अबकी सेंट्रल बार चुनाव में हारी जातीयता

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न्यूज़ प्लस विशेष संवाददाता

रायबरेली अधिवक्ताओं की सबसे बड़ी पंचायत सेण्ट्रल बार एसोसिएशन की रायबरेली कार्यकारिणी का चुनाव इस बार तमाम सबक दे गया। बुद्धिजीवियों ने अपने मताधिकार का जो गुप्त प्रयोग किया था, मतगणना के समय जब वह सामने आया तो वह लोग दंग रह गये जो न्याय के पुजारियों के इस चुनाव को गुटबाजी और जातिवाद तक सीमित रखना चाहते थे। हालांकि चुनाव को जातिवाद से जोडऩे की कोशिशें बहुत हुयी प्रचार भी किया गया लेकिन फिर भी बुद्धिजीवियों ने साबित कर दिया कि यहां फैसला जातीय आधार पर नहीं योग्यता और क्षमता के आधार पर होता है।  इस बार एसोसिएशन के चुनाव में रामलखन सिंह अध्यक्ष और आशीष पाण्डेय महामंत्री पद पर निर्वाचित हुये थे। कहा जा रहा था कि यह चुनाव ठाकुर और ब्राहम्ण के गठजोड़ से लड़ा जा रहा है। जब चुनाव परिणाम आया और रामलखन सिंह को मिले मतों की गणना पूरी हुयी तो गठजोड़ की बात झूठी साबित हो गयी। श्री सिंह को मिले मतों पर नजर डालें तो ब्राहम्ण और क्षत्रिय अधिवक्ताओं की संख्या करीब 725 के आसपास बतायी जाती है जबकि श्री सिंह को एक सैकड़े से ज्यादा अधिक मत मिले हैं। स्पष्ट है कि अधिक्ताओं ने रामलखन सिंह की कार्य क्षमता और योग्यता केआधार पर चुना है। राम लखन सिंह अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि के  हैं। कई बार अपनी ग्राम सभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। स्वभाव से सरल और वाणी से सरस हैं। मिलनसार व्यक्तित्व है। वकालत का एक लम्बा अनुभव रखते हैं। महामंत्री पद पर आशीष पाण्डेय तेज व्यक्तित्व के हैं और क्रिमिनल के अच्छे वकील हैं। माना जाता है कि अध्यक्ष सरल और महामंत्री तेज होना चाहिए। शायद इसी वजह से बुद्धिजीवियों के इस वर्क ने इन दो नामों पर अपनी मुहर लगायी। वकीलों की बात उचित फोरम पर मजबूती के साथ रखने में नवनिर्वाचित अध्यक्ष और महामंत्री पूर्णतया सक्षम है। आशा है कि नवनिर्वाचित पदाधिकारी न्याय के मंदिर की गरिमा को बनाये रखते हुए अधिवक्ता हितों की लड़ाई पूरे जोश के साथ लड़ेंगे।

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