भारतरत्न डा0 बीआर अम्बेड़कर के महापरिनिर्वाण दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि

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मोहनलालगंज,लखनऊ-बाबा साहब भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। बाबा साहब का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ। उन्हें वर्ष 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया था। उन्हे भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। इतना ही नही बाबा बीआर अंबेडकर एक विधिवेता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित समाज, मजदूर वर्ग और महिलाओं के प्रति सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी अभियान चलाए थे। भारतरत्न बीआर अम्बेडकर 62 वें महापरिनिर्वाण दिवस मोहनलालगंज क्षेत्र के समेसी ग्रामसभा में चिनिमय विद्यालय के सामने स्थित बाबा साहेब की मूर्ति को फूल मालाओं से सजाया गया। इस मौके पर बाबा साहब के मूल्यों एवं आदर्शों को जन जन तक पहुँचाने के लिए लोक जनशक्ति पार्टी द्वारा  विचारगोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रुप में आयी मलिहाबाद की विधायिका जयदेवी कौशल ने बाबा साहेब बीआर अम्बेडकर को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जो कार्य बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी समूचे राष्ट्र के लिए आदर्श हैं जिनके कार्य अत्यन्त सराहनीय है।”बाबा साहब दलित और सताए गए लोगों की आवाज थे। उनके विचार और आदर्श एक समतामूलक समाज के निर्माण की दिशा में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।” लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष त्रिवेणी प्रसाद पाल ने कहा कि भारत में ऊंच नीच भेदभाव को अगर किसी ने मिटाने का कार्य किया तो वह बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने किया,वरना आज भी हम गुलामी करते होते इसी क्रम में महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष पदमा रावत ने गोष्ठी को सम्बोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री अनोद कुमार रावत ने कहा कि बाबा साहब हम लोगों के मार्गदर्शक ही नहीं हमारे मसीहा भी थे । राष्‍ट्र के प्रति उनका योगदान बहुमूल्‍य और उल्‍लेखनीय है। वे ऐसे महापुरुष थे जो समय से आगे चला करते थे। सामाजिक बुराईयों को दूर करने के उनके प्रयासों और उनके द्वारा शिक्षा को दिये गये महत्‍व का हम स्मरण करते हैं। डॉ बीआर अम्‍बेडकर दलितों और शोषितों की आवाज बन गये थे। उनकी सोच और आदर्श हमें समानता पर आधारित समाज बनाने में मार्ग दर्शक बने रहेंगे।पूर्व प्रधान रामनरेश रावत एवं वरिष्ठ समाज सेवी त्रिभुवन रावत ने संयुक्त रुप से बाबा साहेब के जीवन पर विस्तृत रुप से प्रकाश डालते हुए कहाकि बाबा साहब ने किसी एक समाज के लिए नही बल्कि समता मूलक समाज के लिए संघर्ष किया था। बाबा साहब का चमत्कार 1956 में एक महान् चमत्कार देखने को मिला। दलित और पीड़ित जनता के हदय-सम्राट डा. बाबा साहब अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को अशोक विजयादशमी के दिन नागपुर में अपने पाँच लाख साथियों के साथ बौद्धधर्म की दीक्षा ली ।
कार्यक्रम का आयोजन लोक जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष आनोद कुमार रावत के नेतृत्व में किया गया। माननीय वही सांसद मोहनलालगंज के प्रतिनिधि श्री बीजक प्रकाश ने भी अपनी बात रखी उन्होंने कहा बाबा साहब ने दलित समाज में फैले हुए छुआछूत अंधविश्वास पाखंड वाद चरमवाद के खिलाफ जो मसाल जलाई थी उसको पूरा करने के लिए हम प्रयासरत हैं उसको हम सभी लोगों को मिलकर पूरा करना होगा तभी बाबा साहब का सपना पूरा होगा। सांसद मीडिया प्रभारी मनोज पासवान, रामपाल सिंह राजपूत ओमप्रकाश ब्लॉक अध्यक्ष गोसाईगंज पारख महासंघ तहसील अध्यक्ष राजा राम रावत धर्मवीर पासवान अभिषेक रावत जिला उपाध्यक्ष भाजपा सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।

मोहनलालगंज/नगराम से न्यूज प्लस संवाददाता प्रमोद राही की रिपोर्ट

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