RBI के इस फैसले से हो सकता है अर्थव्यवस्था में सुधार
न्यूजडेस्क - देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक आज से रेप रेट में फिर से कटौती कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक मिल रही जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की अहम बैठक में इस बात पर फैसला लिया जा सकता है कि ब्याज दरें 0.25 फीसदी तक कम कर दी जाएं। ब्याज दरें काम करने से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आ सकता है। अब बैंक जब भी RBI से फंड (पैसे) लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा, सस्ती दर पर बैंकों को फंड मिलेगा तो इसका फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे, यह राहत आपके साथ सस्ते कर्ज और कम हुई EMI के तौर पर बांटी जाती है, इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है, साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी घट जाती है।
बैंक से जुड़े कुछ अहम तथ्य इस प्रकार होते हैं जो कि इकोनामी को प्रभावित करते हैं। जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं, रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे, रेपो रेट कम हाेने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं, रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है, बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।
जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं, नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है,कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।
बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं।
आरबीआई ने इसकी शुरुआत साल 2011 में की थी. एमएसएफ के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।
अतः हम समझ सकते हैं की बैंक में रेपो रेट , रिवर्स रेपो रेट, msf व CRR रिजर्व द्वारा ब्याज की दरों में की गयी घटोत्तरी व बढ़ोत्तरी दोनों ही स्थितियों में देश की इकोनामी में असर पड़ता है।