ऊँचाहार NTPC के हादसे के 42 घण्टे बाद सामने आए एनटीपीसी चेयरमैन गुरदीप सिंह ने कई चौंकाने वाली बातें कही जो शायद ही किसी को हजम हो लेकिन हम इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ आपके सामने रख रहे हैं।
अब तक 36 लोगों की हो चुकी है मौत
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में स्थित 1550 मेगावाट क्षमता की फिरोज गांधी ऊंचाहार प्लांट में एक नवंबर को बायलर फटने की घटना में कई लोग हताहत हुए और हादसे के 42 घण्टे बाद संस्थान के प्रबंध निदेशक गुरुदीप सिंह मीडिया के सामने आए । सबसे पहले श्री सिंह ने कहा ऊंचाहार बिजली संयंत्र में दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 32 पहुंच गयी है। लेकिन हम आपको बता दें सूत्रों के अनुसार ये संख्या 36 हो गई है।
दुर्घटना के कारणों की जांच के लिये कार्यकारी निदेशक एस के राय की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी है। समिति एक महीने में रिपोर्ट देगी। उन्होंने यह भी कहा कि एनटीपीसी प्लांट विस्फोट अपनी तरह की दुर्लभ घटना है, इकाई का प्रबंधन काफी अनुभवी लोगों के हाथों में था। ये पूरी बाते गले नही उतरती । क्यों कि अब भी वही सवाल है अगर प्रबन्धन अनुभवी और जिम्मेदार था तो हादसा कैसे हुआ ?
यूनिट को फिर से चालू करने में लग सकता है 6 महीने का वक्त
एनटपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने कहा कि यूनिट को फिर से चालू करने में लगभग तीन से छह महीने का समय लगेगा. बता दें कि विस्फोट की घटना के बाद प्लांट की 500 मेगावाट क्षमता की छठी यूनिट बंद है. कुल 1550 मेगावाट क्षमता के इस प्लांट में 1,050 मेगावाट क्षमता की यूनिट ऑपरेट होती हैं. इस प्लांट से नौ राज्यों को बिजली की आपूर्ति की जाती है.
ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ गुरुवार को ऊंचाहार पावर प्लांट का दौरा किया. उन्होंने घटना में मारे गये लोगों के परिवार को 20 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 10 लाख रुपये और अन्य जख्मी को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों को NTPC ने किया खारिज
हादसे के बाद प्लांट की सुरक्षा को लेकर उठे सवालों को एनटीपीसी ने खारिज किया है। एनटीपीसी के चेयरमैन गुरदीप सिंह ने शुक्रवार को कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि प्लांट को जल्दबाजी में शुरू किया गया था। प्लांट को दिसंबर 2016 में कमिशन होना था लेकिन वह मार्च 2017 में शुरू हुआ। पूरी जांच के बाद ही प्लांट को शुरू किया गया था. प्लांट पर तैनात इंजीनियर काफी अनुभवी हैं। प्लांट को 3 इंजीनियर हेड कर रहे थे और उनके पास 25 से 30 साल का अनुभव है।
दोषी सामने आने में लगेगा वक्त
प्रबन्ध निदेशक की माने तो एनटीपीसी ने खुद ही अपनी एक कमेटी बना दी है जो 30 दिन बाद अपनी रिपोर्ट देगी और इतने बड़े हादसे के दोषी को सामने लाएगी। ऐसे में न्याय की आस में बैठे लोगो को श्री सिंह के बयान से निराशा ही हाथ लगी और उन्हें ये जांच महज ध्यान भटकाने वाली लग रही है।