सारिका द्वारा लिखित “हौसला” को लोगो ने सराहा

0
254

हिन्दी दिवस पर ‘सारिका’ ने लिखी प्रेरणादायक कहानी,शिक्षकों ने किया उत्साह वर्धन

********************************************

रायबरेली (शिवगढ़) क्षेत्र के श्री बरखण्ड़ी विद्यापीठ इण्टर कालेज शिवगढ़ से इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात श्री बरखण्ड़ी महाविद्यालय शिवगढ़ में दाखिला लेकर बीए प्रथम वर्ष में शिक्षा ग्रहण कर रही छात्रा सारिका अवस्थी ने हिन्दी दिवस पर ‘हौसला’ शीर्षक नामक कहानी लिखकर सबका मन मोह लिया। प्रेरणादायक हौसला कहानी को शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं द्वारा जमकर सराहा गया। श्री बरखण्ड़ी विद्यापीठ के प्रधानाचार्य डा0 त्रिद्विवेन्द्रनाथ त्रिपाठी एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 आरके सिंह व शिक्षकों ने सारिका का उत्साह वर्धन करते हुए,उज्ज्वल भविष्य के लिए उसे खूब आशीष दिया।

हौसला

मैं उस लड़की को तथा उसके हौंसले को चाहकर भी नही भूल सकती, जब वो लड़की पहली बार हमारी कक्षा में आयी तो उसे देखकर मुझे बिल्कुल अच्छा न लगा, मैं उसे अपने पास बैठाती भी नही थी। किन्तु धीरे-धीरे उस लड़की का स्वाभाव मुझे अच्छा लगने लगा, और हम अच्छे मित्र बन गये। उसने मुझसे पूंछा कि तुम्हारा लक्ष्य क्या है, मैंने कहाकि मैं एक अध्यापक बनना चाहती हूं, मैंने भी उससे पूंछा तो उसने कहाकि मैं भी अध्यापक बनना चाहती हूं। यह जानने के बाद हम और घनिष्ठ हो गये। अब वह मेरी सबसे प्यारी सखी बन चुकी थी। क्योंकि हमारा लक्ष्य एक ही था। एक बार हमारे प्रधानाचार्य ने हम सबको पिकनिक पर घूमने भेजा। कालेज के सभी बच्चों को साथ देखकर हम सभी बहुत खुश थे। किन्तु यह किसी को नही पता था कि यह खुशी मेरी मेरी सहेली के लिए कुछ ही पल की थी। हम सभी घूम रहे थे कि तभी हमारी सखी ने देखा कि एक वाहन सड़क पर तेजी से आ रहा है और एक बुजुर्ग व्यक्ति सड़क पार कर रहा है। वह उसे बचाने के लिए भागी उसने उस बृद्ध को तो बचा लिया पर कुद को नही बचा पाई उस दुर्घटना में उसके दोनो पैर छतिग्रस्त हो गये। इस मार्मिक घटना से जहां हम सभी बेहद दुखी थे। वहीं मेरी प्यारी सखी विकलांगता के अभिशाप से निराश होकर अपने जीवन से हार मान चुकी मेरी सखी को समझाते हुए शिक्षक ने कहा कि तुम अपना हौसला मत टूटने देना। एक दिन देखना तुम अपने दृढ़ निश्चय और हौसले से कामयाबी के उस मुकाम पर पहुंचोगी। जहां पहुंचने के लिए लोग कल्पना किया करते हैं। शिक्षक का कहना बिल्कुल सही हुआ। कुछ दिनों पश्चात मैं अध्यापक बन गयी। शहर में प्रसिध्द गायिका का कार्यक्रम सुनकर मैं विद्यालय के बच्चों को गीत सुनाने के लिए साथ लेकर गई । जब मैंने एक ऊचे मंच पर उस गायिका को गीत गाते और हजारों की संख्या में तालियां बजाते दर्शकों को देखा तो दंग रह गयी मुझे विश्वास नही हो रहा था कि वह प्रसिद्ध गायिका कोई और नही बल्कि मेरी वही प्यारी सखी थी जिसने बृद्ध को बचाने में अपने दोनों पैर खो दिए थे। गीत समाप्त होते ही जब मैं उसके पास पहुंची तो उसने एक नज़र में मुझे पहॅचान लिया था। एक दूसरे को पाकर हम दोनों की खुशी का ठिकाना नही था। मैंने कहा कि सखी गुरु जी ने सत्य कहा था। आज तुम्हे सफलता की इस ऊंचाई पर देखकर मन गदगद हो गया। मुस्कुराते हुए प्रति उत्तर में प्यारी सखी ने मेरा हाथ अपने हाथों में थामते हुए कहाकि हाॅ सखी, गुरु जी ने बिल्कुल सत्य कहा था। अगर ‘हौसला’ मजबूत हो तो व्यक्ति आसानी से अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है।

लेखिका:- सारिका अवस्थी
बीए प्रथम वर्ष
पहाड़पुर,शिवगढ़,रायबरेली

रायबरेली से न्यूज प्लस के लिए अंगद राही की विशेष रिपोर्ट

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here