अपने बच्चों पर रखे नज़र, ऑनलाइन गेम ले सकते है जान
टेक प्लस : एक समय वह भी था जब बच्चों को घर से बाहर खेलने जाने के लिए मना किया जाता था। दिनभर घर से बाहर रहकर खेलने के लिए उन्हें डांट भी पड़ती थी लेकिन अब समय बदल गया है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन वीडियो गेम और स्मार्टफोन है। वीडियो गेम खेलने वाले स्मार्टफोन सात-आठ हजार रुपये तक में आसानी से मिल रहे हैं। वहीं गूगल प्ले-स्टोर पर मुफ्त मोबाइल गेम भी मिल जाते हैं।
दरअसल, ऑनलाइन वीडियो गेमिंग का बाजार बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है इसी के साथ बढ़ रहा है इसका दुष्परिणाम। कई वीडियो गेम्स बच्चों के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो रहे हैं। ब्लू व्हेल जैसे गेम्स की वजह से कई मौतें भी हो चुकी हैं। आइए जानते हैं कुछ वीडियो गेम्स के बारे में जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, उन्हें हिंसक बना रहे हैं और यहां तक की जान देने के लिए भी उकसा रहे हैं।
1. ब्लू व्हेल
ब्लू व्हेल गेम का नाम तो आपने सुना ही होगा। यह गेम साल 2017-18 में काफी लोकप्रिय हुआ था। इसमें टास्क पूरा करने के लिए कई बच्चों ने आत्महत्या तक की है। साल 2017 में इस गेम की वजह से रूस में 130 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी, वहीं भारत में करीब 100 बच्चों ने मौत को गले लगाया था। बाद में इस गेम को बनाने वाले फिलिप बुदेकिन (Phillip Budeikin) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस हिरासत में फिलिप ने बताया कि उसने यह गेम उन लोगों के लिए बनाया जो लोग जीना नहीं चाहते। खास बात यह थी कि यह गेम गूगल प्ले-स्टोर या एपल के एप स्टोर पर नहीं था, बल्कि इसे इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिंक के जरिए डाउनलोड कराया जा रहा था। बाद में इंस्टाग्राम ने भी इस गेम को अपने प्लेटफॉर्म पर बंद कर दिया था। हालांकि पिछले साल से इस गेम को लेकर कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है, लेकिन यह गेम किसी अन्य नाम से अभी मौजूद है। गूगल पर blue whale game other names भी सर्च किया जा रहा है।
ब्लू व्हेल गेम में दिए जाते थे ऐसे टास्क
1. वेकअप एट 4.30 मॉर्निंग- सुबह 4 बजे उठकर हॉरर फिल्में देखने और उसकी फोटो क्यूरेटर को भेजने को कहा जाता था।
2. हाथ पर ब्लेड से ब्लू व्हेल बनाएं- ब्लेड से हाथ पर फोटो उकेरने के बाद उसे क्यूरेटर को भेजने को कहा जाता था।
3. नसें काटना- गेम में एक चैलेंज हाथ की नसों को काटकर उसकी फोटो भेजने वाला भी था।
4. छत से कूदना- क्यूरेटर यूजर्स को सुबह छत से छलांग लगाने को भी कहता था।
5. चाकू से काटना- इस गेम में एक टास्क व्हेल बनने के लिए तैयार होना था। इसमें फेल होने पर हाथ पर चाकू के कई वार करने होते थे और पास होने पर पैर पर ब्लेड से YES उकेरना होता था।
6. म्यूजिक सुनना- क्यूरेटर यूजर्स को म्यूजिक भेजता है जो सुसाइड करने और खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने वाले होते थे।
7. सुसाइड- गेम के 50वें और अंतिम टास्क में सुसाइड करने का टास्क दिया जाता था।
2. पास आउट चैलेंज
पास आउट चैलेंज गेम चोकिंग गेम (Choking Game) के नाम से भी जाना जाता है। यह गेम बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। इसमें दो-तीन बच्चे शामिल होते थे और एक-दूसरे का गला घोंटते थे। ऐसे में ऑक्सीजन ना मिलने की स्थिति में उनकी मौत हो रही थी। कई बार बच्चे बहोश होकर गिर भी जाते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में हर साल इस गेम की वजह से करीब 1,000 मौतें होती हैं। इसमें शामिल बच्चों की पहचान उनकी हरकतों से की जा सकती है। जैसे, यदि कोई बच्चा अपनी गर्दन ढंककर रह रहा है तो संभव है कि वह इस गेम को खेल रहा है। इसके अलावा यदि बच्चों की गर्दन पर किसी प्रकार का कोई निशान नजर आए तो आपको सतर्क हो जाने और उस पर नजर रखने की जरूरत है।
3. PUBG मोबाइल
प्लेयर्स अननोन बैटल ग्राउंड (Players Unknown Battle Ground) के नाम से मशहूर इस पबजी गेम को भारत में बंद करने की मांग चल रही है। यह गेम बहुत ही कम समय में लोकप्रिय हुआ है। गुजरात में इस गेम पर एक महीने के लिए प्रतिबंध भी लगा था और इस दौरान गेम खेलने के आरोप में 16 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। डॉक्टर्स के मुताबिक पबजी गेम युवाओं को मानसिक रूप से बीमार बना रहा है और साथ ही इस गेम को खेलने के बाद बच्चों में हिंसक प्रवृति भी पनप रही है। इसी साल मई में मध्यप्रदेश में पबजी गेम में हार जाने के बाद एक 16 साल के बच्चे की मौत हार्ट अटैक से हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि वह पिछले 6 घंटे से पबजी खेल रहा था।
4. साल्ट एंड आइस चैलेज
यह गेम भी ब्लू व्हेल की तरह खुद को नुकसान पहुंचाने वाला है। इस गेम में बच्चों को टास्क दिया जाता है कि वह शरीर के किसी हिस्से पर नमक रखें और उसके ऊपर से बर्फ रखें। ऐसे में नमक के कारण बर्फ तेजी से पिघल जाता है और वह जगह जल जाती है। इस गेम के कारण कई बच्चों के हाथ जल गए थे और कईयों को जलन की समस्या हो गई थी।