न्यूज़ प्लस विशेष संवाददाता
रायबरेली बीते दिनों लगातार पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर पत्रकार संगठनों ने चिंता व्यक्त करने के साथ पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग लागतार उठाई है, किंतु इसमे सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम का न उठाया जाना अराजकता को बढ़ावा देने के बराबर है । ऐसे में बढ़ती, आराजकता, भ्रष्टाचार एवं अपराधों को निष्पक्षता पूर्वक प्रमुखता से उजागर करके पत्रकारिता का प्रमुख उद्देश्य को कैसे बचाया जा सकता है ? चौथे स्तंभ से उम्मीदें तो सरकार को भी है किंतु उसके साथ खड़ा होना कोई सरकार नही चाहती। निष्पक्ष पत्रकारिता कर पाना और उस पर डटे रहना कलमकार के लिए किसी जंग लड़ने से कम नही रह गया है। आज ईमानदारी और जिम्मेदारी से पत्रकारिता करने वाले या तो मार दिए जाते हैं या जमीर बेचने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में स्वाभिमानी पत्रकार लगातार जिम्मेदारों को अपना पक्ष समय समय पर रख कर उन्हें जगाने की कोशिश करते रहते हैं।
किसका किसका है मामला
पहला मामला रायबरेली के हरचन्दपुर निवासी मनीष अवस्थी उर्फ बीनू तत्परता से पत्रकारिता का कार्य कर रहे हैं उनकी कलम ने एक तरफ कई बड़े भ्रष्टाचार खोले तो दूसरी तरफ पुलिस को कई बदमाशो को जेल की सलाखों तक पहुचाँने में कलम के माध्यम से मदद की।
दूसरा मामला डलमऊ के तेज तर्रार पत्रकार देवेश वर्मा का है जिन्होंने लगतार अपनी लेखनी से भ्रष्टाचार पर चोट की है और गरीबो को न्याय दिलाया है उनके इस जुनून ने उनके दुश्मनो की फेहरिश्त काफी लंबी कर दी जिससे उन्हें अब आये दिन धमिकयों का सामना करना पड़ता है। देवेश इन धमकियों से बिना डरे आज भी अपनी बेबाकी से काम कर रहे हैं।इन दोनों लोगो ने खबरों में अराजकता, भ्रष्टाचार, हत्या, चोरी, लूट बलत्कार जैसी अपराधिक घटनाओं को उजागर करने में न्यूज चैनल एवं प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से अब तक स्वयं में एक रिकॉर्ड बनाया है।
क्या है पूरा मामला
लगातार खबरों के परिप्रेक्ष्य में हरचन्दपुर के जुझारू पत्रकार का अहम रोल होने के कारण कुछ अराजक तत्वों द्वारा पत्रकार मनीष अवस्थी को व्यक्तिगत रुप से धमकी देने के साथ-साथ मानसिक रुप से पीड़ा पहुंचाने के अलावां हरचन्दपुर पुलिस प्रशासन के माध्यम से फर्जी मुकदमें में फसाने व सुनियोजित ढंग से कार्यवाई करने की आशंका है ।
Iवहीं देवेश ने थुलरई गांव के लोगो द्वारा लगातार कोटे में हो रही गड़बड़ियों की शिकायत को देवेश ने मुद्दा बना कर छापा और चैनेल में चलाया जिससे कोटेदार की जांच हुई और उसका कोटा निलम्बित हो गया । कोटेदार ने निलम्बन के दौरान बहाली के चक्कर मे कई अधिकारियों के फर्जी दस्तखत कर जाली कागजात तैयार कर लिए लेकिन देवेश ने प्रमुखता से इस मुद्दे को भी उठाया नतीजा यह रहा कि कोटेदार ने देवेश को तहसील गेट पर रोक कर जान से मारने की धमकी दे डाली।
क्या है पत्रकारों आशंका
पत्रकार मनीष अवस्थी से बात करने पर संवाददाता ने बताया कि क्षेत्र में बढ़ते अपराधों को प्रमुखता से उजागर करने के कारण उसे सूत्रों से मिली जानकारी से आशंका हैं कि हरचन्दपुर थानाध्यक्ष धीरेन्द्र या त्रिपाठी ग्राम प्रधान के साथ मिलकर उसे एवं उसके परिवार को फर्जी मुकदमें में फंसा सकते हैं। वही पत्रकार देवेश ने बताया कि कोटेदार द्वारा अब तक कई लोगो के माध्यम से समझ जाने की धमकी दी जिसे हमने कभी गंभीरता से नही लिया किंतु तहसील गेट पर आमने- सामने की मुलाकात में उसने सीधे तौर पर जान से मारने की धमकी दे डाली।
पुलिस अधीक्षक से है उम्मीदें
एक तरफ प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार मुक्त रामराज लाना चाहती हैं। वहीं दूसरी तरफ लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ कलम के सिपाही ही प्रशासन से अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में कैसे निर्भीक होकर निष्पक्षता पूर्वक स्वच्छ पत्रकारिता की जा सकती है । मनीष ने पुलिस अधीक्षक और देवेश ने डलमऊ कोतवाल को प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा एवं कार्यवाई की मांग की है ताकि वो निर्भीक होकर निष्पक्षता पूर्वक पत्रकारिता कर सके। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि कलम के इन सिपाहियों के प्रार्थना पत्र रायबरेली पुलिस क्या कार्यवाही करती है क्यों कि जिले में अराजकता से निपटने की पूरी जिम्मेदारी उनकी ही है।