तो यह है मिशन चंद्रयान-2 की अहम खासियत
न्यूजडेस्क - देश के ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लांच किया जा चूका है, अब चंदा मामा की दूरी भले ही हमसे कम रही गयी हो मगर इससे अहम बात यह है कि जिस मिशन चंद्रयान-2 पर भारत सहित पूरे विश्व की निगाहें थी वह किन उद्देश्यों को लेकर पृथ्वी से चन्द्रमा की सतह पर जा रहा इसके बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है।
चंद्रयान-2 पहला अंतरिक्ष मिशन है जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा, पहला भारतीय अभियान है, जिसके जरिए स्वदेशी तकनीक से चंद्रमा की सतह पर उतरा जाएगा, पहला भारतीय अभियान है जो देश में विकसित टेक्नोलॉजी के साथ चांद की सतह के बारे में जानकारियां जुटाएगा। अमेरिका, रूस, चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर रॉकेट उतारने वाला भारत चौथा देश बन गया है।
सबसे पहले बात चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में लैंडिंग की, चंद्रयान-2 वहां उतरेगा जहां आज तक किसी देश ने उतरने की कोशिश ही नहीं की है, ये अपने आप में खास इसलिए है क्योंकि वहां लैंडिंग नहीं होने के कारण कई ऐसे रहस्य हैं जिसका खुलासा भारत कर सकता है।
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव खास तौर से दिलचस्प है क्योंकि इसकी सतह का बड़ा हिस्सा उत्तरी ध्रुव की तुलना में अधिक छाया में रहता है, इसके चारों तरफ स्थायी रूप से छाया में रहने वाले इन क्षेत्रों में पानी होने की संभावना है, चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में शुरुआती सोलर सिस्टम के जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हैं। मतलब साफ है कि चांद की जमीन से ऐसी जानकारी जुटाने और ऐसी खोज करने से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता को फायदा होगा, इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही आगे होने वाले चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव लाना है, ताकि आने वाले दौर के अभियानों में अपनाई जाने वाली नई टेक्नॉलोजी तय करने में मदद मिले। फिलहाल चंद्रयान-2 अपने अभियान की तरफ बढ़ चुका है, अब पूरे देश को उसके चाँद की उस सतह पर उतरने का इन्तजार है जहाँ तक अभी सिर्फ दुनिया के तीन देश ही जा सके हैं।
चंद्रमा धरती का सबसे नजदीकी उपग्रह है. इसपर फतह हासिल करके स्पेस में रिसर्च की कोशिश की जा सकती है, इससे जुड़े आंकड़े भी जुटाए जा सकते हैं. चंद्रयान-2 मिशन आगे के सभी अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आजमाने का परीक्षण केंद्र भी होगा, साथ ही चांद, हमें धरती के क्रमिक विकास और सोलर सिस्टम की छिपी हुई कई जानकारियों दे सकता है, फिलहाल, कुछ मॉडल मौजूद हैं, लेकिन चंद्रमा के बनने के बारे में और भी साफ होने की जरूरत है. इस मिशन से चांद कैसे बना और उसके विकास से जुड़ी जानकारी जुटाई जा सकेगी। सबसे खास बात ये है कि पानी होने के सबूत तो चंद्रयान 1 ने खोज लिए थे और अब ये पता लगाया जा सकेगा कि चांद की सतह और उपसतह के कितने भाग में पानी है. दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में लैंडिंग पानी की खोज के के लिए मददगार साबित होगा।
चंद्रयान-2 में GSLV Mk-III भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है, और इसे पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है, और ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा चंद्रयान 2 के लैंडर - विक्रम के बीच संकेत रिले करेगा, वहीं लैंडर विक्रम (विक्राम साराभाई के नाम पर रखा गया है) को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है, तथा प्रज्ञान रोवर- रोवर ए आई-संचालित 6-पहिया वाहन है, इसका नाम ''प्रज्ञान'' है, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है।