कवि सम्मेलन में याद किये गए “बापू” व “शास्त्री”

0
307

महाकवि सम्मेलन में वर्तमान व्यवस्था पर किया गया वार, “बापू” व “शास्त्री” जी को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

रायबरेली (शिवगढ़)-अन्तरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस पर शिवगढ़ क्षेत्र के पं0 दीनदयाल उपाध्याय माधव प्रसाद बाल विद्या मन्दिर भवानीगढ़ चौराहे के प्रांगण में गत वर्षों की भाॅति महा कविसम्मेल का आयोजन किया गया। विराट कविसम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे पं0 गिरिजा शंकर मिश्र,कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक रामनरेश रावत,पूर्व एमएलसी राजाराकेश प्रताप सिंह एवं लखनऊ,बाराबंकी,उन्नाव, रायबरेली,प्रतापगढ़,सुल्तानपुर, अमेठी,सीतापुर सहित जनपदों से आये हुए मशहूर हास्य,व्यंग,वीर रस के कवियों द्वारा सत्य अंहिसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री पं0 लाल बहादुर ‘शास्त्री’ की प्रतिमा पर पुष्पमाला चढ़ाकर राष्ट्र दोनो महापुरुषों को नमन् करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। तत्पश्चात माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माला चढ़ाकर एवं द्वीप प्रज्ज्वलित करते हुए करतल ध्वनि के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कवियों ने हास्य-व्यंग्य की फुहार बरसाकर लोगों को खूब हंसाया। उन्नाव से आये हुए व्यंग कवि केडी शर्मा ‘हाहाकारी’ ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा-हनीप्रीत न खोजे मिलती,मिले कहूं न ढूढ़े,स्वर्ण भस्म विन जेल के भीतर बाबा हो गये बूढ़े। वहीं मंच का संचालन कर रहे कवि अशोक बेशरम ने अपनी कविता के माध्यम से व्यंग बांण छोड़ते हुए कहाकि ‘गांधी जी ऐसे मर्दों को लगोट दे गये, कुछ थे जो लोकतन्त्र को भी चोट दे गये,वर्दी के नुमाइन्दे बेशरम थे इस कदर,शमशान से मुर्दे भी आके वोट दे गये। लखनऊ से आये कवि डा0 अशोक अज्ञानी ने वियोग श्रृगार से ओतप्रोत अपनी रचना प्रस्तुत करते कहाकि दर्द की अनुभूति का भूगोल कोई क्या लिखेगा,बाॅसुरी की वेदना के बोल कोई क्या लिखेगा, रामलीला कृष्ण की लिखना बहुत आसान, लेकिन गोपियों के आंसुओं का मोल कोई क्या लिखेगा। रायबरेली की प्रसिद्ध ओज कवित्री शबिस्ता ब्रज़ेश ने कविता पाठ करते हुए कहा न वेदों की ऋचा लिखना ,न जन्नत की एरम लिखना,धरम से भी बड़ा यह देश है इसका भरम लिखना।न हो कुरआन की आमत,भले काफिर मैं कहलाऊ, कफन पर रख वतन की धूल, वन्देमातरम् लिखना।उन्नाव से आये कवि विश्वनाथ ‘विश्व’ ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहाकि राम को फिर धरा पर बुला लीजिए, गीत फिर शान्ति का गुनगुना लीजिए।हर तरफ जब घनी ही घनी रात हो,आस्था का दिया तब जला लीजिए। हैदरगढ़ बाराबंकी के कवि शिवकिशोर तिवारी ‘खंजन’ ने भक्ति रस से ओतप्रोत कविता प्रस्तुत करते हुए कहाकि मिले याद प्रेम का प्याला,जहर भी जाम होता है।ह्दय जो प्रेम में डूबा,ओ प्रभू का धाम होता है।जिनका कार्य उत्तम और उत्तम है घराना भी।वहीं दशरथ का बेटा बनके पैदा राम होता है। सीतापुर से आये कवि जनजीवन मिश्र ‘मिश्रिख’ ने भक्ति रस से ओतप्रोत कविता पाठ करते हुए कहाकि-प्रेम में कहीं छाँव है तो कहीं धूप है,प्रेम होता भी भावों के अनुरुप है,प्रेम में हो समर्पण मगर त्याग हो,प्रेम ईश्वर का फिर दूसरा रुप है। रायबरेली के युवा कवि जय श्री सैनी ‘सायक’ ने देश भक्ति से ओतप्रोत अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहाकि कवि इंजन है गाड़ी का,ज्ञान है इसका स्पार्क। बिना मिले न होगी गाड़ी स्टार्ट। गाड़ी यह देश है जिसे करना है गतिमान,हम सभी को इसी उद्देश्य से करना है कुछ काम।इसी क्रम में सुशील चन्द्र पाण्डेय ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहाकि-प्रेम सद्भाव भाई चारे के पुजारी हम, चाहते हैं रक्षा भी पड़ोसियों के मान की। कलम के सिपाही बीके शुक्ल ने राष्ट्र में कवियों योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहाकि अन्धकार है वहाॅ जहाँ आदित्य नही, मुर्दा है वह देश जहाँ साहित्य नही। मौके पर कवियों द्वारा चलाए गये हास्य-व्यंग्य के तीरों से सीधे वर्तमान व्यवस्था पर प्रहार किया गया। दूर-दूर से आए कवियों ने जादुई अंदाज में हास्य कविता प्रस्तुत कर लोगों को खूब हंसाया। कवियों ने कभी जिंदगी के अनछुए पहलुओं को उजागर किया तो कभी जिंदगी की सच्चाई को प्रस्तुत किया। कविता सुनकर किसी रचना में लोग कभी जोर-जोर से ठहाके लगाते तो किसी रचना में उनकी आंखों से खुशी के आंसू भी निकलते दिखाई दिए। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रख्यात कवियों ने श्रोताओं को खूब रिझाया, गुदगुदाया और ठहाके लगवाए। वीर रस, हास्य, व्यंग्य, ओज और शृंगार के जाने माने कवियों ने अपने अपने ढंग, अंदाज और विभिन्न विधाओं में ऐसी काव्य सरिता बहाई कि श्रोताओं ने खूब डुबकियां लगाई। देश और राज्यों की राजनीति पर ऐसे ऐसे बाण छोड़े की श्रोता हंस-हंस कर लोटपोट हो गये।
जहाँ हास्य कवि अपनी कविताओं से गुदगुदा रहे थे तो वहीं उनकी हौसला अफ्जाई कर रहे सैकड़ों की संख्या में मौजूद श्रोता दीर्घा में तालियों की गड़गड़ाहट और साथ ही हंसी की फुलझ़ड़ियों के साथ ही ठहाके पर ठहाके लगाए जा रहे थे। इस अवसर पर शिवगढ़ थानाध्यक्ष लाल चन्द्र सरोज भारी पुलिस बल के साथ सुरक्षा व्यवस्था में पूरी तरह से मुस्तैद नजर आये। इस मौके पर कविसम्मेलन के आयोजक एवं विद्यालय के प्रबन्धक रामविलास शर्मा,कुम्भी प्रधान दिग्विजय सिंह उर्फ मुन्ना भइया,पीसीसी सदस्य नन्द किशोर तिवारी, दुर्गाबक्स सिंह,अशोक सिंह,पंकज मिश्रा,विष्णु गोस्वामी,नीरज शुक्ला सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

 

रायबरेली से न्यूज प्लस के लिए अंगद राही की रिपोर्ट

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here