जब डार्जिलिंग जिला प्रशासन ने 8 अक्टूबर 2025 से 10 अक्टूबर 2025 तक सभी विद्यालयों व महाविद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया, तो शहर में पहले से ही बह रही बारिश के बाद बाढ़‑भूस्खलन की स्थितियां और भी खतरनाक हो गईं। इस आदेश को गुर्कहॉलैंड प्रादेशिक प्रशासन (GTA) और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने भी समर्थन दिया। मुख्य वजह थी छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा, क्योंकि बिखरे हुए रास्तों पर गाड़ी‑चलाना अब जोखिमभरा बन चुका था।
मौसम की पृष्ठभूमि और पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में जलवायु तनाव
डार्जिलिंग में 7 अक्टूबर की रात से ही अचानक तेज़ बारिश शुरू हुई, जिससे नदियों के प्रवाह में तीव्र वृद्धि हुई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 8‑9 अक्टूबर के लिए हल्की‑से‑मध्यम बारिश, तेज़ तेज़ हवा (40‑50 किमी/घंटा) और कभी‑कभी बर्फ़बारी की चेतावनी जारी की थी। इन प्रक्षेपणों के साथ‑साथ, पिछले हफ्ते हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में 49 मिमी, सोलन में 38.8 मिमी और लाहौल‑स्पीति में 36.3 मिमी भारी वर्षा दर्ज हुई थी, जिससे कई बाज़ीगर क्षेत्रों में बाढ़‑भूस्खलन की खबरें सामने आईं।
स्कूल‑कॉलेज बंद का आदेश: कारण और तुरंत लागू कार्रवाई
डार्जिलिंग जिला प्रशासन ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, “भारी वर्षा और लगातार भूस्खलन के कारण शैक्षणिक संस्थानों को अस्थायी रूप से बंद किया जा रहा है। छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता है।” इस आदेश को डार्जिलिंग स्कूल एवं कॉलेज बंदडार्जिलिंग जिला के रूप में दर्ज किया जा सकता है।
प्रमुख कारण थे:
- बाढ़‑भूस्खलन से पहुँचनीयता में बाधा
- सड़कों पर मलबा और जल-भीजना
- विद्युत एवं संचार नेटवर्क में व्यवधान
- सुरक्षित निकासी के लिए पर्याप्त समय की कमी
प्रभावित संस्थाएँ और छात्र‑संकट
डार्जिलिंग जिले में लगभग 350 स्कूल, 45 कॉलेज और कई निजी ट्यूशन सेंटर इस आदेश के तहत बंद हो चुके हैं। यह जिला हिमालयी छायालोक में स्थित होने के कारण देश के कई बोर्डों के सम्मानित बोर्डिंग स्कूलों का घर है; लगभग 70,000 छात्र‑छात्रा दैनिक रूप से यहाँ पढ़ते‑लिखते हैं। यह बंद अवधि का असर न केवल शैक्षणिक सत्र पर, बल्कि परीक्षाओं की तैयारी, प्रोजेक्ट डेडलाइन और मातृ‑पिता के कार्यस्थल यात्रा पर भी पड़ेगा। एक स्थानीय मातृ ने बताया, “बच्चों को घर पर रखने से हमें आर्थिक तंगियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि कई दिनांकिया ट्रांसपोर्ट पर निर्भर होते हैं।”
अन्य उत्तरी राज्यों में समान ठहराव
डार्जिलिंग के फैसले के साथ ही हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों ने 7 तक स्कूल बंद कर दिया था, जबकि जम्मू‑कश्मीर के डिवीजन में 6‑7 अक्टूबर के लिए विभागीय आदेश जारी हुआ। The Times of India ने रिपोर्ट किया कि इन सभी क्षेत्रों में सामूहिक रूप से 1.2 मिलियन छात्रों को अस्थायी रूप से पढ़ाई से वंचित किया गया। यह दिखाता है कि मौसमी आपदाओं के समय भारत में जिला‑स्तर पर स्वायत्त निर्णय लेने की प्रक्रिया कितनी प्रभावी है।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की तैयारी
हिमालयी जलवायु विशेषज्ञ प्रो. अंजली पांडे, ने कहा, “बारिश के साथ‑साथ बाढ़‑भूस्खलन का जोखिम हमेशा बना रहता है, खासकर जब मिट्टी पहले से ही पानी से भर चुकी होती है। इस तरह के मौसमी आपातकाल में स्थानीय प्रशासन को पूर्व‑निर्धारित निकासी योजना, आपातकालीन अस्पताल‑सेवा और शिक्षा‑पार्श्व में वैकल्पिक ऑनलाइन कक्षाएं बनाकर तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने आगे सुझाया कि दीर्घकालिक समाधान में सड़कों के पुनर्निर्माण, झरनों की साफ‑सफ़ाई और पेड़‑पोषण जैसी बुनियादी ढाँचा सुधार आवश्यक है।
आगे क्या अपेक्षा की जाए?
डार्जिलिंग जिला प्रशासन ने कहा कि 10 अक्टूबर के बाद स्थिति का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा, लेकिन शनिवार‑रविवार (11‑12 अक्टूबर) को सामान्य रूप से छुट्टियों के कारण स्कूल फिर नहीं खुलेंगे। मौजूदा योजना के अनुसार 13 अक्टूबर (सोमवार) से सामान्य कक्षाएं शुरू होने की उम्मीद है। यदि बारिश जारी रहती है, तो अतिरिक्त दिनों का विस्तार हो सकता है, और यह सूचना तुरंत स्थानीय मीडिया और आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी।
मुख्य तथ्य
- बंद अवधि: 8 — 10 अक्टूबर 2025 (3 दिन)
- प्रभावित छात्रों की अनुमानित संख्या: ~70 हज़ार
- प्रभावित संस्थाएँ: 350 स्कूल, 45 कॉलेज, कई ट्यूशन सेंटर
- मुख्य कारण: भारी बारिश, भूस्खलन, बाढ़‑प्रभावित ट्रांसपोर्ट नेटवर्क
- अधिकारी: डार्जिलिंग जिला प्रशासन, GTA, पश्चिम बंगाल सरकार
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डार्जिलिंग में इस स्कूल बंद से कितने छात्रों को असर पड़ेगा?
स्थानीय शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में लगभग 70 हज़ार छात्र प्रतिदिन स्कूल और कॉलेज में उपस्थित होते हैं। बंद अवधि के दौरान इन सभी छात्रों को घर पर रहना पड़ेगा, जिससे परिवहन व भोजन खर्च में अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा।
क्या कोई ऑनलाइन कक्षाएं या वैकल्पिक शिक्षण व्यवस्था की गई है?
अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई व्यापक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म नहीं घोषित किया गया है। हालांकि कुछ निजी संस्थानों ने अस्थायी तौर पर ज़ूम और गूगल मीट के माध्यम से कक्षा चलाने की जानकारी दी है। जिला प्रशासन ने कहा कि सुविधा के अनुसार आगे की दिशा तय की जाएगी।
बंद घोषणा के बाद यात्रियों के लिए कौन से वैकल्पिक मार्ग तैयार किए गए?
डार्जिलिंग पुलिस ने बताया कि बाढ़‑भूस्खलन से प्रभावित मुख्य हाइवे (NH‑110) को अस्थायी रूप से बंद किया गया है। स्थानीय प्रशासन ने झीला‑जैपागरी, फुर्टु–गिंडरेख तथा बालीटार‑ट्रायटाक जैसे वैकल्पिक ग्रामीण रास्तों को साफ़ करने का निर्देश दिया है, लेकिन कई जगह अभी भी बाधित है।
भविष्य में समान स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
हिमालयी क्षेत्र में बाढ़‑भूस्खलन रोकने के लिए राज्य सरकार ने 2024 में ‘स्थायी ढाल’ योजना शुरू की थी, जिसमें ढलान की स्थिरता, जल निकासी प्रणाली और वन-संरक्षण कार्य को प्राथमिकता दी गई है। डार्जिलिंग में भी इस योजना के तहत निकासी मार्ग और आपदा‑सूचना प्रणाली को अपडेट किया जा रहा है।