एनटीपीसी की घटना पर न्यूज़ प्लस की रिपोर्ट
एनटीपीसी भारत की नवरत्न कम्पनियो में एक है और इसकी एक यूनिट रायबरेली जनपद से 35 किलोमीटर दूर ऊंचाहार में स्थित है। जिसमे 210 मेगावाट की 5 यूनिट चल रही थी। 2014 से यहाँ पर 500 मेगावाट की एक बड़ी यूनिट बननी शुरू हुई और बिना कम्पलीट हुए बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के ही इस यूनिट का ट्रायल 30 अगस्त सेे शुुरु गया इतना ही नही यहाँ से बन रही बिजली को बेचना भी शुरू कर दिया गया।
कैसे हुआ हादसा
एनटीपीसी की छठी यूनिट को जल्दबाजी में चलाना भारी पड़ा और नतीजा हादसे के रूप में सबके सामने आ गया। दरअसल यूनिट को चलाने के लिए न तो ऐश पाण्ड तैयार था न कोल यूनिट इसलिए मौके पर आवश्यकता से अधिक मजदूर लगा कर मशीनों से होने वाले काम को मजदूरों से करवाया जा रहा था।
पूरे हादसे में प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो कोयले को एक बेल्ट के माध्यम से लाकर उसकी पिसाई होती है और उसको जलाकर पानी गर्म किया जाता है। जिससे बनी भाप से टरबाइन चला कर बिजली पैदा की जाती है। भाप के प्रेशर को चेक करने के लिए बकायदे डिजिटल मीटर लगे हैं जिससे ब्वायलर में बन रही स्टीम के प्रेशर को बाकायदा इंजीनियर की टीम चेक करती है। हादसे के कुछ वक्त पहले अचानक स्टीम का प्रेशर बढ़ने लगा तो मौजूद इंजीनियरों ने बाकायदा इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। लेकिन ऊपर बैठे लोगों ने इसे मौखिक रूप से खुद ही हैंडल करने की सलाह दे डॉली। स्टीम का प्रेशर नार्मल रहे तब तक प्लांट ठीक माना जाता है यदि प्रेशर बढ़ जाता है तो इसे खतरे की श्रेणी में रख कर बाकायदा प्लांट को बंद कर ठंडा होने के बाद कमियां दूर की जाती है। प्रेशर बढ़ना किसी न किसी कमी को ही उजागर करता है। प्रेशर लागतार 1 बजे के बाद से बढ़ता जा रहा था। जिसे गंभीरता से नही लिया गया।जिससे 3.30 पर प्रेशर बढ़ने की वजह से स्टीम वाल्व फट गया और वहाँ इस शिफ्ट में काम कर रहे करीब 600 मजदूरों में 250 के लगभग इसकी चपेट में आ गए और इतना बड़ा हादसा हो गया।
यहाँ एक बात और गौर करने वाली है कि यहां पर एक आपातकालीन सायरन (संकेतक) होता है जो लागतार एक हफ्ते में कई बार बज भी चुका था । किंतु यूनिट की खराबी को न मान कर इसे अनदेखा कर अधिकारी शांत रहे । यहां तक सूूत्र के अनुसार कल सायरन बन्द होने के बाद एक बार यूनिट ट्रिप भी कर गई। किंतु यहाँ मौजूद अधिकारियों की टीम ने इसे तुरंत फिर चालू कर दिया जो घोर लापरवाही है।
कौन है मुख्य जिम्मेदार
सूत्रों की माने तो गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से आए गुरदीप सिंह को विशेष नियमो के तहत एनटीपीसी का सीएमडी बना दिया गया। गुरदीप सिंह का पिछला रिकार्ड काफी अच्छा नही था लेकिन केंद्र की मोदी सरकार की नजदीकियों से सीएमडी बने गुरुदीप ने वाहवाही के चक्कर मे सबसे पहले पता किया कि कैसे नाम कमाया जाय और इस तरह रायबरेली की 500 मेगावाट यूनिट पर जल्द शुरू करने का दबाव बनाना शुरू किया। जिससे 3 साल में पूरी होने वाली यूनिट को ऊंचाहार टीम ने ढाई साल में 30 अगस्त को ही शुरू कर दिया और इससे बन रही बिजली को बेचना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार के सामने अपने नम्बर बढ़ा कर प्रधानमंत्री मोदी से उदघाटन करवाने का सपना लिये गुरुदीप ने नासमझी और जल्दबाजी में इतना बड़ा हादसा करवा दिया और अब तक 30 लोगो की जान जा चुकी है। हालांकि मामला बड़े स्तर का होने के कारण इस पर कोई भी जिम्मेदार बोलने से कतरा रहा है।
हादसे को दबाने की हुई पूरी कोशिश
एनटीपीसी में इतने बड़े हादसे के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिए और मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे कार्यरत मजदूरों के परिजनों को काफी समस्या आई। हालांकि प्रशासन से पहले स्थानीय लोगो ने घायलों के लिए रेस्क्यू शुरू कर दिया था किंतु एनटीपीसी प्रशासन लागतार लोगो को गुमराह करता रहा। खबर लिखे जाने तक लगभग 2 दर्जन लोग लापता हैं। परिजन आरोप लगाकर अपने लोगो से मिलवाने के लिए प्रशासन के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं।
जिम्मेदार पर कार्यवाही कब
दरअसल ऊंचाहार एनटीपीसी में हुए भयानक त्रासदी में अब तक केंद्र और राज्य सरकार के कई नुमाइंदे पंहुच चुके हैं किंतु अब तक किसी ने इसकी सीबीआई या अन्य संगठनों से जांच की बात नही की। घटना स्थल पर मौजूद प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो अब सिर्फ जिम्मेदार को बचाने के लिए स्थानीय मजिस्ट्रेट जांच का आश्वासन देकर लोगो को गुमराह किया जा रहा है। जानकार एनटीपीसी में हुए हादसे पर सवाल उठा रहे हैं।
पीड़ितों की चीख पुकार बीच सियासी हलचल
बुधवार को एनटीपीसी में साढ़े तीन बजे के करीब बाॅयलर की पाईप फटने से हुई अंगारों की बारिश से सैकड़ों ज़िन्दगियां तबह हो गयी। आग के लावों के ढेर में दबकर 30 जिन्दगियां दफन हो गयी। दर्दनाक मौतों एवं तड़पती सैकड़ों जिन्दगियों ने देश को दहलाकर रख दिया। इस दर्दनाक घटना से सियासत के गलियारों में हलचल मच गयी है। पीड़ितों का हाल लेने पहुंचे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रायबरेली पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर मृतको के परिजनों को बंधाया ढांढस। उसके बाद राहुल गांधी ने जिला अस्पताल पहुंचकर भर्ती घायलो का जाना व राजबब्बर, केएल शर्मा के साथ एनटीपीसी ऊॅचाहार पहुंचकर घटना के कारणों का जायजा लिया। राहुल गांधी ने मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
डिप्डी सीएम डाॅ दिनेश शर्मा ने एनटीपीसी पहुंचकर पूरी घटना का जायजा लिया एवं अस्पताल पहुंचकर घायलों को सहायता राशि दी। डिप्टी सीएम ने पीड़ितों को हर सम्भव मदद का भरोसा दिया। वहीं एनटीपीसी ऊॅचाहार पहुंचे केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि एनटीपीसी की ओर से पीडितों को दी जाने वाली मुआवजा राशि मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख व घायलों को 10-10 लाख व मामूली रुप घायलों को 2-2 लाख कर दी गई है।
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