काफी लंबे अरसे से चली आ रही तीन तलाक की प्रथा अब खत्म होगी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात को साफ किया. कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक है, केंद्र सरकार को इसको लेकर 6 महीने के अंदर कानून बनाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में ये 5 बड़ी बातें कहीं..
1. मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा गैरकानूनी और असंवैधानिक है.
2. 5 में से 3 जजों ने कहा कि ट्रिपल तलाक जैसी कोई भी प्रथा मान्य नहीं है जो कुरान के मुताबिक न हो.
3. 3 जजों का यह भी कहना था कि ट्रिपल तलाक के जरिए तलाक देना एक तरह से मनमानी है, यह संविधान का उल्लंघन है इसे खत्म किया जाना चाहिए.
4. वहीं दो जजों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार अगले 6 महीने में इसको लेकर कानून नहीं बनाया तो इस पर बैन जारी रहेगा.
5. देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी राजनीतिक पार्टियों को कहा कि कानून बनाने के लिए अपने मतभेदों को किनारे रखते हुए केंद्र सरकार की मदद करें. मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर और जस्टिस नजीर ने अपने फैसले में विचार व्यक्त किया कि केंद्र जो भी कानून बनाए उसमें मुस्लिम लॉ और शरियत की चिंताओं को भी शामिल किया जाए.
इन पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
1. चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख)
2. जस्टिस कुरियन जोसेफ (ईसाई)
3. जस्टिस आरएफ नरिमन (पारसी)
4. जस्टिस यूयू ललित (हिंदू)
5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर (मुस्लिम)
आखिर क्या है तीन तलाक़
यह मुसलमानों से जुड़ी एक विवादित प्रथा है. तीन तलाक शरिया का नियम है. जिसमें पुरुष को तीन बार महज तलाक कहने भर से शादी ख़त्म होने का अधिकार मिलता है.