Govardhan Puja 2025: नई दिल्ली में शुभ मुहूर्त व अननकूट रीति‑रिवाज

alt
Govardhan Puja 2025: नई दिल्ली में शुभ मुहूर्त व अननकूट रीति‑रिवाज
0 टिप्पणि

जब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर वाराणसी के बँधावसियों को इंद्र के प्रचण्ड वर्षा से बचाया, तब से ही Govardhan Puja 2025 का उत्सव हर साल अननकूट की खेती‑भरी हलचल के साथ मनाया जाता है। यही कारण है कि इस वर्ष का पर्व 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को, पूरे देश में, विशेषकर नई दिल्ली में, अत्यंत उत्साह के साथ गूँजने वाला है।

पौराणिक पृष्ठभूमि और धार्मिक महत्त्व

गोवर्धन पूजा मूलतः श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत का वहन की कथा पर आधारित है। प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि इंद्र ने कृषकों को सिखाने के लिये अथाह जल बरसाया, परन्तु कृष्ण ने पहाड़ को उठाकर सभी को बचाया। इस कार्य को याद करते हुए भक्त अननकूट – अनाज‑सब्ज़ी‑फल‑मिठाई की पहाड़ बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं, जिससे प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और विनम्रता का संदेश मिलता है।

2025 की दीवाली‑तिहाई: पाँच‑दिन का कैलेंडर

दीवाली का महोत्सव इस साल 18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। हिंदुस्तान टाइम्स और इकॉनोमिक टाइम्स दोनों ने पुष्टि की है कि 21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा, 22 अक्टूबर को Govardhan Puja 2025 और 23 अक्टूबर को भाई दूज मनाया जाएगा। इस क्रम में, गोवर्धन पूजा को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में रखा गया है, जिससे यह अमावस्या के साथ नहीं टकराता।

शुभ मुहूर्त: नई दिल्ली में विशेष समय‑सारणी

नवीनतम पंचांग गणना के अनुसार, Drik Panchang Services Private Limited ने निम्नलिखित शुभ मुहूर्त बताए हैं:

  • प्रातःकाल (सुबह) मुहूर्त: 05:03 ए.एम. से 07:38 ए.एम.
  • संध्याकाल (शाम) मुहूर्त: 03:24 पी.एम. से 05:59 पी.एम.
  • इसके अतिरिक्त, एक वैकल्पिक प्रातःकाल मुहूर्त 06:26 ए.एम. पर शुरू होता है, जैसा कि आधिकारिक साइट पर उल्लेखित है।

इन समय‑सीमाओं में पूजा, तर्पण और अननकूट का निर्माण करने से कर्मफल सिद्ध माना जाता है।

अननकूट और वैकल्पिक रीति‑रिवाज

अननकूट तैयार करने के लिये घर‑घर में विभिन्न धानों – चावल, गेहूँ, दालें, सब्ज़ियाँ और मिठाइयाँ – को ढेर करके एक पहाड़ी के रूप में सजाया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं जो इस वर्ष ध्यान में रखे जा रहे हैं:

  1. भोजन में स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें, ताकि पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा मिले।
  2. पवित्र जल का प्रयोग करके गोवर्धन पहाड़ की पूजा करें, फिर उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।
  3. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ड्यूटा क्रीडा (जुए‑कूद) शामिल है, जिसे शुभ मानते हुए कई घरों में किया जाएगा।

यदि आप पहली बार अभ्यास कर रहे हैं, तो सरलतम रूप में दो‑तीन प्रकार की रोटी, चावल का खीर और कुछ मिठाई रखें; यह पर्याप्त माना जाता है।

प्रादेशिक विविधताएँ: महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य राज्य

एक ही दिन महाराष्ट्र में बाली प्रतिपदा (या बाली पड़वा) के रूप में मनाया जाता है, जहाँ भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा सुनाई जाती है और राजा बाली को याद किया जाता है। उसी समय गुजरात में नववर्ष के आगमन के साथ यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस प्रकार, Govardhan Puja 2025 न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक‑सांस्कृतिक मिलन बिंदु भी बन जाता है।

भविष्य की दृष्टि: पर्यावरणीय संदेश और सामाजिक प्रभाव

आज के युवा वर्ग के बीच इस त्यौहार को पर्यावरण संरक्षण के एक माध्यम के रूप में देखना शुरू हुआ है। गोवर्धन पर्वत को प्रकृति के प्रतीक के रूप में सम्मानित करके, भक्तों को स्थायी विकास की दिशा में प्रेरित किया जाता है। कई NGOs ने इस वर्ष दिल्ली में ‘हरा गोवर्धन’ अभियान शुरू किया है, जिसमें पौधे लगाना और जल संरक्षण पर कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Govardhan Puja 2025 का शुभ मुहूर्त कब है?

नई दिल्ली में प्रातःकाल 05:03 ए.एम.–07:38 ए.एम. और संध्याकाल 03:24 पी.एम.–05:59 पी.एम. को पूजा करना उत्तम माना गया है। एक वैकल्पिक सुबह 06:26 ए.एम. का भी उल्लेख है।

क्या Govardhan Puja Diwali के अन्य दिनों से अलग है?

हाँ, यह पूजा Diwali की पाँच‑दिन की श्रृंखला में तीसरे दिन आती है, अर्थात् लक्ष्मी पूजा के बाद और भाई दूज से पहले। इसलिए इसे शुक्ल प्रतिपदा के रूप में विशेष महत्व दिया जाता है।

Maharashtra में इस दिन क्या अलग रिवाज है?

महाराष्ट्र में वही दिन बाली प्रतिपदा (बाली पड़वा) के रूप में मनाया जाता है, जहाँ राजा बाली की कथा सुनाई जाती है और वामन अवतार की महिमा का जश्न मनाया जाता है।

अननकूट का पर्यावरणीय महत्व क्या है?

अननकूट के जरिये लोग स्थानीय कृषि उत्पादों को सम्मानित करते हैं, जिससे जैव विविधता एवं सतत खेती को बढ़ावा मिलता है। कई सामाजिक संगठनों ने इस अवसर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम भी चलाए हैं।

Govardhan Puja किस कलेंडर के अनुसार तय होती है?

यह हिन्दू पंचांग के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर आधारित होती है, जो चंद्रमा के प्रथम दिवस को दर्शाती है। इसलिए यह तिथि हर साल अलग‑अलग हो सकती है, पर 2025 में यह 22 अक्टूबर को पड़ती है।