News Plus

ईरान ने इराक के ग्रीन जोन पर दागे रॉकेट

ईरान ने इराक के ग्रीन जोन पर दागे रॉकेट, अमरिकी संसद ट्रंप की ताकत को कम करने के लिए आज करेगा मतदान

 

हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने कहा कि ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियों में कटौती को लेकर सदन में मतदान कराएगा.

 

बगदाद: ईरान ने एक बार फिर इराक की राजधानी पर रॉकेट से हमला किया है. बगदाद के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र ग्रीन जोन में बुधवार को दो रॉकेट आकर गिरे. इस इलाके में अमरिकी मिशन समेत अन्य देशों के दूतावास स्थित हैं. सुरक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी. बता दें कि ईरान ने जहां रॉकेट दागे हैं वह ग्रीन जोन है. हालांकि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

वहीं अमरिकी संसद में आज राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ईरान के साथ युद्ध करने से रोकने के लिए मतदान किए जाने हैं. हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने कहा कि ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप की शक्तियों में कटौती को लेकर सदन में मतदान कराएगा.

 मिसाइल दागने के बाद ईरान बोला-हम इराक की संप्रभुता का सम्मान करते हैं

इराक में अमरिकी सैनिकों के ठिकानों पर मिसाइलें दागने के बाद ईरान ने बुधवार को कहा कि वह इराक की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है. बुधवार तड़के हुए हमले को लेकर इराक ने कहा था कि वह ईरान के राजदूत को तलब करेंगे.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस को लिखे गए पत्र में संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत माजिद तख्त रवांची ने कहा कि उनका देश ‘इराक की स्वतंत्रता, संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान करता है.’

इस हमले में इराक या अमेरिका की सेना से कोई हताहत नहीं हुआ.

ईरान मिशन की ओर से जारी पत्र में राजनयिक ने कहा, ‘ इस अभियान में सैन्य प्रतिष्ठानों का निशाना बनाकर हमला किया गया था इसलिए किसी भी असैन्य व्यक्ति या क्षेत्र में स्थित असैन्य संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

पत्र में ईरान ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने को लेकर समर्पित है और वह युद्ध को बढ़ाना नहीं चाहता है. इराक के विदेश मंत्री ने बुधवार को कहा कि वह ईरान के राजदूत को तलब करेंगे क्योंकि मिसाइल हमला इराक की संप्रभुता का उल्लंघन था.

इराक पिछले शुक्रवार को हुए अमेरिकी ड्रोन हमले के मामले में अमरिकी राजनयिक को तलब कर चुका है.

बता दें कि इस हमले के लगभग 24 घंटे पहले तेहरान ने इराकी अड्डों पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमले किए थे. उन अड्डों पर अमरिकी बल और गठबंधन बल ठहरे हुए थे. सैन्य अड्डों पर हमले ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का अमरिका से बदला लेने के लिए किए गए थे.

ग्रीन जोन में हमले के बाद सुरक्षा सायरन बजने लगे.

ईरान ने अमेरिकी एयरबेस पर किया हमला, विदेश मंत्री बोले- बदला पूरा

इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने हमले में एक दर्जन से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागे गए है. अमेरिका और ईरान के बीच तनाव उस दिन से ज्यादा बढ़ गया है, जब अमेरिका ने बगदाद में ड्रोन हमला कर ईरान के कुद्स कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराया था.

 

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने हमले को आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताया. और कहा कि इसके साथ ही अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला पूरा हो गया है. उन्होंने बताया कि इस हमले में उस अड्डे को निशाना बनाया गया, जहां से नागरिकों और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कायरतापूर्ण सैन्य हमला किया गया था. 

 

ईरान में पेंटागन 'आतंकी’ घोषित

ईरान की संसद ने अमेरिका के पेंटागन और उसकी मिलिट्री को 'आतंकी संगठन घोषित' करने के लिए एक बिल पास किया है. संसद में एक स्पेशल धारा के तहत विधेयक पारित किया गया है. ये विधेयक जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद लाया गया है.

ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ ने मंगलवार को बताया कि अमेरिका ने उन्हें न्यू यॉर्क स्थित UN जाने के लिए वीजा जारी करने से मना कर दिया है. जारिफ ने कहा, "ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अमेरिका को डर है कि कोई वहां जाकर सब सच सच बता देगा तो फिर उसकी पोल खुल जाएगी." जारिफ ने कहा कि दुनिया केवल न्यू यॉर्क तक सीमित नही है और वो तेहरान से भी आवाज उठा सकते हैं.

 

ईरान ने जवाबी हमला किया तो 52 ठिकानों पर दागेंगे बम : ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान अमेरिकी जवानों या संपत्ति पर हमला करता है तो अमेरिका 52 ईरानी ठिकानों को निशाना बनाएगा. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका उन पर ‘बहुत तेजी से और जोरदार हमला’ करेगा.

 

ट्रंप ने कहा,ईरान ने एक साल में 52 लोगों को बंधक बनाया था

ट्रंप ने इराक में एक शीर्ष ईरानी जनरल को निशाना बनाकर शुक्रवार को ड्रोन हमला किए जाने का बचाव करते हुए ट्वीट किया कि 52 अंक उन लोगों की संख्या को दर्शाता है, जिन्हें एक साल से अधिक समय तक तेहरान में अमेरिकी दूतावास में 1979 में बंधक बनाकर रखा गया था

 

ट्रंप ने ट्वीट किया कि इनमें से कुछ जगहें ‘बहुत उच्च स्तर के और ईरान और ईरानी संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन जगहों और ईरान पर बहुत तेजी से जोरदार तरीके से हमला किया जाएगा. अमेरिका को अब और खतरा नहीं चाहिए. 

 

 

सुलेमानी की मौत से मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर

अमेरिका की ओर से शुक्रवार को इराक में किए गए ड्रोन हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. इस हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है. अमेरिका ने 3 जनवरी को बगदाद में ईरान के कद्स फोर्स के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की. सुलेमानी ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडर्स में से एक थे और सुप्रीम लीडर के बेहद करीबी माने जाते थे.

बगदाद एयरपोर्ट पर अमेरिकी हवाई हमले में सुलेमानी के साथ कताइब हिजबुल्लाह के कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस की भी मौत हो गई है. सुलेमानी जिस कद्स फोर्स के प्रमुख थे, वो ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स की एक ब्रांच है. इस फोर्स का काम ईरान से बाहर चल रहे मिलिट्री मिशन को संभालना है.

 

सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि संभावित जवाबी कार्रवाई का पहला संकेत देते हुए बगदाद में अमेरिकी दूतावास के निकट के एक इलाके में मोर्टार के दो गोले दागे गए. उन्होंने बताया कि इसी दौरान अमेरिकी बलों की तैनाती वाले अल-बलाद वायुसेना अड्डे पर दो रॉकेट गिराए गए

इराकी सेना ने अल बलाद और बगदाद में मिसाइल हमलों की पुष्टि की है और कहा है कि इनमें कोई हताहत नहीं हुआ. अमेरिका ने भी कहा है कि गठबंधन का कोई जवान हताहत नहीं हुआ.

(भाषा के इनपुट के साथ )

दुखद’: ऑस्ट्रेलिया में आग से 480,000,000 पशु-पक्षी जलकर मरे

(चेतावनी: इस स्टोरी में जानवरों की परेशान करने वाली तस्वीरें हैं)

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य के जंगलों में भयानक आग लगी है. इस आग में करीब 50 करोड़ जानवर जलकर मर गए हैं. इसमें हजारों कोआला जानवरों की भी मौत हुई है. हफिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के ईकोलॉजिस्ट का अनुमान है कि 480 मिलियन (करीब 48 करोड़) स्तनधारी पशुओं, पक्षियों, सरीसृप (रेंगने वाले जीव) की मौत हुई है.

 

सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में जाने की वजह से ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग का मौसम होता है. गर्मियों के मौसम असामान्य रूप से गर्म और शुष्क सर्दियों के बाद शुरू हुआ. सितंबर में न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड राज्यों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और हवा के हालातों ने जंगल की भयानक आग को जन्म दिया.

 

कोआला जानवरों की तादाद में बेतहाशा गिरावट

 

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ उत्तरी सिडनी के जंगलों में लगी आग की वजह से हजारों हजार कोआला जानवर आग में जलकर खाख हो गए.

 

न्यू साउथ वेल्स का मध्य-उत्तरी इलाका 28,000 कोआलों के रहने का स्थान था, लेकिन हाल के महीनों में लगी आग ने उनकी आबादी को काफी कम कर दिया है. कोआला ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी हैं और देश के सबसे प्यारे जानवरों में से एक हैं, लेकिन निवास स्थान के नुकसान के कारण खतरे में हैं.

रक्तपात रोकने के लिए किया गया हमला:अमेरिका

सुलेमानी हमारे जवानों और राजनयिकों पर हमले का षडयंत्र रच रहा था, रक्तपात रोकने के लिए किया गया हमला:अमेरिका

 

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ओ’ ब्रायन ने आरोप लगाया,' पश्चिम एशिया के देशों में यात्रा कर रहा सुलेमानी दमिश्क से इराक आया था, जहां वह अमेरिकी जवानों और राजनयिकों पर हमले का षड्यंत्र रच रहा था.'

 

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने कहा है कि ईरान के शक्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मारने का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का निर्णय रक्षात्मक था और इसे भविष्य में रक्तपात रोकने के लिए लिया गया था.

ओ’ ब्रायन ने आरोप लगाया,’ पश्चिम एशिया के देशों में यात्रा कर रहा सुलेमानी दमिश्क से इराक आया था, जहां वह अमेरिकी जवानों और राजनयिकों पर हमले का षड्यंत्र रच रहा था.’

ओ’ब्रायन ने जनरल के मारे जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा,’यह और रक्तपात रोकने के लिए की गयी रक्षात्मक कार्रवाई थी.’

ट्रम्प ने बयान दिया था कि यह कार्रवाई युद्ध शुरू करने के लिए नहीं, बल्कि युद्ध रोकने के लिए की गई थी.

ओ’ब्रायन ने ट्रम्प के इसी बयान का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस हमले का लक्ष्य उन हमलों को रोकना था जिनका षड्यंत्र सुलेमानी रच रहा था. इसका लक्ष्य भविष्य में अमेरिकियों के खिलाफ ईरान के परोक्ष या आईआरजीसी कुद्स बल के जरिए किए जाने वाले प्रत्यक्ष हमले को रोकना था.’

उन्होंने कहा,’राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ तौर पर कहा है कि उन्होंने ईरान के साथ बिना शर्त वार्ता का प्रस्ताव रखा था. वह ईरान के साथ शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। दुर्भाग्य से, राष्ट्रपति के ये प्रयास खारिज कर दिए गए.’

उन्होंने आरोप लगाया कि सुलेमानी का अमेरिकियों पर हमले करने का लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने सुलेमानी पर ‘असद के शासन और सीरिया में उसके नृशंस प्रयासों’ का समर्थन करने का भी आरोप लगाया.

ओ’ब्रायन ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने यह साफ कर दिया है कि यदि ईरान बदले की कार्रवाई करता है या तनाव को बढ़ाता है तो यह बहुत खराब फैसला होगा.

उल्लेखनीय है कि जनरल सुलेमानी ईरान के अल-कुद्स बल के प्रमुख थे. शुक्रवार को बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से रवाना हुए उनके काफिले पर किए गए अमेरिकी ड्रोन हमले में वह मारे गए.हमले में ईरान के शक्तिशाली हशद अल-शाबी अर्द्धसैनिक बल के उप प्रमुख की भी मौत हो गई थी.

इसके एक दिन बाद शनिवार तड़के अमेरिका ने एक ताजा हवाई हमले में इराक के हशद अल शाबी अर्द्धसैन्य बल के सदस्यों को निशाना बनाया.

 

बगदादी का पीछा करने वाले बेल्जियन मेलिनोइस कुत्ते को क्या चीज खास बनाती है

बगदादी का पीछा करने वाले बेल्जियन मेलिनोइस कुत्ते को क्या चीज खास बनाती है

 

 

भारत में भी एंटी नक्सल ऑपरेशन में बेल्जियन मेलिनोइस का इस्तेमाल किया जाता है. ये पठानकोट ऑपरेशन में भी शामिल थे.

 

नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ घंटों पहले के9 (K9) सैनिक की एक तस्वीर ट्वीट की, जिसने सीरिया के इदलिब में एक अंधेरी और खतरनाक सुरंग के माध्यम से डेल्टा फोर्स के छापे के दौरान आइसिस नेता अबू बकर अल-बगदादी का पीछा किया और अंततः उसे मार डाला

कुत्ते की पहचान अब कॉनन के रूप में की गई है, जो एक बेल्जियन मेलिनोइस है. ऑपरेशन में घायल होने के बाद कॉनन वापस ड्यूटी पर आ गया है.

यह उसी कुत्ते की नस्ल है जिसका उपयोग अमेरिकी नौसेना के जवानों द्वारा 2011 के ऑपरेशन में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए किया गया था.

अपनी फुर्तीली रफ़्तार, तेज दिमाग और शानदार धीरज और आक्रामकता के लिए जानी जाने वाली बेल्जियन मेलिनोइस दुनिया भर में विशेष बलों और सुरक्षा एजेंसियों के नए पसंदीदा के तौर पर उभरी है. एक जर्मन शेफर्ड के विपरीत, ये कुत्ते अपने छोटे आकार के कारण विमान से पैराशूटिंग और तेज़-रोपिंग के लिए एकदम फिट बैठते हैं.

उनका छोटा कोट गर्म वातावरण वाले इलाकों जैसे कि इराक या अफगानिस्तान के लिए भी आदर्श है. हाल के युद्धों में ये नस्ल इतनी प्रमुख रही है कि वॉशिंगटन एक्जामिनर के अनुसार, उत्तरी कैरोलिना के फेएटविले में स्पेशल ऑपरेशन फोर्स डॉग मेमोरियल में एक बेल्जियन मेलिनोइस की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गयी है.

वॉर डॉग: ए सोल्जर्स बेस्ट फ्रेंड (डॉक्युमेंट्री) का निर्देशन करने वाले फिल्मकार देबोराह स्क्रैंटन ने कहा, ‘इन कुत्तों का रैंक उन्हें संभालने वाले से भी एक ज्यादा होता है, इससे पता चलता है कि वो टीम मेंबर के रूप में कितने मूल्यवान हैं. परंपरागत रूप से, कुत्ते एक गैर-कमीशन अधिकारी की रैंक रखते हैं. अमेरिकी सेना के अनुसार, उन्होंने दुर्घटनाओं को रोकने के तरीके के रूप में अपने हैंडलर्स को पछाड़ दिया.

 

कुत्तों की इस नस्ल का इस्तेमाल भारतीय सुरक्षा बल जैसे सीआरपीएफ, कोबरा और आईटीबीपीऔर द्वारा नक्सल विरोधी अभियानों में भी किया जाता है. पठानकोट हमले के दौरान एनएसजी के संचालन का एक हिस्सा कुत्ता भी था जो कि एक आतंकवादी को गिराने में सक्षम हुआ था जिससे सुरक्षा बल उसे आसानी से निशाना बना पाएं.

भारत में बेल्जियन मेलिनोइस

मूलरूप से बेल्जियम से आने वाले मेलिनोइस को हर्डिंग कुत्ते के रूप में जाना जाता है. ये आमतौर पर काले मुखौटे जैसे चेहरे और कानों के साथ भूरे से महोगनी रंगों में पाए जाते हैं. नर की ऊंचाई करीब 24-26 इंच और मादाओं की 22-24 होती है. लिंग के आधार पर इनका वज़न लगभग 20-30 किलोग्राम होता है.

‘हमने पहले जर्मन शेफर्ड और लैब्राडोर का उपयोग किया था. लैब्स को शुद्ध रूप से सूंघने के लिए उपयोग किया जाता था, जबकि जर्मन शेफर्ड का उपयोग आक्रामक कार्यों के लिए भी किया जाता था, ‘डीआईजी एम एल रविंद्र (डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग स्कूल के प्रमुख) ने  बताया.

सीआरपीएफ ने भारत में पहली बार इस नस्ल को लेकर आई और यह अब लंबे अभियानों में शामिल सुरक्षा बलों की पसंदीदा बन चुकी है.

‘नक्सल इलाकों में हमारा अभियान लंबा है और कई दिनों तक चलता रह सकता है जब जवान घने जंगलों के बीच से मार्च करते हुए निकलते हैं. लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड लगभग 3-4 किमी लगातार चल सकते थे. हालांकि, बेल्जियम मेलिनोइस 30 किमी तक लगातार चल सकते हैं. वे बेहद फुर्तीले और आक्रामक हैं लेकिन जर्मन शेफर्ड की तरह ही कमांड सुनते हैं’ रविंद्र ने बताया.

वर्तमान में सीआरपीएफ द्वारा 553 बेल्जियन मेलिनोइस तैनात किए गए हैं जिनमें से 192 का प्रशिक्षण चल रहा है. डीआईजी ने कहा कि बल इस समय लगभग 500 कुत्तों की कमी का सामना कर रहा है. सीआरपीएफ में कैनाइन इकाइयां कई जानों को बचाने में सक्षम रही हैं क्योंकि वे आम तौर पर एक विस्फोटक पदार्थ (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के बारे में सचेत करने वाले सबसे पहले होते हैं.

आईटीबीपी पंचकूला में अपना खुद का प्रशिक्षण केंद्र भी चलाती है और प्रधानमंत्री के विशेष सुरक्षा समूह सहित कई बलों को आपूर्ति करती है.

 

भारत ने किया साफ- कश्मीर पर शी जिनपिंग से नहीं होगी बात, न कोई समझौता

नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 11-12 अक्टूबर को भारत दौरे पर रहेंगे. वह इस दौरान तमिलनाडु के ममलापुरम (महाबलीपुरम) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक करेंगे. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए 11-12 अक्टूबर को भारत में चेन्नई का दौरा करेंगे.’

दोनों नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक चीन के वुहान में 27-28 अप्रैल, 2018 को हुई थी.

बयान के अनुसार, ‘चेन्नई में होने जा रही अनौपचारिक शिखर बैठक दोनों नेताओं को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने और भारत-चीन क्लोजर डेवलपमेंट पार्टनरशिप को और मजबूत करने के संबंध में विचार साझा करने का मंच प्रदान करेगी.’

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक के दौरान कश्मीर और संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के मुद्दों पर कोई बातचीत नहीं होगी, क्योंकि ये मुद्दे भारतीय संविधान और भारत की संप्रभुता से जुड़े हुए हैं. सूत्रों ने यहां यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा, ‘भारत ने (अनुच्छेद 370 पर) अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि यह भारतीय संविधान से संबंधित है, जो हमारी संप्रभुता का मामला है. तो इस पर चर्चा होने का सवाल ही नहीं उठता.’

सूत्रों ने कहा, ‘अगर राष्ट्रपति शी मामले को समझना चाहते हैं तो हम इसे समझाएंगे.’

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने और चीन द्वारा इस पर आपत्ति जताने के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा कि यह कदम स्थानीय जनता द्वारा और विकास तथा अधिकार देने की मांग पर उठाया गया है.

सूत्रों ने कहा कि चीन को भारत का रुख बता दिया गया है कि उसने बाहरी सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है.

सूत्रों ने कहा कि इस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का चीन दौरे पर होने से भारत को फर्क नहीं पड़ता है.

विश्व धरोहर का भ्रमण

तमिलनाडु के ममलापुरम में दोनों नेता यूनेस्को के कुछ विश्व धरोहर स्थलों का भ्रमण करेंगे और कलाक्षेत्र द्वारा प्रस्तुत एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे. चीन के राष्ट्रपति शी, प्रधानमंत्री मोदी से अपनी प्रस्तावित बैठक के लिए 11 अक्टूबर को दोपहर बाद चेन्नई पहुंचेंगे. यह स्थान ममलापुरम से 50 किलोमीटर दूर है.

सूत्रों ने कहा कि दोनों नेता ममलापुरम में शाम को बैठक करेंगे, और प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति जिनपिंग को तटीय शहर में पल्लव शासकों द्वारा निर्मित कुछ ऐतिहासिक धरोहरों पर ले जाएंगे.

उन्होंने कहा कि मोदी चीन के राष्ट्रपति के सम्मान में रात्रिभोज भी देंगे, और दोनों नेता वहां कला क्षेत्र के सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे.

सूत्रों ने बताया कि इसके बाद दोनों नेता 12 अक्टूबर को अपने प्रतिनिधियों के बीच वार्ता के दूसरे चरण में शामिल होंगे, जिसके बाद शी अपराह्न 2 बजे स्वदेश रवाना हो जाएंगे.

दूसरे दिन की वार्ता ताज समूह द्वारा संचालित फिशरमैन्स कोव में होगी.

चूंकि वार्ता अनौपचारिक है तो कोई औपचारिक वार्ता, या किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे.

वार्ता में भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन की तरफ से जिनपिंग के अलावा चीन के विदेश मंत्री वांग यी शामिल होंगे.

सूत्रों के अनुसार, इतिहास और संस्कृति में दोनों नेताओं की समान रुचि होने के कारण दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए विश्व विरासत स्थल ममलापुरम को चुना गया है, और ममलापुरम का चीन के साथ भी ऐतिहासिक संबंध है.

जहां प्रधानमंत्री दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए नई दिल्ली के अलावा किसी और स्थान की इच्छा जता रहे थे, वहीं दोनों पक्ष राष्ट्रीय राजधानी के बाहर ऐसे स्थान की तलाश कर रहे थे, जहां शिखर बैठक की जा सके और जहां का नजदीकी हवाईअड्डा एक बड़े विमान के लिए उपयुक्त हो.

ममलापुरम न सिर्फ बड़ा पर्यटन स्थल है, बल्कि चेन्नई के निकट भी है और यहां चीन के बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग ने भी 17वीं शताब्दी में दौरा किया था.

अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए शी के भारत दौरे पर आने से पहले बीजिंग ने मंगलवार को कश्मीर पर नरम रुख अपनाते हुए कहा था कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और विचार-विमर्श के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने इमरान की वर्तमान यात्रा और वार्ता के दौरान कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की संभावना के सवाल पर बीजिंग में कहा, ‘कश्मीर मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट और वही है.’

उत्तर कोरिया ने परमाणु वार्ता से पहले कम दूरी की कई मिसाइलें दागी

सियोल : उत्तर कोरिया ने अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता से पहले बुधवार को कम दूरी के कई मिसाइल परीक्षण किए, जिनमें से एक मिसाइल जापान के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र के तहत आने वाले जलक्षेत्र में गिरी. सियोल और टोक्यो के सूत्रों ने यह जानकारी दी. समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा कि ये मिसाइलें पूर्वी शहर वॉनसन से प्रक्षेपित की गईं. जापान सरकार ने इनके बैलेस्टिक मिसाइल होने की संभावना व्यक्त की है. 5 अक्तूबर को दोनों देशों के बीच परमाणु वार्ता होनी है.

स्थानीय न्यूज एजेंसी योनहाप के बयान के अनुसार, जेसीएस ने मिसाइलों के प्रकार, ट्रैजेक्टरी या उनकी रेंज के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.

इस नए परीक्षण की पुष्टि जापान के आधिकारिक सूत्रों ने भी की है.

जापानी सरकार के एक प्रवक्ता योशीहिदे सुगा ने संवाददाताओं से कहा कि कम से कम दो परीक्षण किए गए और उनमें से एक जापान के ईईजेड के भीतर दक्षिण-पश्चिमी शिमाने प्रांत में गिरा.

सुगा के अनुसार, पहला परीक्षण स्थानीय समयानुसार सुबह 7.17 बजे हुआ, वहीं ईईजेड में गिरी मिसाइल इसके 10 मिनट बाद प्रक्षेपित की गई.

ये परीक्षण ऐसे समय में हुए हैं जब प्योंगयांग ने घोषणा की है कि वह जल्द ही कोरियाई प्रायाद्वीप को परमाणु हथियारों से मुक्त करने के मुद्दे पर अमेरिका से वार्ता बहाल करेगा.

उत्तर कोरिया की एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को दोनों देशों के प्रारंभिक रणनीतिक वार्ता के बाद शनिवार को वार्ता बहाल हो जाएगी. उन्होंने हालांकि इस वार्ता के लिए नियत स्थान की जानकारी नहीं दी.

भूकंप से पीओके में बड़ा नुकसान, दिल्ली-एनसीआर भी हिला

नई दिल्ली : जम्मू एवं कश्मीर के पास भारत-पाकिस्तान सीमा पर रिक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता के भूकंप के बाद दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भी मंगलवार शाम भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. मौसम विभाग के अनुसार, कश्मीर के पास भारत-पाकिस्तान सीमा पर शाम 4.31 बजे 6.3 रेक्टर स्केल की तीव्रता का भूकंप आया.

इसके बाद दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कश्मीर और उत्तराखंड में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए.

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीओके के मीरपुर में भूकंप के चलते 8 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल है.

शिमला के मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह ने आईएएनएस से कहा, ‘रिक्टर स्केल पर 6.3 तीव्रता के भूकंप के झटके शाम 4.31 बजे कुछ सेकेंड के लिए महसूस किए गए.

अभी तक किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर सामने नहीं आई है.

 

यादें संजोने के लिए ले ली समुद्र की रेत तो जेल जाने की हो गयी तैयारी 

देशदुनिया - अगर आप समुद्र तट का नजारा लेने गए हैं और आपने यादों को संजोने के लिए मुट्ठी भर रेत भी ले ली तो आपको जेल भी जाना पड़ सकता है, जी हाँ हम बात कर रहे हैं इटली में स्थित समुद्र तट की जहाँ पर एक शख्स को समुद्री रेत ले जाना इतना महंगा पड़ा कि उसको जेल जाने की नौबत तक आ गयी है, दरअसल इटली में समुद्र तट पाए घूमने आये एक फ्रांस के प्रेमी युगल ने तट पर यादगार के तौर पर रेत उठा ली अब इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। इटली की पुलिस द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार दंपति ने चिया समुद्र तट के पास से करीब 90 पाउंड रेत (करीब 40 किलो) 14 बोतलों में बघार ली थी, बताते चलें कि यहाँ की रेत की प्रसिद्ध सफेद रेत कानून द्वारा संरक्षित है, इसकी बड़ी कालाबाजारी भी होती है। दंपति ने पुलिस को बताया कि उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि यह अपराध है और वह रेत को अपनी यात्रा के याद के तौर पर घर ले जाना चाहते थे, पुलिस ने रूटीन चेकिंग के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया, अधिकारियों ने 14 बोतलों में भरी रेत बरामद की। बीबीसी.काम की रिपोर्ट के मुताबिक़ दम्पति को छह साल की जेल और 3,300 डॉलर (2,36,156.25 रुपए) के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। एक इतालवी पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस तरह की चोरी आम है, और सार्डिनिया के समुद्र तटों से सफेद रेत और चट्टानें अवैध रूप से ऑनलाइन बेची जाती हैं। अधिकारी ने कहा, 'सार्डिनिया के लोग शेल और रेत चोरी करने वाले पर्यटकों से बहुत नाराज हैं, क्योंकि यह वातावरण को भी खतरे में डालती है.' आमतौर पर, अपराधी हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच में पकड़े जाते हैं। इस तरह की घटना से दम्पत्ति भी परेशान हैं उनका मानना है  कि यह सब गलती से हो गया है।