वृक्ष जीवन का आधार एवं सृष्टि की उन्नति व सौन्दर्य का प्रतीक हैं : डा0 विश्वजीत कुमार

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 अंगद राही

गणतन्त्र दिवस पर सीएचसी को वृक्षारोपण का उपहार

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रायबरेली (शिवगढ़) वृक्ष समस्त जीवों के जीवन का आधार व सृष्टि की उन्नति एवं सौन्दर्य का प्रतीक हैं। प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेंड़ों का होना बहुत जरुरी है। प्रकृति समृद्ध एवं सन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी अच्छा होगा और सभी मौसम भी समयानुकूल सन्तुलित रहेंगे। यदि प्रकृति असन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी असन्तुलित होगा और अकाल, बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प आदि अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं कहर ढाने लगेंगी।

रोपित पौधे के साथ पोज देते डा0 विश्वजीत कुमार,सीएचसी अधीक्षक डा0 एलपी सोनकर,डा0 प्रवीण पाल

प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है, पेड़ प्रकृति का आधार हैं। पेड़ों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ये उद्गार कम्युनिटी एम्पावरमेन्ट लैब सक्षम शिवगढ़ के संस्थापक डा0 विश्वजीत कुमार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शिवगढ़ के प्रांगण में अपने कर कमलों द्वारा पेंड़ लगाते हुए समय कर रहे थे।

डा0 विश्वजीत कुमार,आरती साहू को प्लांटेशन की जानकारी देते डा0 एलपी सोनकर

कहते हैं कि दृढ़ इच्छा शक्ति वालों के लिए कोई कार्य कठिन नही होता,मन में कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल अपने आप आसान हो जाती है। सभी के लिए हर एक सुबह अपने साथ एक नई चुनौती लेकर आती है,और उन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें एक नयी ऊर्जा और स्फूर्ति के साथ तैयार रहना चाहिए। हम बात करने जा रहे हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शिवगढ़ के अधीक्षक डा0 एलपी सोनकर की जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प से इन पंक्तियों को चरितार्थ साबित कर दिया है “अपनी जमीर अपना आकाश पैदाकर,अपने अन्दर एक नया विश्वास पैदाकर,मांगने से तो मौत भी नही मिलती,अगर कुछ करना है तो एक नया विश्वास पैदाकर।”

सीएचसी में वृक्षारोपण के लिए लाये गये पौधों को दिखाते सीएचसी अधीक्षक व फार्मासिस्ट अनुपम शुक्ला

” बताते चले कि डा0 एलपी सोनकर ने अपनी बेहतर सोंच एवं दृढ़ से सीएचसी शिवगढ़ को जिले की एक आदर्श सीएचसी बनाना चाहते हैं। जिन्होंने आज वो कर दिखाया है जिसकी आज तक सीएच सीएचसी में आये किसी अधीक्षक ने कल्पना तक नही की होगी। शासन के शख्त निर्देश के बावजूद 121810 से अधिक जनसंख्या वाले शिवगढ़ क्षेत्र में स्थित सीएचसी शिवगढ़ में इनके पूर्व अव्यवस्थाओं एवं गन्दगी का अम्बार लगा रहता था। पद भार संभालने के बाद डा0 एलपी सोनकर ने कई सराहनीय कार्य किए अवस्थाओं में सुधार के साथ ही धरातल पर स्वच्छता अभियान चलाकर समूचे सीएचसी परिसर में फैले गन्दगी के अम्बार को हटवाकर साफ सुथरा सीएचसी परिसर बनाने का काम किया,साथ कई वर्षों से जंगल में तब्दील एनएनएम सेन्टर कोटवा को में खड़ी कटीली झाड़ियों और घास को छिलवाकर स्वच्छ एएनएम सेन्टर बनाने का कार्य किया। यही नही सीएचसी के वातावरण को शुद्ध एवं प्रदूषण मुक्त बनाने एवं सौन्दर्यीकरण के लिए ठोस पहल की है। जिससे अब समूचा सीएचसी परिसर हरे भरे पौधों एवं फूल पत्तियों से हरा भरा नजर आयेगा।

पेड़ों के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती

वृक्षारोपण करते समाज सेवी दुर्गाबक्स सिंह,डा0 कामिल परवेज व अन्य

पेंड़ हमारे जीवन का आधार हैं ,पेंड़ों के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती इस उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए सीएचसी अंधीक्षक डा0 एलपी सोनकर ने समूचे सीएचसी परिसर में बेकार पड़ी भूमि पर प्लान्टेशन के लिए योजनाबध्द तरीके से सुन्दर और आकर्षक क्यारियाँ बनवाकर उनमें पौधे लगाकर सीएचसी को आकर्षण का केन्द्र बना दिया है। इतना ही सीएचसी परिसर में अन्दर रखने के लिए सीमेन्ट के बने बड़े आकार के 150 गमले में भी पौध रोपड़ का कार्य किया जा रहा है। बनायी गई क्यारियों में मंगलवार को कम्युनिटी एम्पावरमेन्ट लैब सक्षम के संस्थापक डा0 विश्वजीत कुमार एवं सक्षम की आरती साहू व सीएचसी अधीक्षक डा0 एलपी सोनकर द्वारा संयुक्त रुप से पेंड़ लगाकर वृक्षा रोपड़ का शुभारम्भ किया गया। डा0 विश्वजीत कुमार ने सीएचसी अधीक्षक के कार्य की सराहना करते हुए उनका मनोबल बढ़ाने के लिए डेढ़ सौ गमले डोनेट किए हैं श्री विश्वजीत कुमार ने बताया कि जल्द ही सक्षम की ओर से पौधे भी उपलब्ध करा दिए जायेंगे। इस मौके पर श्री विश्वजीत कुमार अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहाकि सृष्टि के जीवनकाल में वृक्षों की अहम भूमिका रही है। पेड़-पौधों ने हमारी सृष्टि को सहेजने में जो सरोकार निभाया है, वह किसी भी जीव-जन्तु द्वारा निवर्हन करना अपर्याप्त होगा। पर्यावरण विश्लेषकों ने पेड़ को दानदाता की उपमा से नवाजा है, चूंकि पेड़ों ने सदैव हमें देने का कार्य ही किया है।

वृक्ष प्रकृति प्रदत्त अमूल्य रत्न हैं

वृक्षारोपण करती कम्युनिटी एम्पावरमेन्ट लैब सक्षम शिवगढ़ की आरती साहू

आरती साहू ने पेंड़ पौधों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहाकि वृक्ष प्रकृति प्रदत्त अमुल्य रत्न हैं। किन्तु विडम्बना है कि वर्तमान परिवेश में अन्धाधुन्ध हो रही पेंड़ों की कटान हो रही है । जिससे दिनो दिन हमारा प्राकृतिक असन्तुलन बिगड़ता जा रहा है। उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण के प्रति चिन्तन व्यक्त करते हुए कहाकि “यदि बढ़ता रहा प्रदूषण तो मिट जायेगा मानव ये,रो देगी ओजोन हमारी मिट जायेगी धरती सारी,वृक्षारोपण कर सभी हवा दो इस विपत्ति को ,वरना मिट जायेगी सृष्टि। ” उन्होंने कहाकि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवनकाल के दौरान ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना चाहिए।
डा0 एलपी सोनकर ने कहाकि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा जीवन में फैलने वाले प्रदूषण को खत्म करने के लिए 300 वृक्षों की जरूरत होती है। मानवीय कारणों से दिनों दिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जिसका हल सिर्फ वृक्षा रोपण है। हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्षा रोपण करना चाहिए क्योकि वृक्षों की कमी से व्यक्ति आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह से पिछड़ता जा रहा है। मानव को वृक्षारोपण को अपना कर्तव्य व दायित्व मानना चाहिए। इससे पर्यावरण असंतुलन की समस्याओं से आने वाले समय में निजात मिल सकती है।उन्होंने कहाकि पेंड़ एक सत पुरूष की तरह होता है, जो दूसरों को छाया देता है तथा स्वयं धुप में खडा रहता है और फल भी दूसरों को देता है।

पेंड़ और प्राणी एक दूसरे के पूरक

फार्मासिस्ट अनुपम शुक्ला ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते हुए कहाकि पेड-पोधों की नैसर्गिक श्वसन क्रिया हमसे बिलकुल विपरीत है वे कार्बन डाई आक्साईड लेते है तथा ऑक्सीजन छोडते हैं। पौधे अपनी जडों से नाईट्रोजन अवशोषित करके पोषित होते है। यह एक ईश्वरीय चमत्कार भी है कि एक ऑक्सीजन पर जीवित रहता है तो दूसरा कार्बन डाईऑक्साइड पर। दोनो में जीवन है परन्तु जीवन के आधार अलग अलग है।
वहीं शास्त्रों के अनुसारवृक्ष एक तरह से संतान की तरह ही मानव की उम्रभर सेवा करते हैं। इस मौके पर मौजूद डा0 प्रवीण पाल, डा0 विजय वर्मा,डा0 अनिल ,डा 0 अनुराग तिवारी,फार्मासिस्ट अनिल श्रीवस्तव,बीपीएम सपना सिंह,एएनएमए संदीप कुमार वर्मा,रिन्कू ,अखिलेश्वर श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रुप से न केवल वृक्षा रोपण किया गया। बल्कि सभी ने प्रेरणा लेते हुए संकल्प भी लिया कि वे अपने बच्चों के जन्म दिन पर हर साल 5-5 वृक्षा लगायेंगे।

रायबरेली से न्यूज प्लस संवाददाता अंगद राही की रिपोर्ट।

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