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गरजा बुलडोजर और प्रशासन ने तोड़ा विवादित सोमू ढाबा का गुरुर..

गरजा बुलडोजर और प्रशासन ने तोड़ा विवादित सोमू ढाबा का गुरुर..
 

 

मौके पर एसडीएम शशांक त्रिपाठी 2 सीओ व भारी मात्रा में पुलिस बल मौजूद

 

रायबरेली- जिस तरह से आदित्य सिंह हत्याकांड की पूरी रचना सोमू ढाबा में रची गई निर्ममता की हदों को पार कर के नौजवान को मौत के घाट उतारा गया। न्याय के लिए सड़कों पर उतरी जनता ने मांग कर दी सोनू ढाबा और नरेश होटल तो अतिक्रमण में बना हुआ है। जांच के लिए एसडीएम उसके साथ ही जब सरकारी कब्जे का पता चला तो एक- एक बित्ता जमीन की नाप ली गई। जिसमें होटलों का कुछ हिस्सा अतिक्रमण में आया। आज सुबह रायबरेली जिला प्रशासन के अधिकारी व पुलिस विभाग के अधिकारी रतापुर स्थित सोमू ढाबा व नरेश होटल पहुंचे। क्योंकि प्रशासन ने 2 दिन पहले ही अल्टीमेटम दे दिया था कि अतिक्रमण को हटा लीजिए वरना हम सख्त कार्यवाही करेंगे। होटल संचालकों ने प्रशासन के दिशा निर्देशों को मानने से इनकार कर दिया और अतिक्रमण को यथास्थिति बनाए रखा। भारी मात्रा में मौजूद फोर्स और आला अधिकारियों ने होटलों के कुछ हिस्से जो कि अतिक्रमण पर आ रहे थे वहां पर बुलडोजर चलवा दिया।  सोमू ढाबा के अगले हिस्से को विध्वंस कर दिया गया उसके साथ नरेश होटल पर कार्यवाही जारी है मंदिर की आड़ लेकर बैठे होटल संचालक हर एक बात को दरकिनार कर रहे थे लेकिन अब प्रशासनिक कार्यवाही तेज हो गई है। मंदिर को सकुशल दूसरे स्थान पर पहुंचाने को लेकर प्रशासन पूरी तैयारी से काम कर रहा है। जैसे ही मंदिर यहां से हटता है वैसे ही नरेश होटल के अगले भाग पर कार्यवाही शुरू हो जाएगी जहां पर पूरा अतिक्रमण होता आया है।


अतिक्रमण की जगह पर मंदिर बनाना पाप

जिस तरह से नरेश होटल के संचालक ने मंदिर को अपने होटल के ठीक पास में बना रखा था जिसकी वजह से अतिक्रमण अभियान रुक जाए क्योंकि बात धर्म के नाम पर आ जाएगी। लेकिन प्रशासन भी अतिक्रमण को विध्वंस करने के मूड में है अधिकारियों का कहना है किसी भी स्ट्रक्चर को वह भी धार्मिक स्ट्रक्चर जब हो तो उसको अतिक्रमण की जगह पर नहीं बनाना चाहिए यह खुद ही अपराध है। एसडीएम शशांक त्रिपाठी ने यह साफ कर दिया अतिक्रमण करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा इसमें अमीर गरीब को भी नहीं देखा जाएगा जो भी दोषी है उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य को दी गई नम आंखों से विदाई

अंगद राही / विपिन पाण्डेय

रायबरेली। शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य रामकुमार भारती के सेवानिवृत्त होने पर विद्यालय में विदाई समारोह का भव्य आयोजन किया गया। विदित हो कि शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य राम कुमार भारती ने 14 अगस्त 2017 में केंद्रीय विद्यालय शिवगढ़ में प्राचार्य का पद भार ग्रहण किया था। सरल,मृदुभाषी एवं उदार व्यक्तित्व के धनी श्री भारती ने विद्यालय की कमान संभालने के कुछ ही दिनों बाद विद्यालय के छात्र-छात्राओं, अभिभावकों एवं शिक्षकों पर गहरी छाप छोड़ दी थी। जिनके कार्यकाल में शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय नए भवन में शिफ्ट हुआ। यही नहीं श्री भारती ने विद्यालय के प्राकृतिक वातावरण को अच्छा बनाने के लिए अपना तन मन लगा दिया। यही कारण है कि कल  31 अक्टूबर को श्री भारती के सेवानिवृत्ति समारोह में सभी की आंखों से आंसू छलक आए। लेकिन कहते हैं वक्त नूर को बेनूर बना देता है, थोड़े से जख्म को नासूर बना देता है, कोई जुदा नहीं होना चाहता अपनों से, लेकिन वक्त सबको मजबूर बना देता है। विदाई समारोह में उपस्थित सभी शिक्षकों, अभिभावकों एवं पत्रकार बंधुओं ने श्री भारती को उपहार देकर उनके स्वस्थ और उज्जवल भविष्य की भगवान से कामना की। इस अवसर पर प्राचार्य राम कुमार भारती की धर्मपत्नी और पुत्र व अभिभावक सुनील शुक्ला, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गिरिजेश श्रीवास्तव,भद्रपाल सिंह , विष्णु कुमार गोस्वामी, विद्यालय के शिक्षक  महेश कुमार शुक्ला, प्रीति वर्मा आलोक श्रीवास्तव, मीरा श्रीवास्तव,आरके सिंह, माधव सिंह,नेहा शर्मा,एके झा,पीके पांडे, मधु शर्मा, जेएन यादव,मनोज कुमार,नवदीप रंगा, दिव्या रानी व भारी तादात में अतिथि गण मौजूद रहे।

मांगा मुआवजा तो यहां मांग ली अबरू पीड़िता ने हल्का लेखपाल व एसडीएम के नामजदगी शिकायत किया पुलिस जांच मे जुटी

मांगा मुआवजा तो यहां मांग ली अबरू पीड़िता ने हल्का लेखपाल व एसडीएम के नामजदगी शिकायत किया पुलिस जांच मे जुटी


ऊंचाहार-  सूबे के मुखिया जहां ईमानदारी की पाठ पढ़ाने के विभिन्न प्रकार के आदेष पारित कर रहे है और यहां तक की जिले की डीएम भी न्याय करने के लिए किसी भी तरह जनता को प्रताड़ित न करने की सख्त चेतावनी देती रहती है लेकिन तहसील के एक लेखपाल व एसडीएम पर लगे आरोप ने विभाग के मतहतों पर सवाल खड़ा कर दिया है क्येकि युवती का आरोप है कि मुआवजा की मांग करने की पैरवी करने पर एसडीएम व लेखपाल अष्लील बातो का प्रयोग करते हुए मुझको कमरे मे अकेले आने का निरंतर दबाव बना रहे है। बताते चले कि ऊंचाहार कोतवाली के गांव हुल्लकापुरवा निवासिनी युवती का आरोप है कि उसकी मां बिमार होने पर प्रार्थिनी के पिता ने 01-01-2018 को आर्थिक सहायता की मांग किया गया उपचार हेतु जिसका आर्थिक सहायता न मिलने पर मां की दिनांक 02-10-2019 को 11ः10मिनट के तकरीबन घर पर ही उपचार के अभाव मे मौत हो गई जिसके बाद प्रार्थिनी के पिता ने मुआवजा की मांग करते हुए 20 लाख का मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग किया।जिसके बाद युवती का आरोप है कि पिता के बिमार होने पर मुआवजा की मांग की पैरवी करने हेतु जब जब क्षेत्रीय लेखपाल से मिला तो लेखपाल के द्वारा अष्लील बातो काप्रयोग करते हुए अपने कमरे मे अकेले बुरी नियत से आने के लिए दबाव बनाया जिसके बाद मुआवजा को लेकर पैरवी हेतु जब एसडीएम ऊंचाहार के तहसील आफिस गई तो एसडीएम के द्वारा भी अष्लील बातो का प्रयोग करते हुए बुरी नियत से अपने तहसील के आवास मे चलने के लिए दबाव बनाया गया।जिसमे लेखपाल व एसडीएम के आरोप गंभीर लगने पर तरह तरक की चर्चा व्याप्त है जिसमे पीड़ित युवती ने यही नही अपने परिवार की जानमान का खतरा के साथ साथ खुद को मानसिक तनाव मे होने की बात षिकायती पत्र मे जिक्र करते हुए खुद के साथ अनहोनी घटना घटने पर उसका जिम्मेदार क्षेत्रीय लेखपाल व एसडीएम को दोषी ठहराया है जिसकी षिकायती पत्र पीड़िता के द्वारा पुलिस अधीक्षक;डीएम;मुख्यमंत्री;प्रमुखसचिव गृह;पुलिस महानिदेषक आदि समेत कई जगहों पर भेजकर लेखपाल शंकरलाल व एसडीएम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की मांग किया है जिसमे पीड़िता के पीड़ा की जगह लगे आरोप से साफ जाहिर है कि न्याय मांगने पर क्या क्या जुर्म सहना पड़ता होगा फरियादी को जिसको लेकर फरियादियो को कैसे न्याय मिलेगा ये एक पहेली बनकर गूंज रहा है।उधर एसडीएम केषवनाथ गुप्ता से जब संपर्क प्रकरण के संदर्भ तहहकीत जाने हेतु प्रयाष किया गया तो उन्होने अपना फोन उठाना उचित नही समझा है।

 

नकब लगाकर दो दुकानो मे चोरी

ऊंचाहार।ऊंचाहार कोतवाली के अन्तर्गत सवैयातिराहा मे जुबेर पुत्र मो शमीम निवासी सवैयाहसन की जूते चप्पल व अखिलेष पुत्र उपेन्द्र कुमार निवासी जगदीषपुर थाना सराय जिला दरभंगा बिहार की फल की दुकान है।जिसमे दोनो दुकानो मे सेंधजनी करके चोरो के द्वारा नगदी व समाग्री चोरी कर लिया गया है।जिसमे जुबेर की दुकान से तकरीबन 12 हजार रूपए के जूते चप्पल व साड़े सात सौ रूपए चोरी होने को बताया जबकि फल दुकानदार अखिलेष ने 6 पेटी सेब व 2 हजार रूपए नगदी चोरी होने को बताया है।दोनो पीड़ितो की षिकायत पर पुलिस मौके पर पहुंच जांच पड़ताल प्रारंभ कर दिया है।

 

नसबंदी के बाद हुई गर्भवती तो पति ने बुलाया 112 नंबर पुलिस


ऊंचाहार- ऊंचाहार कोतवाली के गांव बरसवां निवासिनी सावित्री देबी 40वर्ष पत्नी राकेष कुमार का बीते 29 जनवरी को एनटीपीसी मे लगे नसबंदी षिविर मे नसबंदी करवाया गया।जिसके बाद उसके हाल मे हुए जांच मे गर्भवती होने पर उसके पति राकेष ने 112 नंबर मे कालकरके पुलिस बुला लिया और आषा पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसकेसाथ बदसलूकी व धमकी दिया।जिसको लेकर बरसवां निवासिनी आषा बहू सुषीला पत्नी राजकुमार ने कोतवाली मे लीखित तहरीर देकर गर्भवती महिला के पति राकेष व उसके भाई ब्रजेष कुमार के खिलाफ मारपीट पर आमादा होने;गालीगलौज व जान से मारने एवं बदसलूकी करने का आरोपित तहरीर दिया है।हलाकि पुलिस ने प्रकरण की जांच प्रारंभ कर दिया है।कोतवाली निरीक्षक ने बताया कि आषा बहू के तहरीर के आधार पर जांच करवाने के बाद विधिक कार्यवाही किया जाएगा।

 

मार्ग दुर्घटना का मुकदमा दर्ज ट्क चालक फरार


ऊंचाहार।ऊंचाहार कोतवाली के अन्तर्गत चार दिन पूर्व गांव गुलरिहा के निकट कानपुर मार्ग पर ट्क की टक्कर से हुए राजेन्द्र पुत्र केषरलाल निवासी किरवाहार व चन्द्रभवन पुत्र ओमप्रकाष निवासी लल्ला सिंह का कोट की मौत व राजू पुत्र रामेष्वर निवासी किरवाहार के घायल होने के मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।जिसमे कोतवाली निरीक्षक ने बताया कि किरवाहार निवासी केषरलाल की तहरीर पर ट्क यूपी 21 बीएन 0951 के नाम पता अज्ञात चालक के खिलाफ धारा 304ए;279;338;427 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।जिसमे पुलिस ने ट्क को बरामद करते हुए सीज कर दिया जबकि उसके चालक के गिरफ्तारी हेतु प्रयास जारी होने को बताया है।
 

बहुत दारोमदार है जस्टिस गोगोई के अंतिम 4 फैसलों पर

सरकार की पकड़ से कोर्ट को छुड़ाने और जनता का भरोसा जीतने तक

 

बहुत दारोमदार है जस्टिस गोगोई के अंतिम 4 फैसलों पर

 

इन चार मामलों से साफ हो जाएगा कि सर्वोच्च अदालत के फैसले संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर किए जाते हैं या उनमें लोकप्रिय जनभावनाओं का ख्याल रखा जाता है.

 

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के 17 नवंबर को सेवानिवृत होने से पहले चार महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुनाने की उम्मीद है, जो भारत और इसके शासन के तौर-तरीके के लिए दूरगामी प्रभाव वाले होंगे.

ये इन फैसलों, खास कर जो रिटायर हो रहे गोगोई लिखेंगे, के जरिए सुप्रीम कोर्ट के आभामंडल को कुछ हद तक पुनर्स्थापित करने का भी अवसर है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत ने भारत की संवैधानिक अखंडता का संरक्षक, और अक्सर प्रवर्तक भी, होने की अपनी प्रतिष्ठा और उच्च नैतिक स्थिति को कुछ हद तक कमज़ोर किया है.

 

मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली खंडपीठों द्वारा सुनाए जाने वाले चार फैसलों के मर्म से ये भी जाहिर हो सकेगा कि सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार के चंगुल से खुद को छुड़ाने का इरादा किया है या नहीं. और भी अहम, इससे ये भी साबित होगा कि सर्वोच्च अदालत के फैसले संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर किए जाते हैं या उनमें लोकप्रिय जनभावनाओं का ख्याल रखा जाता है.

आइए इन चार मामलों और इनके संबंध में सुप्रीम कोर्ट के प्रदर्शन पर गौर करते हैं.

 

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामला

 

यह सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामला है, जिस पर अपनी सेवानिवृत्ति से पहले फैसला सुनाना संभव करने के लिए मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने रोज़ाना की सुनवाई की है.

‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ होने के कारण खंडपीठों के गठन की जिम्मेदारी मुख्य न्यायाधीश की ही है, इसलिए जस्टिस गोगोई ने ही जनवरी में अयोध्या मामले के लिए पांच जजों की खंडपीठ का गठन किया था जिसमें उनके अलावा न्यायमूर्ति एसए बोबडे, अशोक भूषण, एसए नज़ीर और डीवाय चंद्रचूड़ शामिल हैं.

 

इस संबंध में जस्टिस गोगोई का आदेश चकित करने वाला था क्योंकि उनके पूर्ववर्ती मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने अपने 2-1 के फैसले में अयोध्या मामले को केवल एक भूमि विवाद करार देते हुए कहा था कि मामले को संविधान पीठ को सौंपने का कोई आधार नहीं है. सिर्फ जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर ने राय दी थी कि मस्जिद के इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं होने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के 1994 के अवलोकन को एक बड़ी खंडपीठ के पास भेजा जाना चाहिए और यहां तक कि उन्होंने इस बारे में विचार के लिए कुछ प्रश्न भी तैयार किए थे.

संविधान पीठ ने सात दशक पुराने एक मामले को लेकर इस तरह जल्दबाज़ी क्यों दिखाई, ये सवाल अभी भी अनुत्तरित है पर असल प्रश्न है: खंडपीठ कानून पर चलेगी, या बहुसंख्यकों की भावनाओं का पक्ष लेगी, या कोई बीच का रास्ता निकालेगी?

 

राफेल मामला

 

नरेंद्र मोदी सरकार के फ्रांसीसी कंपनी दशॉ एविएशन से राफेल युद्धक विमान खरीदने के फैसले की अदालत की निगरानी में जांच कराने की याचिकाओं पर पिछले साल दिया गया फैसला विवादित होने के बाद मुख्य न्यायाधीश गोगोई और अन्य जजों ने अपने फैसले के विरुद्ध पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई की.

मामले से जुड़े वकीलों के अनुसार 14 दिसंबर 2018 के फैसले में समस्या ये थी कि अदालत को ‘बहुत सारी अहम सूचनाएं नहीं दी गई थीं’ और वो ‘विवादित फैसला मोदी सरकार द्वारा अदालत को दिए गए धोखे की वजह से आया था’.

अधिक चिंता की बात ये है कि खंडपीठ ने भारत के आधिकारिक ऑडिटर – नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) – द्वारा रक्षा सौदों की जांच के तरीके का भी गलत संदर्भ दिया. इससे मामले में सुप्रीम कोर्ट के रवैये की आलोचना करने वालों को एक और हथियार मिल गया.

यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई की बेंच आलोचनाओं का प्रभावी जवाब कैसे देती है: क्या यह सबकुछ गुप्त रहने देगी या फिर, जैसा कि हर महान संस्था से अपेक्षित होता है, अपनी नासमझी को स्वीकार करते हुए अदालत की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को पहुंचे नुकसान को सही करेगी? खंडपीठ के पास इस सवाल को हमेशा के लिए निपटाने का भी मौका भी है कि एक गोपनीय सौदे में अनियमितता के आरोप लगने पर सरकार ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की आड़ ले सकती है या नहीं.

 

सबरीमाला मामला

 

केरल के सबरीमाला मंदिर में माहवारी की उम्र की महिलाओं को पूजा करने की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर 2018 के फैसले का कई हिंदू संगठनों ने भारी विरोध किया था.

उस फैसले की समीक्षा के लिए 65 पुनरीक्षण याचिकाएं आईं, जिनकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश गोगोई की अगुआई वाली संविधान पीठ कर रही है.

पुनरीक्षण याचिकाओं से इस सवाल का समाधान मिलेगा कि क्या अदालतों को धार्मिक रीति-रिवाजों और नियमों में दखल देना चाहिए. उनके आधार पर इस व्यापक मुद्दे को भी सुलझाया जा सकेगा कि अपने फैसलों के बहुसंख्यकों की मान्यताओं के खिलाफ जाने की स्थिति में क्या अदालतों के पास, विवाद में एक पक्षकार बने बिना, उसे लागू कराने की संजीदगी है.

 

वित्त विधेयक बनाम धन विधेयक

 

मुख्य न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को ये भी तय करना है कि वित्तीय विधेयक या संघीय बजट को लोकसभा के स्पीकर के निर्देश पर एक धन विधेयक के रूप में पारित किया जा सकता है या नहीं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने इस व्यापक मुद्दे को सुलझाने का भी मौका है कि लोकसभा के स्पीकर का फैसला न्यायिक समीक्षा के अधीन आता है या नहीं.

राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए वित्त विधेयक, 2017 को धन विधेयक के रूप में पारित कराए जाने पर सबका ध्यान गया था.

 

इस मामले में मोदी सरकार ने जहां तकनीकी बारीकियों का सहारा लिया है, वहीं याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील के समर्थन में एक न्यायिक संस्था की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया है.

इस फैसले का सबको इंतजार है क्योंकि इससे इस मुद्दे को भी सुलझाया जा सकेगा कि क्या भारी बहुमत वाली किसी सरकार को विपक्ष और स्थापित संसदीय मानदंडों की पूर्ण अवहेलना करने की अनुमति दी जा सकती है.

 

पुनश्च : दूरगामी असर वाले इन चार मामलों के अलावा मुख्य न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ इस बात का भी फैसला करेगी कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर आपराधिक अवमानना के लंबित मामले का क्या किया जाए. राहुल गांधी ने मोदी के लिए प्रयुक्त अपने ‘चौकीदार चोर है’ के नारे के संदर्भ में गलत ढंग से राफेल पर पुनरीक्षण याचिकाओं की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट को उद्धृत किया था.

 

 

आईटीआई को आईआईटी की तर्ज पर चमकाने के लिए सरकार ने निजी कंपनियों को लिया साथ

आईटीआई को आईआईटी की तर्ज पर चमकाने के लिए सरकार ने निजी कंपनियों को लिया साथ

 

देशभर में चलाई जा रहीं कई आईटीआई किसी गैराज या छोटी दुकानों या फिर टीन वाली छतों के नीचे चलाई जा रही हैं.

 

नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी ने 2015 में ‘स्किल इंडिया’ का नारा बुलंद करते हुए कहा था कि देश के कौशल विकास के लिए आईआईटी नहीं बल्कि आईटीआई की जरूरत है. लेकिन पिछले कुछ सालों से आईटीआई के खराब प्रदर्शन को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. खुद संसदीय स्थायी समिति (लेबर) ने पिछले साल आईटीआई के खराब प्रदर्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक रिपोर्ट संसद में पेश की थी. इसके मुताबिक देशभर में चलाई जा रहीं कई आईटीआई किसी गैराज या छोटी दुकानों या फिर टीन वाली छत के नीचे चलाई जा रही हैं.

इतना ही नहीं इस समिति ने कौशल विकास मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं जैसे कौशल केंद्रों का भी मंथन किया गया था. इस रिपोर्ट के एक साल बाद कौशल विकास मंत्रालय ने आईटीआई को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. पिछले 6 महीनों में आईटीआई और 719 निजी कंपनियों व प्राइवेट इंडस्ट्री के बीच एमओयू साइन किए गए हैं. ताकि आईआईटी की तर्ज पर आईटीआई को भी चमकाया जा सके.

 

बता दें कि कौशल विकास मंत्रालय की डीजीटी (डायरेक्टर जनरल ऑफ ट्रेनिंग) संस्था आईटीआई को रेग्युलेट करती है.

डीजीटी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल दीपांकर मलिक ने  इस बारे में बताया, ‘ये एमओयू 2016 में ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग स्कीम के तहत साइन किए गए हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा स्किल्ड युवाओं को रोजगार मिल सके. इस दिशा में पिछले छह महीनों में मंत्रालय ने ज्यादा से ज्यादा निजी कंपनियों को आईटीआई से जोड़ा है.’

गौरतलब है कि इससे पहले के तीन सालों में मंत्रालय सिर्फ 136 निजी कंपनियों को ही आईटीआई से जोड़ पाया था जिसका सीधा असर रोजगार के अवसरों में देखने को मिला. लेकिन अकेले एनएसटीआई (नेशनल स्किल ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट) पिछले कुछ महीनों में 37 कंपनियों के साथ एमओयू साइन करने में कामयाब रहा है.

इस बारे में केंद्रीय कौशल विकास मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा, ‘हम लगातार आईटीआई को ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग के जरिए प्राइवेट व निजी कंपनियों के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि नए आईटीआई ट्रेनी तैयार हों.’

क्या है ये ‘ड्यूल सिस्ट्म ऑफ ट्रेनिंग’?

कौशल विकास मंत्रालय का दावा है कि ‘ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग’ के जरिए स्किलिंग के इको सिस्टम को मजबूत किया गया है. मंत्रालय के मुताबिक थ्योरिटिक्ल ट्रेनिंग के बाद युवाओं को सीधे तौर पर प्रैक्टिक्ल ट्रेनिंग दिलाने के मकसद से निजी कंपनियों के साथ एमओयू साइन किए गए हैं. ताकि मंत्रालय देश में स्किल्ड मैन पावर की बढ़ती मांग को पूरा कर सके.

2016 में शुरू हुए ‘ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग’ का उद्देश्य प्राइवेट इंडस्ट्री और निजी कंपनियों का सरकार के साथ साझेदारी बढ़ाना था. इस साझेदारी के अंतर्गत सरकारी और प्राइवेट आईटीआई में ट्रेनिंग प्रोग्राम्स का संचालन करना था. ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग में आईटीआई में थ्योरिटल ट्रेनिंग और प्राइवेट कंपनियों में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का प्रस्ताव है.

सरकारी रिपोर्ट में आए खराब प्रदर्शन के बाद इस स्कीम को भी जनवरी 2019 में अपग्रेड किया गया. नई गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद युवाओं को ‘नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट’ देने को आवश्यक किया गया ताकि उन्हें नौकरियां मिलने की संभावना ज्यादा हो सके. ‘नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट’ का मतलब है कि एक खास स्किल में स्पेशलिस्ट युवा. साथ ही आईटीआई को कुछ शर्तों के आधार पर स्वतंत्र रूप से निजी कंपनियों के साथ एमओयू साइन करने का अधिकार भी दिया गया. मतलब अब निजी कंपनियों के साथ समझौते करने के लिए आईटीआई कोडीजीटी से परमिशन लेने की जरूरत नहीं है.

ग्रेडिंग सिस्टम पर जोर

इसके अलावा मंत्रालय आईटीआई के प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए ग्रेडिंग सिस्टम पर भी जोर दे रहा है. ग्रेडिंग का पहला फेज नवंबर 2017 से जून 2018 तक चला था जिसमें 4811 आईटीआई को ग्रेडिंग सिस्टम के तहत लाया गया. इसमें 2940 प्राइवेट पार्टनर को शामिल किया गया. 3 से ऊपर ग्रेड लाने वाली 20 आईटीआई को टॉप लिस्ट में रखा गया है. ज्यादातर आईटीआई 0 से 2 के बीच रही हैं. ग्रेडिंग का दूसरा फेज जनवरी 2019 में शुरू किया गया है जिसमें बची हुई  सभी आईटीआई को शामिल किया जाएगा.

ग्रेडिंग सिस्टम के पैमाने के बारे में दीपांकर मलिक ने बताया, ‘इसमें आउटकम, प्लेसमेंट, एडमिशन और एमओयू जैसे सभी पहलू शामिल किए जाते हैं. उस आधार पर आईटीआई को एक, दो या तीन ग्रेड दिए गए हैं. इसका मुख्य उद्देश्य आईटीआई के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है ताकि पिछड़ चुकी आईटीआई सुधार ला सकें.’

 

क्या कहते हैं आईटीआई में ट्रेनिंग ले रहे छात्र?

अप्रैल 2018 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि दिसंबर तक आते-आते देश के हर ब्लॉक में आईटीआई खोले जाएंगे. फिलहाल देश में 14,917 आईटीआई हैं. इनमें करीब 1,97, 053 लोग ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसके अलावा कौशल विकास मंत्रालय ने भी नेशनल स्किल डवेलपमेंट कॉर्पोरेशन के तहत 6,000 से भी ज्यादा प्राइवेट ट्रेनिंग सेंटर खोले हैं. इन्हें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चलाया जा रहा है.

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की मालड़ा सरकारी आईटीआई में प्लेसमेंट विभाग में काम करने वाले मनोज कुमार ने बताया, ‘पिछले दो साल से प्लेसमेंट में फर्क आया है. सरकारी आईटीआई और निजी कंपनियों के एमओयू की वजह से ज्यादातर युवाओं को रोजगार मिल रहा है.’

इसी आईटीआई के छात्र हिमांशु का कहना है कि पिछले कुछ सालों से इस इलाके के युवा आईटीआई को एक अच्छे करियर के तौर पर देख रहे हैं. गुरुग्राम और मानसेर के नजदीक होने की वजह से यहां अलग-अलग कंपनियां ट्रेनी हायर करने आती हैं.

झालर लगा रहा युवक छत से गिरा, मौत 

झालर लगा रहा युवक छत से गिरा, मौत 

 

डलमऊ रायबरेली-  बीते रविवार को रात घर को सजाने के लिए झालर लगा रहे युवक के छत से गिरने पर युवक की हालत गंभीर हो गई।परिजनों ने आनन फानन घायल को सीएचसी लेकर आये, जहां चिकित्सक ने घायल को मृत घोषित कर दिया। जानकारी के अनुसार डलमऊ कोतवाली क्षेत्र के जोहवानटकी गांव निवासी महेंद्र कुमार उम्र तेईस वर्ष दीपोत्सव पर्व पर घरों को सजाने के लिये झालर लगा रहा था तभी अचानक वह नीचे गिर गया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल की चीख-पुकार सुनकर परिजनों ने आनन फानन उसे डलमऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए, जहां चिकित्सक संजीव कुमार ने मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर सुनकर परिजनों में कोहराम मच गया, वहीं गांव के अधिकतर लोगों ने दीपावली नहीं मनाई, पूरा गांव महेंद्र की मौत पर शोक में डूब गया। इस संबंध में कोतवाली प्रभारी श्रीराम ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है।

 

डलमऊ महोत्सव की भव्यता एवं सुंदरता अत्यधिक बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास

 

 डलमऊ रायबरेली- नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि शुभम गौड़ ने बताया की डलमऊ महोत्सव की भव्यता एवं सुंदरता अत्यधिक बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।प्रदर्शनी में राष्ट्रीय एकता देश प्रेम के भाव दिखते है।नगर पंचायत डलमऊ द्वारा पशु मेला का आयोजन एक महीने के लिये कराया जाता है।व्यापारी अच्छी नस्लो के जानवरों मेला में लेकर आते है जहाँ दूर दराज के गांव से आकर लोग खरीद फरोख्त करते है।वही प्रदर्षनी में घरेलू सामग्री के अलावा बच्चों के लिये झूले,कश्मीरी सूट, व खादी वस्त्र आदि प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण के केंद्र रहेंगे। महोत्सव की भव्यता एवं सुंदरता बढ़ाने के लिए जिलाधिकारी नेहा शर्मा व सरेनी विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह व नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़ हर सम्भव प्रयास कर रहे है।

आदित्य के परिजनों के साथ खड़ा है जनसत्ता दल : गोपाल जी

आदित्य के परिजनों के साथ खड़ा है जनसत्ता दल : गोपाल जी

 

जनसत्ता दल के सदस्यों ने परिजनों से प्रकट को संवेदना

 

 

रायबरेली - जिले के बहुचर्चित आदित्य प्रताप सिंह उर्फ रवि सिंह हत्याकांड के बाद लगातार राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी और नेता उनके परिजनों को ढांढस बनाने में लगे हुए हैं और हर संभव मदद का भरोसा भी दे रहे। इसी क्रम में कुंवर रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल के पदाधिकारियों ने भी आदित्य प्रताप के घर जाकर परिजनों से संवेदना प्रकट की और सांत्वना देते हुए कहा कि आदित्य की लड़ाई जनसत्ता दल पूरे प्रदेश में लड़ेगा,और इस मामले में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

प्रतापगढ़ से रायबरेली पहुंचे एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने कहां की आदित्य की हत्या के मामले में आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की मांग की जाएगी और इसकी सीबीआई जांच भी कराने की मांग की जाएगी।

जनसत्ता दल के प्रदेश अध्यक्ष और प्रतापगढ़ की बाबागंज विधानसभा सीट से विधायक विनोद सरोज ने कहा कि पूरे मामले को वह विधानसभा में उठाएंगे और प्रदेश में गिरती जा रही कानून व्यवस्था पर भी सरकार से सवाल करेंगे।

इस दौरान जनसत्ता दल के कोर कमेटी सदस्य छोटे राजा हर्षेन्द्र सिंह जिलाध्यक्ष अशोक परिहार, मीडिया प्रभारी पिंटू सिंह, मलखान सिंह, नरेंद्र फौजी, अरविंद एडवोकेट, जिला पंचायत अध्यक्ष उमाशंकर, ब्लॉक प्रमुख कुंडा संतोष सिंह सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।

लोकतंत्र की यात्रा के अंदर आरटीआई एक्ट मील का पत्थर : गृहमंत्री शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग के 14 वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र की यात्रा के अंदर आरटीआई एक्ट बहुत बड़ा ‘मील का पत्थर’ है. हमारी निरंतर चलने वाली लोकतांत्रिक यात्रा का एक मील का पड़ाव है. पिछले 14 साल में आरटीआई एक्ट के कारण जनता और प्रशासन के बीच की खाई को पाटने में बहुत मदद मिली है और जनता का प्रशासन व व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘जिस प्रकार से आरटीआई एक्ट की कल्पना की गई होगी उसे लगभग अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में हमारा देश सफल रहा है.’

‘आरटीआई एक्ट का मूल प्रावधान व्यवस्था के अंदर जनता का विश्वास खड़ा करना है. ये विश्वास जनता में जागृत करना यही इस कानून का प्रमुख उद्देश्य है.’

‘पारदर्शिता और जवाबदेही ये दोनों ऐसे अंग हैं जिसके आधार पर ही अच्छा प्रशासन और सुशासन हम दे सकते हैं. पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों को आगे बढ़ाने के लिए आरटीआई एक्ट ने बहुत बड़ी सहायता की है.’

गृहमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ने कहा, ‘हमारे देश में जरूरी था कि लोगों का विश्वास शासन व व्यवस्था में बने और लोगों की सहभागिता भी व्यवस्था के अंदर आए.’

‘आजादी के पहले प्रशासन का उद्देश्य अपने आकाओं की इच्छा की पूर्ति करना था, इसके कारण बड़े कालखंड में जनता और प्रशासन के बीच बड़ी खाई बन गई थी.’

उन्होंने कहा कि 1990 तक केवल 11 ही देशों में आरटीआई का कानून था और सूचना का अधिकार प्राप्त था. वैश्वीकरण, आर्थिक उदारीकरण और तकनीक इनोवेशन के युग की शुरुआत होते ही ये संख्या बढ़ने लगी.आरटीआई के कारण कई देशों में अच्छे प्रशासनिक बदलाव देखने को मिले हैं जिसमें भारत भी एक देश है.

भारत ऐसा देश जो नीचे तक सूचना तंत्र रचना करने में सफल हुआ

गृहमंत्री ने कहा, ‘भारत विश्व में पहला ऐसा देश है जो नीचे तक सूचना तंत्र की रचना करने में सफल हुआ है और एक जवाबदेह सूचना तंत्र का गठन कर पाया है. केंद्रीय सूचना आयोग से लेकर हर राज्य में सूचना आयोग की स्थापना की गई है. इस अधिनियम के तहत लगभग 5 लाख से ज्यादा सूचना अधिकारी इस कानून का निर्वहन कर रहे हैं.’

‘आरटीआई एक्ट अन्याय रहित सुशासन देने की दिशा में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासनिक व्यवस्था खड़ी करने में अच्छा प्रयास है.अधिकारों के अतिक्रमण को नियंत्रित करने में भी आरटीआई ने अपनी पूरी भूमिका निभाई है.’

गृहमंत्री ने कहा, ‘दुनियाभर की सरकारें सूचना के अधिकार का कानून बना के रुक गई है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है.’

शाह ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी सरकार में हम ऐसा प्रशासन देना चाहते हैं कि सूचना अधिकार के आवेदन कम से कम आए. लोगों को आरटीआई का उपयोग करने की जरूरत ही न पड़े ऐसी व्यवस्था हम देना चाहते हैं. स्थिति ऐसी बने कि लोगों को आरटीआई लगाने की जरूरत ही न पड़े, बल्कि सरकार खुद सामने आकर सूचनाएं दे, ऐसी व्यवस्था हो.’

केदारनाथ धाम के नए स्वरूप की निगरानी ड्रोन के माध्यम से

गृहमंत्री ने कार्यक्रम में केंदारनाथ धाम का जिक्र करते हुए कहा,’अभी केदारनाथ धाम के नए स्वरूप का निर्माण हो रहा है. वहां घाटी में ऑल वेदर रोड बन रही हैं.आपको आश्चर्य लगेगा लेकिन वहां की पूरी निगरानी ड्रोन के माध्यम से ऑनलाइन हो रही है’.

उन्होंने कहा कि,’सूचना का अधिकार का जब कानून बना तब ढेर सारी आशंकाएं व्यक्त की जाती थी. 2016 में जब कानून की स्टडी मैंने की तो मुझे भी लगा की इसका दुरुपयोग हो सकता है,लेकिन आज हम कह सकते हैं कि दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा हुआ है’.

गृहमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों का बताया कि डेशबोर्ड के माध्यम से एक नए पारदर्शी युग की शुरुआत मोदी सरकार ने की है.स्वच्छ भारत के तरह कितने शौचालय बने इसके लिए आरटीआई की जरूरत नहीं है, डेशबोर्ड में सरपंच देख सकता है उसके गांव में कितने शौचालय कब तक बनने वाले हैं.सौभाग्य योजना के तहत लोग डेशबोर्ड में ये देख सकते हैं कि उसके घर में बिजली कब लगने वाली है.

केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने किया केवी शिवगढ़ का उद्घाटन

अंगद राही / विपिन पाण्डेय

रायबरेली। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय का उद्घाटन किया। विद्यालय प्रांगण में आयोजित उद्घाटन समारोह में उपस्थित  एनएलसी दिनेश प्रताप सिंह, क्षेत्रीय विधायक रामनरेश रावत, केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल,उपायुक्त डी.के. द्विवेदी ने  संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके उद्घाटन समारोह का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर विद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत,भाव गीत, पंजाबी नृत्य,गरबा सहित सामूहिक नृत्य प्रस्तुत करके सभी का मन मोह लिया। वहीं छात्रों ने पिरामिड की मनमोहक प्रस्तुति देकर सभी को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित क्षेत्रीय विधायक रामनरेश रावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के उत्थान के लिए साक्षरता बहुत जरूरी है। केंद्रीय विद्यालय इस दिशा में सबसे अच्छा काम कर रहा है। कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने सांसद सोनिया गांधी पर तंज कसते करते हुए कहा कि उद्घाटन के बोर्ड में तो सोनिया गांधी जी नाम अंकित  है लेकिन आज उनका प्रतिनिधि भी नहीं मौजूद है। यह बहुत दुख की बात है।
केंद्रीय विद्यालय मंडल लखनऊ के उपायुक्त डीके द्विवेदी ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों अभिभावक एवं बच्चों का आभार व्यक्त किया,
कार्यक्रम के दौरान प्रधानाचार्य आरके भारती ,पूर्व ब्लाक प्रमुख कुंवर हनुमंत प्रताप सिंह, विनय वर्मा, प्रधान संघ अध्यक्ष विनोद सिंह ,शशि सिंह भदौरिया, नंदकिशोर तिवारी, राम प्रकाश अवस्थी, राकेश बाबू तिवारी,महेश कुमार शुक्ला, प्रीति वर्मा आलोक श्रीवास्तव, मीरा श्रीवास्तव,आरके सिंह, माधव सिंह,नेहा शर्मा,एके झा,पीके पांडे, मधु शर्मा, जेएन यादव,मनोज कुमार,नवदीप रंगा, दिव्या रानी सहित लोग मौजूद रहे।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री आज करेंगे शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय का उद्घाटन

रायबरेली। शिवगढ़ केंद्रीय विद्यालय का उद्घाटन आज केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' करेंगे। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि रायबरेली सांसद सोनिया गांधी होंगी। केंद्रीय विद्यालय के उद्घाटन समारोह में क्षेत्रीय विधायक रामनरेश रावत,रायबरेली एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह, भारत सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग से सचिव रीना रे, केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल, रायबरेली जिला अधिकारी नेहा शर्मा, केंद्रीय विद्यालय संगठन के उपायुक्त डीके द्विवेदी व विद्यालय के प्राचार्य राम कुमार भारती सहित शिक्षक अभिभावक,अतिथि एवं अधिकारीगण मौजूद रहेंगे। केंद्रीय विद्यालय शिवगढ़ के प्राचार्य आरके भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय विद्यालय शिवगढ़ का उद्घाटन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी आज 11:30 बजे अपने कर कमलों से शास्त्री भवन नई दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करेंगे।