स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने किया केएमसी लाउन्ज का लोकार्पण

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केएमसी नवजात अपरिपक्व शिशुओं के लिए वर्दान है : सिद्धार्थनाथ सिंह

लखनऊ। केएमसी की महत्ता को देखते हुए बृहस्पतिवार को राजधानी लखनऊ के वीरांगना अवंतीबाई चिकित्सालय लखनऊ में कम्युनिटी एम्पावरमेन्ट लैब सक्षम के साथ मिलकर स्थापित किए गये 12 बेड के केएमसी लाउन्ज का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह द्वारा किया गया।
विदित हो कि वीरांगना अवंतीबाई महिला चिकित्सालय ,लखनऊ में 16 जुलाई 2016 को प्रदेश का पहला KMC लाउन्ज स्थापित किया गया था.कम वज़न और समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए
वरदान के॰एम०सी० वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित एक क़ुदरती करिश्मा है जो –
बच्चे को प्रेम, आवश्यक गर्माहट, माँ के भरपूर दूध का पोषण और संक्रमण से बचाने की शक्ति देकर
उसकी जीवन रक्षा करता है, बलवान और बुद्धिमान बनाता है.अवंतीबाई चिकित्सालय में पिछले वर्ष के मानकों के आधार पर 25 दिसंबर 2017 तक कुल 528 शिशुओं को KMC लाभ मिल चुका है, जिसमें से 308 शिशु यहीं जन्में थे और 220 शिशु अन्य अस्पतालों से थे.KMC में डॉक्टर ,नर्स, माँ एवं परिवार मिलकर शिशु को 20 घंटे की KMC दिलाने का प्रयास करते हैं।अवंतीबाई में प्रथम KMC लाउन्ज की सफलता को देखते हुए, लेबर रूम के बहुत ही करीब 12 बेड का नया KMC लाउन्ज कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब के साथ मिलकर स्थापित किया गया, जिसका लोकार्पण समारोह उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह द्वारा बृहस्पतिवार 28 दिसंबर 2017 को किया गया।इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहाकि केएमसी नवजात अपरिपक्व शिशुओं के लिए वर्दान है,श्री सिंह ने कहाकि कंगारू मदर्स केयर एक तकनीक है जो खास करके आमतौर पर अपरिपक्व (प्री-टर्म) शिशुओं के लिए है। इस तकनीक में शिशु को, एक वयस्क के साथ त्वचा-से-त्वचा जोड़कर रखा जाता है।कमजोर शिशुओं के लिए कंगारू देखभाल तकनीक प्रतिदिन कुछ घंटों के लिए प्रयोग में लाई जाती है।
यह तकनीक कंगारू की उस कार्यप्रणाली से ली गई है ,जिसमें वह अपने बच्चे को अपनी पेट की थैली में डालकर रखता है। केएमसी के तहत शिशु को अपनी मां या पिता के पास त्वचा से त्वचा के साथ सीधे संपर्क में रखा जाता है। यह शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आंतरिकता और संबंध सुनिश्चित करता है, जिससे माता-पिता के शरीर का तापमान नवजात शिशु के तापमान को इनक्यूबेटर से अधिक आसानी से स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे शिशु की जल्दी प्रगति संभव हो पाती है।

कम्युनिटी एम्पावरमेन्ट लैब सक्षम के संस्थापक डा0 विश्वजीत कुमार ने केएमसी की विशेषता बताते हुए कहाकि कंगारू मदर्स केयर यूनिट की एक मुख्य विशेषता यह है कि, प्री-मेच्योर शिशु होने के बावजूद कंगारू मदर्स केयर यूनिट में रखने से उन्हें जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिलती है। केएमसी तकनीक से समय से पहले जन्मे शिशु और कम वजन के नए जन्मे शिशु के जल्द स्वस्थ होने के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। इस तकनीक से संक्रमण, गंभीर बीमारी भी कम होती है।

ऐसे किया जाता है केएमसी से इलाज

आमतौर पर केएमसी में बच्चे को सिर्फ एक डायपर पहनाया जाता है और उसे एक कपड़े से मां की छाती से बांध लिया जाता है। बच्चे के सिर और गर्दन को इस तरह ताना जाता है कि उसका श्वासरोध न हो। कपड़ा इस तरह तंग बांधा जाता है कि मां का द्वारा लिए जा रहे श्वास और सीने की गति से बच्चा सांस लेने में प्रोत्साहित होता रहे। इस तकनीक में नवजात का पिता या कोई अन्य भी त्वचा से त्वचा संपर्क विधि इस्तेमाल कर सकते हैं।
जिसमें प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ ,यूपी महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ ,मिशन निदेशक ,राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन ,मुख्य चिकित्सा अधीक्षक,प्रमुख चिकित्सा अधिकारी वीरांगना अवंतीबाई महिला चिकित्सालय,कम्युनिटी एम्पावरमेन्ट लैब सक्षम शिवगढ़ की डायरेक्टर आरती कुमार आदि लोगो केएमसी की महत्ता पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला गया।, समारोह में अग्रिमाओं द्वारा सरस्वती वंदना एयर KMC गीत प्रस्तुत किया गया. यह गीत KMC की विधि और उसकी महत्ता के विषय में बताता है। वर्तमान में पूरे प्रदेश में 66 KMC लाउन्ज स्थापित हो चुके हैं।जुलाई 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार को KMC लाउन्ज को एक “बेस्ट प्रैक्टिस” का पुरस्कार भारत सरकार द्वारा मिल चुका है।न्यूज प्लस संवाददाता अंगद राही की विशेष रिपोर्ट।

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