शिक्षण संस्थानों में धूम-धाम से मनायी गयी भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती रायबरेली(शिवगढ़)– लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जंयती को शिवगढ़ क्षेत्र के प्रा0 वि0 पूरे पाण्डेय, श्री शिवकुमार त्रिवेदी कैरियर प्लस इण्टर कालेज शिवगढ़, न्यू पब्लिक इण्टर कालेज भवानीगढ़, श्री बरखण्ड़ी विद्यापीठ इण्टर कालेज शिवगढ़, श्री बरखण्ड़ी महाविद्यालय शिवगढ़,सरस्वती शिशु मन्दिर शिवगढ़ सहित शिक्षण संस्थाओं एवं कार्यालयों में बड़े ही धूम-धाम के साथ ‘राष्ट्रीय एकता दिवस, के रुप में मनाया गया। श्री शिवकुमार त्रिवेदी कैरियर प्लस इण्टर कालेज शिवगढ़ के संस्थापक प्रदीप त्रिवेदी,प्रधानाचार्या इन्दू सिंह,प्रबन्धिका पूनम त्रिवेदी द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्प माला चढ़ाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस मौके पर शिक्षक विनोद मिश्रा,सुशील सिंह,बृजेन्द्र सिंह,अंकित वर्मा,रवी अवस्थी,शैलेन्द्र वर्मा,महेन्द्र दुबे सहित छात्र छात्राए उपस्थित रहे।
कालेज के संस्थापक प्रदीप त्रिवेदी ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण में सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव प्रेरणा के रूप में देश के सामने रहेगा। उन्होंने युवावस्था में ही राष्ट्र और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया था। इस ध्येय पथ पर वह नि:स्वार्थ भाव से जीवधन पर्यन्त लगे रहे।
प्रा0 विद्यालय पूरे पाण्डेय शिवगढ़ की प्रधानाध्यापिका शिखा बाजपेई ने लौह पुरुष की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहाकि गीता में भगवान कृष्ण ने कर्म कौशल को योग रूप में समझाया है। अर्थात अपनी पूरी कुशलता, क्षमता के साथ दायित्व का निर्वाह करना चाहिए। सरदार पटेल ने आजीवन इसी आदर्श पर अमल किया। जब वह वकील के दायित्व का निर्वाह कर रहे थे, तब उसमें भी मिसाल कायम की।जब वह जज के सामने जिरह कर रहे थे, तभी उन्हें एक टेलीग्राम मिला, जिसे उन्होंने देखा और जेब में रख लिया. उन्होंने पहले अपने वकील धर्म का पालन किया, उसके बाद घर जाने का फैसला लिया. तार में उनकी पत्नी के निधन की सूचना थी।
वस्तुत: यह उनके लौहपुरुष होने का भी उदाहरण था। ऐसा नहीं कि इसका परिचय आजादी के बाद उनके कार्यों से मिला, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व की बड़ी विशेषता थी। इसका प्रभाव उनके प्रत्येक कार्य में दिखाई देता था।इस मौके पर सहायक अध्यापिका दीप्ती पन्त,संतोष कुमार,भावना शुक्ला आदि लोग उपस्थित रहे। न्यू पब्लिक एकाडमी इण्टर कालेज भवानीगढ़ में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रबन्धक विवेक बाजपेई ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा बचपन में फोड़े को गर्म सलाख से ठीक करने का प्रसंग भी ऐसा ही था।तब बालक वल्लभभाई अविचलित थे। एक बार उन्हें फोड़ा हो गया जिसका खूब इलाज करवाया गया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ. इस पर एक वैध ने सलाह दी कि इस फोड़े को गर्म सलाख से फोड़ा जाए तो ठीक हो जाएगा. बच्चे को सलाख से दागने की हिम्मत किसी की भी नहीं हुई ऐसे में सरदार पटेल ने खुद ही लोहे की सलाख को गर्म किया और उसे फोड़े पर लगा दिया, जिससे वह फूट गया।उनके इस साहस को देख परिवार भी अचंभित रह गया।
यह प्रसंग उनके जीवन को समझने में सहायक है। आगे चलकर उनकी इसी दृढ़ता और साहस ने उन्हें महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कुशल प्रशासक के रूप में प्रतिष्ठित किया।देश को आजाद करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस मौके पर प्रधानाचार्य अनूप पाण्डेय,सत्य प्रकाश,उदय प्रताप वर्मा,राजकुमार गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।
सरस्वती शिशु मन्दिर शिवगढ़ में प्रधानाचार्य शिवपाल सिंह यादव ने अपने उद्बोधन में कहाकि
गांधी भी लौह पुरुष का लोहा मानते थे। महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के साथ ही कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव आया था। इसकी गतिविधियों का विस्तार सुदूर गांव तक हुआ था। लेकिन इस विचार को व्यापकता के साथ आगे बढ़ाने का श्रेय सरदार पटेल को दिया जा सकता है। उन्हें भारतीय सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की भी गहरी समझ थी। वह जानते थे कि गांवों को शामिल किए बिना स्वतंत्रता संग्राम को पर्याप्त मजबूती नहीं दी जा सकती। श्री बरखण्ड़ी विद्यापीठ इण्टर कालेज शिवगढ़ के प्रधानाचार्य डा0 त्रिद्विवेन्द्रनाथ नाथ त्रिपाठी ने लौह पुरुष के जीवन पर विस्तृत रुप से प्रकाश डालते हुए कहाकि
सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था कि हमारी निर्भयता ही हमारा कवच है।
वारदोली सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने पूरे देश को इसी बात का संदेश दिया था. इसके बाद भारत के गांवों में भी अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी थी। देश में हुए इस जनजागरण में सरदार पटेल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। इस बात को महात्मा गांधी भी स्वीकार करते थे,सरदार पटेल के विचारों का बहुत सम्मान किया जाता था,उनकी लोकप्रियता भी बहुत थी। स्वतंत्रता के पहले ही उन्होंने भारत को शक्तिशाली बनाने की कल्पना कर ली थी। श्री बरखण्ड़ी महाविद्यालय शिवगढ़ के प्रचार्य आर0के0 सिंह ने अपने उद्बोधन में कहाकि संविधान निर्माण में ‘भारत रत्न’ ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल का महत्व पूर्ण योगदान था। इस तथ्य को डॉ. अम्बेडकर भी स्वीकार करते थे। सरदार पटेल मूलाधिकारों पर बनी समिति के अध्यक्ष थे। इसमें भी उनके व्यापक ज्ञान की झलक मिलती है। उन्होंने अधिकारों को दो भागों में रखने का सुझाव दिया था। एक मूलाधिकार और दूसरा नीति-निर्देशक तत्व।
मूलाधिकार में मुख्यत: राजनीतिक, सामाजिक, नागरिक अधिकारों की व्यवस्था की गई, जबकि नीति निर्देशक तत्व में खासतौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया. इसमें कृषि, पशुपालन, पर्यावरण, जैसे विषय शामिल है. इन्हें आगे आने वाली सरकारों के मार्गदर्शक के रूप में शामिल किया गया। बाद में न्यायिक फैसलों में भी इसकी उपयोगिता स्वीकार की गई। यहां इस प्रसंग का उल्लेख अपरिहार्य था।
सरदार पटेल भारत की मूल परिस्थिति को गहराई से समझते थे। वह जानते थे कि जब तक अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण बना रहेगा, तब तक संतुलित विकास होता रहेगा। इसके अलावा गांव से शहरों की ओर पलायन नहीं होगा। गांव में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे,आजादी के बाद भारत को एक रखना बड़ी समस्या थी। पूर्व माध्यमिक विद्यालय बैंती की प्रधानाध्यापिका राजेश्वरी देवी ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहाकि-
अंग्रेजों के षड्यंत्र को किया था असफल
अंग्रेज जाते-जाते अपनी कुटिल चाल चल गए थे। साढ़े पांच सौ से ज्यादा देशी रियासतों को वह अपने भविष्य के निर्णय का अधिकार दे गए थे। उनका यह कुटिल आदेश एक षड्यंत्र जैसा था। वह दिखाना चाहते थे कि भारत अपने को एक नहीं रख सकेगा। देश के सामने आजाद होने के तत्काल बाद इतनी रियासतों को एक रखने की चुनौती सामने थी। सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता से एकीकरण का कार्य संपन्न कराया। इसमें भी उनका लौहपुरुष व्यक्तित्व दिखाई देता है।
उन्होंने देशी रियासतों की कई श्रेणियां बनाईं। सभी से बात की अधिकांश को सहजता से शामिल किया। कुछ के साथ कठोरता दिखानी पड़ी। सेना का सहारा लेने से भी वह पीछे नहीं हटे. देश की एकता को उन्होंने सर्वोपरि माना. आजादी के बाद उन्हें केवल तीन वर्ष ही देश सेवा का अवसर मिला। इसी अल्प अवधि में उन्होंने बेमिसाल कार्य किए। इस मौके पर आदित्य नरायन पटेल,श्याम विहारी,कल्पना सिंह,प्रियंका पटेल,पूनम,लाल बाबू,कमल किशोर आदि लोग मौजूद रहे। कृतिका ज्ञान विज्ञान स्कूल शिवगढ़ की प्रबन्धिका वर्षा श्रीवास्तव,प्राचानाचार्य विक्रम सिंह विद्यालय में छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहाकि सरदार पटेल की ईमानदारी ऐसी थी कि निधन के बाद खोजबीन किए जाने पर उनकी निजी संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं था। लेकिन उनके प्रति देश की श्रद्धा और सम्मान का खजाना उतना ही समृद्धशाली था। यह उनकी महानता का प्रमाण है।
रायबरेली से न्यूज प्लस संवाददाता अंगद राही की रिपोर्ट