श्री कुड़वा वीर बाबा का तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेला 20 नवम्बर से

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मेले में उमड़ पड़ता है श्रद्धालुओं की आस्था का शैलाब

शिवगढ़,रायबरेली-हजारों भक्तों की अनूठी आस्था और विश्वास का केन्द्र श्री वीर बाबा का ऐतिहासिक मेला 20 से 22 नवम्बर तक लगेगा। मेले में धनुष यज्ञ एवं हाथी घोड़ों के साथ निकाली जाने वाली भगवान राम लखन सीता की शोभायात्रा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र होगी।
विदित हो कि शिवगढ़ क्षेत्र के पहाड़ मजरे कुम्हरावां में स्थित श्री कुडवा वीर बाबा के मन्दिर में प्रत्येक वर्ष अगहन मास के शुक्लपक्ष प्रतिपदा,द्वितीया, तृतीया एवं चतुर्थी को लगने वाला ऐतिहासिक मेला आगामी 20, 21, 22 को होना सुनिश्चित हुआ है। उक्त जानकारी देते हुए पहाड़पुर प्रधान प्रतिनिधि पंण्डित गिरिजा शंकर मिश्र ने बताया कि हजारों भक्तों की आस्था और विश्वास के केन्द्र श्री कुड़वा वीर बाबा के मन्दिर में 18 नवम्बर को प्रात:8 से विधि विधान पूर्वक रामचरित मानस पाठ का शुभारम्भ किया जायेगा।19 नवम्बर को रामचरित मानस पाठ के समापन श्रद्धा पूर्वक हवन पूजन किया जायेगा वहीं दोपहर 2 बजे से शाम बजे तक रामलीला व रात आठ बजे से नाटक एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। 20 नवम्बर को अपने निश्चित समय पर दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक रामलीला एवं रात 8 बजे महाकवि सम्मेलन का आयोजन , 21 नवम्बर को दिन में दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक रामलीला 2 से 5 बजे तक इनामी दंगल व रात 8 बजे से नौटंकी का आयोजन किया जायेगा। वहीं मेले के अन्तिम अन्तिम दिन दोपहर 1 बजे से भवगन रामलखन सीता, भगवान शंकर माॅ एवं पार्वती जी, संकटमोचन बजरंग बली, राधाकृष्ण आदि की भव्य झांकियों के साथ मनमोहक शोभा यात्रा निकालकर पहाड़पुर, कुम्हरावां, शिवगढ़,दमोदर खेड़ा,भवानीगढ़,पिपरी,ढ़ेकवा सहित कस्बों से होकर पुनः मन्दिर प्रांगण में जायेगी। रात्रि 8 से नौटंकी का रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।श्री मिश्र ने बताया कि मेले सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही साथ दुकानदारों से किसी भी प्रकार का शुल्क नही लिया जायेगा।

मन्दिर का क्या है इतिहास

क्षेत्र के लोगों का कहना हैं कि लगभग 300 वर्ष पूर्व जिस समय पूरा देश अंग्रेजों की परतन्त्रता की भेड़ियों जकड़ा हुआ था।अंग्रेजों के जुल्मों सितम् से समूचे देश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी।उसी दौरान एक दिन, दिन में अद्भुत तरीके से कुड़वा वीर बाबा की मूर्ति प्रकट हुई। जिसे देखकर ग्रामीणों का मजमा लग गया गाॅव में चारों तरफ तरह-तरह की चर्चायें होने लगी।जिसकी भनक लगते ही पहुँचे अंग्रेजी हुकरानों ने समझा कि भारतीयों द्वारा उनके विरुद्ध कोई योजना बनायी जा रही है। ये देखकर अंग्रेजों ने ग्रामीणों के जिस्म पर एक और जुल्मो सितम की कहानी लिखनी चाही किन्तु जैसे ही अंग्रेजों ने सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों को खदेड़ना चाहा कुड़वा वीर बाबा की अद्भुत शक्ति से अंग्रेज और उनके घोड़े एक कदम भी आगे नही बढ़ा सके । विवश होकर उन्हे वापस लौटना पड़ा। उसके बाद अंग्रेजों ने पहाड़पुर गाॅव के अन्दर घुसने का लाख जतन किया किन्तु कुड़वा वीर शक्ति से वे मन्दिर से आगे का रास्ता नही पार कर सके। यही कारण था कि शिवगढ़ विरासत के पहाड़पुर गाॅव पर अंग्रेजों का जुल्मों सितम नही चल सका। धीरे धीरे कुडवा वीर बाबा के प्रति भक्तों की आस्था बढ़ने लगी। बाबा की मूर्ति के दर्शन के लिए गैर जनपद तक लोग आने लगे। बाद में कुडवा वीर बाबा के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालुओं द्वारा बाबा के प्रांगण में प्रत्येक वर्ष तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन किया जाने लगा तब से लेकर आज तक प्रति वर्ष अगहन मास के शुक्लपक्ष प्रतिपदा,द्वितीया, तृतीया एवं चतुर्थी को ऐतिहासिक मेले का आयोजन होता चला आ रहा है। आज भी श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जो भी भक्त बाबा के आश्रम से एक ईंट उठाकर अपने खेत में रख देता है उसके खेत में चूहे नही लगते। फसल कटने पर भक्तगण पुनः ईंट को उसी स्थान पर लेकर जाकर रख देते हैं और श्रद्धा पूर्वक ईंट के बराबर प्रसाद बांट देते हैं।

श्री कुड़वा वीर बाबा की शक्ति का लोहा मानकर,अंग्रेज भी झुकाने लगे थे सिर

समूचे भारत को पडतन्त्रता की भेड़ियों में जकड़ने वाले अंग्रेज भी कुड़वा वीर बाबा की दिव्य शक्ति देखकर बाबा के आगे सर झुकाने लगे थे।

रायबरेली से न्यूज प्लस संवाददाता अंगद राही की रिपोर्ट

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