पूछो न करबला ने दुनिया को क्या दिया है-इन्सां को सर उठा के जीय सिखा दिया है।
हुसैन चराग़ ए हिदायत, सफीनए हयात, और दरे नजात है- मौलाना शाहिद
रायबरेली : हुसैनिया सैयद यासूबुल हसन जाफरी गुलाब रोड से इमाम हुसैन व शहीदाने करबला के दसवें का कदीमी मातमी जुलूस निकला जिसमे मुकामी अंजुमन के अलावा मेहमान मातमी अंजुमनों ने शिरकत कर सीनाज़नी की। इसके पहले एक मजलिस हुई जिसमे सोज़ ख्वानी फ़रमान काज़मी व खुर्शीद अनवर ने की, पेशख्वानी करते हुए मशहूर शायर फैयाज़ रायबरेलवी ने पढ़ा कि कुछ भी न चली सैयदे अबरार के आगे, दम तोड़ दिया जुल्म ने इन्कार के आगे। इसके बाद कोलकाता से आए मशहूर अहले सुन्नत ज़ाकिर जनाब शब्बीर अली वारसी ने मजलिस को खिताब किया। उन्होने फरमाया कि अहलेबैत का जो मर्तबा है वो हकीतन लफजो मे बयान नही किया जा सकता, कि अल्लाह के कितने महबूब है, जिस आदम को जब जन्नत से निकाला तो जन्नत के लिबास उतरवा दिये मगर वही इमाम हसन और हुसैन बचपन मे ईद मे नये कपड़े की ख्वाहिश की तो मॉ फात्मा ज़हरा ने समझाया कि कपड़े दर्जी के यहा है अभी ये बात खत्म ही हुई थी कि अल्लाह के हुक्म से जिबरईल दरे फात्मा पर पहुचें और कहा कि मै हसनैन का दर्जी हूं कपड़े लाया हूं। रसूले खुदा ने फरमाया कि जन्नत के सरदार हसनैन हैं, मौलाना ने फरमाया कि हसनैन के बचपन मे रसूल ए अकरम इमाम हसन, हुसैन को प्यार कर रहे थे और सूंघते जा रहे थे, सहाबियों ने पूछा या रसूल ये बच्चो को प्यार करना तो समझ आया लेकिन सूंघना नही, तब रसूल ए अकरम ने कहा कि मेरे दोनो नवासे जन्नत के सरदार हैं मै जन्नत की खुशबू सूंघ रहा हूं। मगर खुद को मुसलमान कहने वालों ने उन नवासों के साथ क्या सुलूक किया। रसूल ने फरमाया मै शहरे इल्म हूं और अली उसका दरवाज़ा है, जिसको आना है दर से आये, मुसलमान आये तो मगर अली के घर के दरवाज़े को जलाने वो जलता हुआ दरवाजा़ रसूल ए खुदा की बेटी और हसनैन की मॉ पर गिरा जिससे उनकी पसलियॉ टूट गयी, मगर जब तक हयात रही कभी हजरत अली को अपनी तकलीफ नही बतायी, ये राज तो उनके इन्तेकाल के बाद मालूम हुआ जब हजरत अली उनको ग़ुस्ल दे रहे थे। बाद मजलिस अंजुमन ज़ैनुल एबा के नौहा ख्वानो जायर रिजवी, अली अब्बास, शुमैल, जौहर नकवी ने अलविदा पढ़ी और अलम, ताजिये, जुलजनाह के साथ जुलूस को बाहर लाये, यहॉ मेहमान अंजुमन जीनतुल अज़ा आलमपुर बाराबंकी के नौहाख्वान शुजा अब्बास ने पढ़ा देती है ज़हरा यही रोकर सदा, प्यासा मेरे लाल को मारा गया, हाए लईनो ने सितम क्या किया प्यासा मेरे लाल को मारा गया, तुराबखानी जिला सुल्तानपुर से आयी अंजुमन पंजतनी के जर्रार खान ने, जिधर से गुजरे अलम ताजिये का जुलूस, वो रास्ता ही बहोत देर तक महकता है, पढ़ कर मौजूद मजमे से दाद ओ तहसीन हासिल की। अंजुमन अब्बासिया दान्दूपुर प्रयागराज के नौहा ख्वान ने पढ़ा, अमामा खून से है लाल और अबा भी है तर, हुसैन खैमे से लाते है लाशए असग़र, इस नौहे पर लोगो ने बहोत गिरिया किया। जुलूस अपने क़दीमी रास्तो गुलाब रोड, कहारों का अड्डा, जहानाबाद, ओवर ब्रिज होता हुआ डबल फाटक स्थित शिया क़ौमी क़बरिस्तान मे पहुचा यहॉ ताजिये को एहतराम के साथ दफन किया गया। अंजुमन सज्जादिया के सेक्रेट्रा अज़ा नवाब अली तकी ने पूरे समय जुलूस मे रहे सीओ सदर, शहर कोतवाल, उपनिरीक्षको व हमराहियो को धन्यवाद ज्ञापित किया। जुलूस के आयोजक जाफरिया फेडरेशन के सदर खुर्शीद अनवर एमन, नायब सदर सैयद असद नकवी, महासचिव सैयद गुलाम अब्बास जाफरी (दानिश), के अलावा अंजुमन सज्जादिया के महासचिव रियाजुल हसन जाफरी, उपाध्यक्ष बख्शिश हसनैन, रजी हैदर, पत्रकार अलमदार हुसैन नकवी, साजिद अखतर, महबूब अखतर, आले हसन रिजवी, राहिल नकवी, मंजर नकवी, रिजवान हैदर, मुकर्रम नकवी, शाकिर हुसैन, शमीम हसन, शुजाअत अली जैदी, मो. ईसा, जफर नकवी, काशिफ जाफरी, मंसूब अख्तर, इकराम मेंहदी, सैयद आफताब मेंहदी, दानिश हसन एडवोकेट, नैयर नकवी, सलमान नकवी एडवोकेट, सरताज रिजवी, शहकार रिजवी, जहीर अब्बास नकवी, मेराज मुस्तफा,दिलशाद नकवी, रागिब नकवी, नसीम रिजवी, शमीम रिजवी तकी रजा, सज्जाद मोमिन जीशान अहमद, मुजाहिद हुसैन, हसन मुज्तबा,, एजाज अस्करी,शहिद रजा, यादगार काजमी, एजाज अस्करी, सहित सैकड़ो की तादाद में अजादार व महिलाये शरीके जुलूस रही।