बिना किताबों के भारत को साक्षर बनाने का सपना

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बदहाली के बीच शुरू हुई परिषदीय विद्यालयों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा
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डलमऊ(रायबरेली)- आज जिलेभर में परिषदीय विद्यालयों (प्राथमिक व उच्च प्राथमिक) में अर्धवार्षिक परीक्षा शुरु हो गई है। किन्तु विडम्बना है कि सरकार एवं शिक्षा विभाग के लाख दावों के बावजूद अब तक परिषदीय स्कूलों में सभी विषयों की किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई है।अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में नकल करते बच्चे

परिषदीय विद्यालयों में बृहस्पतिवार से शुरू हुई परीक्षाओं में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं में सुबह प्रथम पाली में हिंदी और द्वितीय पाली में शारीरिक शिक्षा की परीक्षाएं संपन्न हुई बेसिक शिक्षा विभाग में अव्यवस्था और बदहाली का आलम यह है कि एक तरफ भारत 21वीं सदी में देश को साक्षर बनाने का सपना देख रहा है मगर अब तक जिले अधिकांश परिषदीय विद्यालयों में छात्रों के लिए सर्व शिक्षा अभियान महज मजाक बनकर रह गया है। सत्र प्रारम्भ हुए आठ माह बीतने को है किन्तु विडम्बना है कि नि:शुल्क किताबों का वितरण अब तक नहीं हो सका। अव्यवस्थाओं के बीच एक बार फिर से जिले भर के परिषदीय विद्यालयों में अर्द्धवार्षिक परीक्षा शुरु हो गई है।
डलमऊ विकास खण्ड में कुल 155 प्राथमिक स्तर के परिषदीय विद्यालय हैं जिनमे लगभग 11000 छात्र पँजीकृत हैं वहीं पूर्व माध्यमिक स्तर के 39 विद्यालयों में लगभग 3500 छात्र पंजीकृत हैं, विद्यालयों में छात्रों ने भी परीक्षा से दूरी बना रखी है अधिकांश विद्यालयों में छात्र संख्या बहुत कम रही, पूर्व माध्यमिक विद्यालय भटानीहार में पहुंची न्यूज प्लस की टीम के कैमरे में छात्र व छात्राएं कमरे में लेट कर परीक्षा देते कैद हो गये।


पूर्व मा0 वि0 भटानीहार में अव्यवस्था की तस्वीर

तस्वीर साफ बता रही हैं की भारत सरकार जहाँ एक तरफ 21 वीं सदी में भारत में सर्व शिक्षा अभियान के तहत निः शुल्क शिक्षा देकर डिजिटल इण्डिया का सपना देख रही है और अगर डिजिटल इण्डिया इन तस्वीरों के सहारे बनाना है तो इससे बेहतर तो हमारा आधुनिक भारत ही बेहतर है।

रायबरेली से न्यूज प्लस संवाददाता देवेश वर्मा की रिपोर्ट

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