कब शुरू किया था सोने का भंडारण बढ़ाना

 

भारत का स्वर्ण भंडार सब से कम 358 टन था जब डी सुब्बाराव ने रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद 2008 की सितम्बर में संभाला था. वैश्विक वित्त संकट के बाद, भारत ने अंतर्राष्ट्रिय मुद्रा कोष से 200 टन सोना 2009 में खरीदा.

भारत  ने 2018 में एक बार फिर सोना खरीदना शुरू किया. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का डाटा बताता है कि पिछले 18 महीनों में उसने 60 टन से ज्यादा सोना जोड़ा है.

पिछले महीने गोल्डहब नें प्रकाशित एक लेख में सुब्बाराव ने अपने कार्यकाल में इतनी मात्रा में सोने की खरीद का कारण बताया था. इस दौरान भारत का स्वर्ण भंडार 55 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ा था.

उनका कहना था, ‘सोना एक अच्छा लंबी अवधि के लिए किया गया निवेश है और एक विश्वसनीय भंडार है. ‘उनका साथ ही कहना था कि अगर नए उभरते बाज़ार डॉलर पर एक्सचेंज रेट की अस्थिरता के लिए निर्भर नहीं कर सकते, तो उनके पास बहुत कम उपाय बचते हैं, सिवाय इसके कि वे अपनी रक्षा के साधन स्वयं तैयार करें.’

उनका साथ ही कहना था, ‘अपने पास सोने का भंडार रखना अपनी रक्षा करने का मुख्य साधन है.’

 

क्यों केंद्रीय बैंक के द्वारा सोना बेचा जाना मंदी को दिखाता है

 

शुरुआती खबरों में आरबीआई द्वारा सोना बेचे जाने की बात देश के आर्थिक सेहत की चिंता की बात को लेकर शुरू हुई. पिछली बार आरबीआई ने 1991 में आई वित्तीय संकट के दौरान सोना गिरवी रखा था उस दौरान घटता विदेशी मुद्रा भंडार आवश्यक वस्तुओं के लिए भारत के आयात बिल को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था.

उस दौरान भारत ने बैक ऑफ इंग्लैंड और यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड को 67 टन सोना गिरवी रखा था ताकि वह अपने 600 डॉलर मिलियन के बैलेंस ऑफ पेमेंट (भुगतान संतुलन) संकट से उबर पाए.

पिछले दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था की डगमगाती स्थिति से निपटने और आरबीआई की बिमल जाना पैनल द्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपए भारत सरकार को दिए जाने पर भी यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि केंद्रीय बैंक सोने की होल्डिंग की बिक्री के माध्यम से संसाधन जुटाने की कोशिश कर रहा है.

 

दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने पास जमा सोना बढ़ा रहे हैं

 

कई केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार को बढ़ा रहे हैं. 2018 में, दुनिया भर के केंद्रीय बैंको नें 651 टन सोना खरीदा जो कि पिछले 50 सालों में ब्रेटन वुड्स सिस्टम खत्म होने के बाद से सबसे ज़्यादा है.

 

विश्व स्वर्ण परिषद का मानना है कि सोने का भंडार इसलिए बढ़ा है क्योंकि भूराजनीतिक तनाव बढ़े, कई राजनीतिक और आर्थिक कारक भी हैं और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव आ रहे हैं.

परिषद ने सितम्बर 2019 में जारी अपनी एक रिपोर्ट– दि सेंट्रल बैंकर्स गाईड जो गोल्ड एस ए रिज़र्व असेट में लिखा है, ‘ सोना ही एक ऐसा असेट है जिसपर कोई राजनीतिक और श्रृण जोखिम नहीं है, न इसका प्रिंटिंग प्रेस से अवमूल्यन हो सकता है ना ही असाधारण मौद्रिक नीति के उपाय ला कर.’

 

 

इंफोसिस का शेयर 16 प्रतिशत गिरा, विसलब्लोअर की शिकायत से बाज़ार में चिंता

इंफोसिस का शेयर 16 प्रतिशत गिरा, विसलब्लोअर की शिकायत से बाज़ार में चिंता

 

अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने की विसलब्लोअर समूह की शिकायत को लेकर बाज़ार में चिंता देखी गयी. बीएसई पर कंपनी का शेयर 15.94 प्रतिशत गिरकर 645.35 रुपये पर आ गया. वहीं एनएसई पर यह 15.99 प्रतिशत घटकर 645 रुपये प्रति शेयर रह गया.

 

नयी दिल्ली: देश की दूसरी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस का शेयर मंगलवार को 16 प्रतिशत तक गिर गया.

कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ लघु अवधि में लाभ बढ़ाने के लिए अनैतिक कारोबारी गतिविधियों में शामिल होने की विसलब्लोअर समूह की शिकायत को लेकर बाज़ार में चिंता देखी गयी. इसके चलते सुबह में कारोबार के दौरान कंपनी का शेयर 16 प्रतिशत तक गिर गया.

 

बीएसई पर कंपनी का शेयर 15.94 प्रतिशत गिरकर 645.35 रुपये पर आ गया. वहीं एनएसई पर यह 15.99 प्रतिशत घटकर 645 रुपये प्रति शेयर रह गया.

व्हिसलब्लोअर समूह ने कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय के खिलाफ लघु अवधि में आय और लाभ बढ़ाने के लिए ‘अनैतिक कामकाज’ में लिप्त होने का आरोप लगाया है. उनकी इस शिकायत को सोमवार को कंपनी की प्रक्रिया के अनुरूप ऑडिट समिति के सामने रखा गया.

रिपोर्टों के अनुसार शिकायत करने वाला समूह खुद को ‘नैतिक कर्मी’ बता रहा है.

ऑडिटर करेंगे जांच

मंगलवार को एक बयान में कंपनी के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि कंपनी की ऑडिट समिति इस मामले में एक स्वतंत्र जांच करेगी.

इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मंगलवार को कहा कि कंपनी की ऑडिट समिति मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय के खिलाफ व्हिसिलब्लोअर समूह द्वारा लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच करेगी.

खुद को ‘नैतिक कर्मी’ बताने वाले कंपनी के एक व्हिसलब्लोअर समूह ने पारेख और रॉय के खिलाफ लघु अवधि में आय और लाभ बढ़ाने के लिए ‘अनैतिक कामकाज’ में लिप्त होने का आरोप लगाया है. उनकी इस शिकायत को कंपनी की व्हिसलब्लोअर नीति के अनुरूप सोमवार को ऑडिट समिति के सामने रखा गया.

शेयर बाज़ार को दी सूचना में नीलेकणि ने एक बयान में कहा कि समिति ने स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर ईकाई और कानूनी फर्म शारदुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी से स्वतंत्र जांच के लिए परामर्श शुरू कर दिया है.

नीलेकणि ने कहा कि कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्यों में से एक को 20 और 30 सितंबर 2019 को दो अज्ञात शिकायतें प्राप्त हुईं थीं.

कंपनी ने सोमवार को व्हिसलब्लोअर की शिकायत को ऑडिट समिति के समक्ष पेश करने जानकारी दी थी.

धनतेरस से पहले और बढ़ेंगे सोने के भाव, जाएगा 40,000 रुपये के पार

नई दिल्ली: घरेलू सर्राफा बाजार में सोने और चांदी के भाव में फिर जोरदार तेजी देखने को मिल सकती है, क्योंकि पितृपक्ष समाप्त होने के बाद 29 नवंबर से नवरात्र शुरू हो रहा है, जब महंगी धातुओं की खरीदारी जोर पकड़ने वाली है. ऐसे में सोने का भाव फिर एक बार 40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर जा सकता है. कमोडिटी बाजार विश्लेषकों की मानें तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना आगामी त्योहारी सीजन में भारतीय बाजार में 40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर जा सकता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने में 1,500-1,600 डॉलर प्रति औंस के बीच कारोबार देखने को मिल सकता है.

हाल ही में सोना घरेलू सर्राफा बाजार में 40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर चल गया था.

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापारिक टकराव और खाड़ी क्षेत्र के जियोपॉलिटिक टेंशन (भू-राजनीतिक तनाव) के कारण निवेशकों का रुझान लगातार सोने में बना हुआ है क्योंकि निवेशक मौजूदा वैश्विक माहौल में सुरक्षित निवेश के साधन तलाश रहे हैं जिसमें सोना उनकी पहली पसंद है.

भारत में आगे धनतेरस और दिवाली का त्योहार है, जिसे सोने और चांदी समेत नई चीजें खरीदने का शुभ मुहुर्त बना जाता है.

जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट शांति भाई पटेल ने कहा कि नवरात्र से शुरू होने वाली खरीदारी आगे धनतेरस और दिवाली तक जोरों पर रहेगी. इसके बाद आगे शादी का सीजन शुरू हो रहा है, जिससे घरेलू बाजार में सोने और चांदी की मांग बनी रहेगी.

वहीं, जयपुर के आभूषण कारोबारी सुशील मेघराज का कहना है कि सोने और चांदी में इस साल लगातार तेजी का रुझान है और जब महंगी धातुओं में तेजी रहती है तो खरीदारी ज्यादा होती है.

आमतौर पर कोई वस्तु जब सस्ती होती है तो लोग उसकी खरीदारी ज्यादा करते हैं, लेकिन सर्राफा बाजार का नजरिया कुछ अलग ही है. कारोबारी बताते हैं कि यह नियम सिर्फ उपभोक्ता वस्तुओं में लागू होता है, निवेश के साधन में नहीं. सोना और चांदी की खरीदारी का मकसद निवेश भी होता है.

मेघराज ने कहा, ‘सोने और चांदी के भाव में मंदी रहने पर कोई खरीदारी नहीं करना चाहता है. लेकिन जब तेजी रहती है तो भाव और बढ़ने की संभावनाओं से खरीदारी तेज हो जाती है.’

केडिया ने बताया कि अमेरिका में 10 साल के बांड से मिलने वाली आय कम होने से और डॉलर में कमजोरी रहने से सोने के भाव को सपोर्ट मिल रहा है. उन्होंने बताया कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की एपसीडीआर गोल्ड होल्डिंग पिछले सप्ताह 908.52 टन हो गई, जोकि नवंबर 2016 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है.

वहीं, मुंबई कमोडिटी कंसल्टेंट टी. गणशेखर ने कहा कि अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव के कारण वैश्विक आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने को सपोर्ट मिल रहा है जिससे अगले महीने भाव 1,600 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है. वहीं, घरेलू सर्राफा बाजार में 40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर का भाव देखने को मिल सकता है.

कारोबारियों ने बताया कि त्योहारी सीजन में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आभूषण कारोबारी मेकिंग पर 15-20 फीसदी की छूट देने की विशेष पेशकश करने वाले हैं.

भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर बुधवार को सोने के अक्टूबर वायदा अनुबंध में मामूली तेजी के साथ 38,160 रुपये प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था. चांदी का दिसंबर अनुबंध 178 रुपये की तेजी के साथ 48,200 रुपये प्रति किलो पर बना हुआ था.

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर हालांकि सोने के दिसंबर अनुबंध में करीब दो डॉलर की नरमी के साथ 1,538.15 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले दैनिक कारोबार के दौरान भाव 1,542.55 डॉलर प्रति औंस तक उछला. कॉमेक्स पर चांदी के दिसंबर अनुबंध में मामूली तेजी के साथ 18.64 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था.

एलएनजी के लिए अमेरिकी कंपनी से 7.5 अरब डॉलर का करार

न्यूयॉर्क : अमेरिकी ऊर्जा कंपनी टेलुरियन ने भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड के साथ 7.5 अरब डॉलर के करार की घोषणा की है. पेट्रोनेट शेल गैस के निर्यात को लेकर हुए अमेरिका में इस संभवत: सबसे बड़े विदेशी निवेश के तहत  लुज़ियाना में टेलुरियन के प्रस्तावित लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) टर्मिनल में हिस्सेदारी हासिल करेगी.

पेट्रोनेट 28 अरब डॉलर की ड्रिफ्टवुड एलएनजी टर्मिनल परियोजना में 2.5 अरब डॉलर का निवेश कर 18 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करेगी, जो कि परियोजना में अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी है. इसके एवज में कंपनी सालाना 50 लाख टन प्राकृतिक गैस खरीद सकेगी. टेलुरियन की सीईओ मेग जेन्टल ने कहा कि परियोजना के लिए शेष धन कर्ज के रूप में जुटाया जाएगा.

दोनों कंपनियों की 31 मार्च तक इस करार को पूरा करने की योजना है. टेलुरियन को उम्मीद है कि तब तब उसे और भी साझेदार मिल जाएंगे और परियोजना का काम शुरू हो सकेगा.

टेलीफोन पर साक्षात्कार में जेंटल ने कहा, ‘हम अगले साल की पहली तिमाही में दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करेंगे और साथ-साथ ही हमारे पास धन भी उपलब्ध होगा, और फिर हम निर्माण का कार्य शुरू कर देंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत एलएनजी के सर्वाधिक तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों में से है और शीघ्र ही वो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक बन सकता है.’

ह्यूस्टन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुआ ये करार साबित करता है कि अमेरिकी एलएनजी उद्योग के लिए ये शानदार साल रहा है, जब अरबों डॉलर की निर्यात परियोजनाओं को हरी झंडी दी गई. अमेरिका में शेल गैस के उत्पादन में आई तेज़ी के कारण कभी सीमित मात्रा में मिलने वाला ये ऊर्जा उत्पाद अब भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी उपलब्ध हो गया है. भारत इस समय अमेरिकी एलएनजी का छठा सबसे बड़ा खरीदार है.

टेलुरियन के सह संस्थापक शरीफ सौकी ने इस बारे में कहा, ‘इस करार पर किसी को अचरज नहीं होना चाहिए. अमेरिका और भारत की समस्याएं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. हमारे पास इतनी अधिक गैस है कि हमें पता नहीं कि उसका क्या करें, जबकि भारत को भारी मात्रा में गैस की ज़रूरत है, और एक बार में 10 लाख टन से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है.’

पेट्रोनेट का करार अमेरिकी एलएनजी को लेकर किसी भारतीय कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा है. ये गैस उद्योग के लिए अति महत्वपूर्ण गैसटेक सम्मेलन के कुछ ही दिनों बाद और मोदी की बहुप्रतीक्षित टेक्सस यात्रा के दौरान हुआ है. मोदी रविवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में 50,000 से अधिक लोगों की एक सभा को संबोधित कर रहे हैं.

पेट्रोनेट का निवेश किसी विदेशी कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा निवेश साबित हो सकता है. इसी स्तर के एक सौदे पर सेंप्रा एनर्जी और सऊदी अरामको के बीच टेक्सस में बातचीत चल रही है.

जेंटल ने कहा कि टेलुरियन को ड्रिफ्टवुड परियोजना के पहले चरण के लिए आवश्यक अंतिम 40 लाख टन गैस पर अगले कुछ महीनों में एक या दो संभावित साझेदारों के साथ समझौते हो जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पेट्रोनेट की हिस्सेदारी ड्रिफ्टवुड परियोजना के कार्यकाल के दौरान सालाना 2 अरब डॉलर की ईंधन बिक्री के समतुल्य है.

सौकी ने कहा कि ये परियोजना ड्रिलिंग और पाइपलाइन उद्योगों का समर्थन करती है और इसमें भारी मात्रा में संसाधनों का इस्तेमाल होगा.

आखिर क्यों सरकार के इस ऐलान के बाद होटल, रत्न, आभूषण, रक्षा, वाहन क्षेत्र को पहुंचेगा फायदा?

 भारतीय कार्पोरेट जगत के लिए शुक्रवार एक महत्वपूर्ण दिन साबित हुआ. कॉर्पोरेट कर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी करने सहित कई तरह की कर रियायतों के बाद, जीएसटी परिषद ने मांग बढ़ाने के लिए कई वस्तुओं और सेवाओं पर कर घटा दिया है. जीएसटी दर में कटौती से जिन क्षेत्रों को फायदा होगा, उसमें होटल, रत्न और आभूषण, रक्षा और वाहन प्रमुख हैं.

जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अब 7,500 रुपये प्रति रात से अधिक किराए वाले होटल रूम पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा. वहीं 1,000 रुपये से 7,500 रुपये तक के किराए वाले होटल रूम पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा तथा 1,000 रुपये से कम किराए वाले कमरों को जीएसटी नहीं देना होगा.

परिषद ने पत्ती और खाल से निर्मित कप-प्लेट पर जीएसटी नहीं लगाने का फैसला किया है. हालांकि कैफिनेटेड वेबरेज (कोला जैसे ड्रिंक्स) पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दी गई है और उनपर 12 फीसदी का सेस भी लगेगा.

परिषद ने रक्षा उत्पादों को जीएसटी से छूट दी है, ताकि इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सके.

अन्य प्रमुख मदों में, परिषद ने 10-13 लोगों के बैठने की क्षमता वाले यात्री वाहनों पर कंपेनसेसन सेस को 1-3 फीसदी घटा दिया है, जिससे उनकी कीमतें कम होंगी.

हालांकि, रेलवे वैगन, कोच और रोलिंग स्टॉक जीएसटी पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है.

संशोधित जीएसटी दरें एक अक्टूबर, 2019 से प्रभावी होंगी.

रत्न और आभूषण क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए परिषद ने पॉलिस्ड सेमी प्रीसियस वस्तुओं पर जीएसटी की दर को तीन फीसदी से घटाकर 0.25 फीसदी कर दिया है.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कमजोर रहने के कारण मोदी सरकार ने विकास को बढ़ावा देने और कारोबारी भावनाओं को उभारने के लिए कई कदम उठाएं हैं.

अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर घटकर छह साल के निचले स्तर पर पांच फीसदी पर पहुंच गई थी.

वित्तमंत्री सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 23 अगस्त से चार बार विभिन्न उपायों की घोषणा की है, इसी कड़ी में शुक्रवार को ये घोषणाएं की गईं.