शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा

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पूरे राजकीय सम्मान के साथ हुआ शहीद का अंतिम संस्कार
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जम्मू कश्मीर के अखनूर सेक्टर में शहीद हुए रायबरेली के लाल का अंतिम संस्कार शहीद के गाँव में ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया,
रायबरेली जिले के भदोखर थाने के मोहम्मद शरीफ गांव के अजयपाल सिंह उर्फ कुलदीप सिंह की शहादत की खबर गाँव में आते ही पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गयी थी, शहीद का अंतिम संस्कार होने के बाद अब भी शहीद जे पूरे गाँव सहित पूरे क्षेत्र में गम का माहौल है,
जिले का वीर सपूत अजय पाल सिंह राजपूताना रेजीमेंट का जवान था और जम्मू कश्मीर के अखनूर सेक्टर में तैनात था। गुरुवार की रात करीब 11 बजे आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में गोली लगने से अजय शहीद हो गया था। उसका शव गांव पहुंचने के बाद से पूरा गांव गम में डूब गया। शहीद सैनिक कुलदीप की इसी साल 12 जून को शादी हुई थी। कुलदीप की शहादत की खबर के बाद से उसकी पत्नी और मां गहरे सदमें में है।
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आधी रात के बाद आई खबर तो पसरा सन्नाटा
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परिजनों के मुताबिक घटना की रात कुलदीप की ड्यूटी अखनूर सेक्टर में थी,जहां आतंकियों से उनकी सैन्य टुकड़ी की मुठभेड़ हो गई। आमने-सामने हुई फायरिंग में गोली लगने से अजयपाल की मौत हो गई। घटना रात 11 बजे की बताई गई है। रात में दो बजे पिता के मोबाइल पर अखनूर से सूचना आई कि आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में अजय शहीद हो गया है। संदीप की मां शारदा देवी दिल की मरीज है जिस वजह से उस वक्त उन्हें ये खबर नही बताई गई। पूरे घर में मातम का माहौल है और गांव में सन्नाटा छाया हुआ है। शहीद के परिवार में देश के लिए सेवा करने का जज्बा पूरे परिवार में हैं,
अजय के चचेरे भाई संदीप सिंह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में है और उनकी पोस्टिंग अनन्तनाग में है। वह 25 दिन की छुटटी पर गांव आए हुए हैं।
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घर में सबसे दुलारे व छोटे थे शहीद अजय पाल सिंह
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शहीद जवान अजय पाल सिंह चार भाईयों सरदार सिंह, कप्तान सिंह और प्रदीप सिंह में अजय पाल सिंह सबसे छोटा था। उसे छात्र जीवन से ही फौज में भर्ती होने की धुन सवार थी। उसने कड़ी मेहनत और पढाई करके फौज की तैयारी की। 22 जून 2013 को उसे उसकी मंजिल मिल गई और अमेठी भर्ती केंद्र के जरिए वह राजपूताना रेजीमेंट में भर्ती हो गया।
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अभी तो नहीं उतरा अभी मेहँदी का रंग
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अजय पाल सिंह उर्फ कुलदीप सिंह की मौत इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है मगर परंतु उसकी पत्नी लता सिंह को वक्त ने ऐसा घाव दिया है जो की आजीवन भर पाना मुश्किल है, लगभग तीन इसी साल 12 जून को उनकी शादी हुई थी।फौजी पति के साथ लता बहुत खुश थी। कुलदीप के ड्यूटी पर वापस जाने के बाद लता वापस अपने मायके ताला गोपालपुर भदोखर में ही थी। शुक्रवार को वह दोबारा अपनी ससुराल पहुंची तो उसके उपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
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ग्रामीणों ने किया प्रशाषन का विरोध
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ग्रामीणों ने शहीद का शव आने के बाद गांव में पाकिस्तान मुर्दाबाद व जिला प्रशाषन मुर्दाबाद के नारे लगाये , शहीद के शव आने की सूचना के पहले ही सदर उपजिलाधिकारी सुनंदू सुधाकरन, सीओ सिटी शेषमणि उपाध्याय मौके पर पहुँच गए मगर ग्रामीणों ने विरोध करते हुए इस बात की मांग की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौके पर आएं व उनकी मांगे माने और ग्रामीणों ने इलाहाबाद- लखनऊ मुख्यमार्ग जाम कर दिया और हंगामा किया उसके बाद ऊंचाहार, डलमऊ,जगतपुर सहित कई थानो की फोर्स ने मोर्चा सम्भाला बहुत देर बाद उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री व रायबरेली के प्रभारी मंत्री नंदगोपाल गुप्ता ने मौके पर पहुँच कर प्रिजनोंको ढांढस बंधाया, मौके पर पूर्व सदर विधायक अखिलेश सिंह,एमएलसी दिनेश सिंह, सरेनी विधायक धीरेन्द्र सिंह में शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि दी और पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीणा  व सीडीओ देवेन्द्र पाण्डेय व सेना के जवानो व अधिकारीयों ने शहीद को कन्धा दिया व अंतिम श्रद्धांजलि दी, पूरे गाँव में शोक की लहर है और गांव की वीरान गलियाँ शहादत की कहानी चीख चीख कर वीरता की दास्तान सुना रही हैं।

 

रायबरेली से न्यूज प्लस के लिए देवेश वर्मा की रिपोर्ट

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