LG Electronics India ने ₹15,000 करोड़ का अक्टूबर 2025 आईपीओ लॉन्च किया, जो 2025 का सबसे बड़ा ऑफर है और भारतीय बाजार में विदेशी निवेश को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
जब बात IPO, एक कंपनी द्वारा पहली बार सार्वजनिक तौर पर शेयर बेचने की प्रक्रिया. Also known as Initial Public Offering की होती है, तो दिमाग में कई प्रश्न आते हैं – कौन‑से शेयर बेचे जाएंगे, कैसे निवेश किया जाए, और नियामक SEBI क्या रोल निभाती है? शेयर, कंपनी में हिस्सेदारी का प्रमाणपत्र के माध्यम से कंपनी को नई पूँजी मिलती है, और यह पूँजी सीधे बाजार, सुरक्षित प्लेटफ़ॉर्म जहाँ शेयर का लेन‑देन होता है में प्रवेश करती है। इस वजह से निवेश, धन को बढ़ाने के लिए वित्तीय साधनों में लगाया गया पैसा करने वाले लोगों को नई अवसर मिलते हैं, लेकिन साथ ही जोखिम भी समझना जरूरी है। सरल शब्दों में, IPO को हम "कंपनी का सार्वजनिक फ़ेफ़ा" कह सकते हैं – यह कंपनी को पैसा दिलाता है, निवेशकों को नई संभावनाएँ देता है, और बाजार को नई परिसंपत्ति जोड़ता है.
एक IPO लॉन्च करने से पहले कंपनी को SEBI द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना पड़ता है, जिसमें प्रॉस्पेक्टस तैयार करना, मूल्य निर्धारण करना और बुक‑बिल्डिंग प्रक्रिया चलाना शामिल है। प्रॉस्पेक्टस में कंपनी की वित्तीय स्थिति, भविष्य की योजना, और जोखिम कारकों की पूरी जानकारी होती है, जिससे निवेशक अपने निवेश फैसलों को ठोस डेटा पर आधारित कर सकते हैं। जब प्राइस बैंड तय हो जाता है, तो बिड़िंग के दौरान संस्थागत और रिटेल निवेशक दोनों अपनी इच्छित मात्रा दर्ज करते हैं। इस चरण में अक्सर बड़े निवेश फर्मों की भागीदारी देखी जाती है, और उनका भरोसा छोटे निवेशकों के भरोसे को भी बढ़ाता है। पूरी प्रक्रिया का परिणाम यह होता है कि कंपनी का वैल्यूएशन तय हो जाता है और शेयरों की सार्वजनिक ट्रेडिंग शुरू होती है। इस समय बाजार की भावना, कंपनी की ब्रांड पहचान और उद्योग की ग्रोथ संभावनाएँ सभी मिलकर IPO की सफलता को निर्धारित करती हैं – एक सफल IPO बाजार को तरोताज़ा करता है, नई नौकरियों का सृजन करता है और निवेशकों को बेहतर रिटर्न की आशा देता है।
आजकल टेक स्टार्टअप, हेल्थकेयर और रीटेल सेक्टर में कई कंपनियां IPO की ओर बढ़ रही हैं, क्योंकि उन्हें बड़े पैमाने पर फंडिंग की जरूरत है। SEBI की कड़क निगरानी सुनिश्चित करती है कि सभी कंपनियां पारदर्शी रहें और निवेशकों को झूठी जानकारी न दी जाये। इसके अलावा, लॉक‑इन अवधि, ग्रेजुएटेड शेयरहोल्डर के अधिकार और डिविडेंड पॉलिसी जैसी बातें भी निवेशकों को पता होनी चाहिए, क्योंकि यही तत्व उनके दीर्घकालिक रिटर्न को प्रभावित करेंगे। इस तरह, IPO न केवल कंपनी के विस्तार का जरिया है, बल्कि शेयरहोल्डर के लिए एक नई निवेश साधन भी बन जाता है.
नीचे आपको विभिन्न लेखों और रिपोर्टों की एक क्यूरेटेड लिस्ट मिलेगी – ranging from recent IPO launches, market reactions, investor tips, और SEBI की नवीनतम दिशा‑निर्देशों तक। चाहे आप पहली बार शेयर खरीदने वाले हों या अनुभवी ट्रेडर, यहाँ की जानकारी आपको IPO की पूरी तस्वीर समझने में मदद करेगी। अब आगे बढ़ते हैं और देखें कि वर्तमान में कौन‑से कंपनियां IPO के लिए तैयार हैं, उनकी कीमतें क्या हैं, और क्या यह आपके पोर्टफोलियो के लिए सही विकल्प हो सकता है।
LG Electronics India ने ₹15,000 करोड़ का अक्टूबर 2025 आईपीओ लॉन्च किया, जो 2025 का सबसे बड़ा ऑफर है और भारतीय बाजार में विदेशी निवेश को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।