2-जी मामले में सरकार के सामने खड़ी हुई कांग्रेस

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न्यूज़ प्लस संवाददाता

नई दिल्ली 2-जी मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा और सांसद कनिमोझी समेत 25 आरोपियों को बरी कर दिया है। सरकार के मंत्रियों और बाकी लोगों पर 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप था। सभी आरोपियों के बरी होने की खबर मिलते ही विपक्ष ने बीजेपी पर हमला बोल दिया। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी पर पलटवार किया।

क्या बोले कांग्रेसी दिग्गज

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साफ कहा-यूपीए सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया गया था। हम पर खराब नीयत से आरोप लगाए गए थे।हम खुश है कि कोर्ट ने ये फैसला सुनाया, ये फैसला ही सभी आरोपों का जवाब है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि ये आज साबित हो गया है कि यूपीए में कोई घोटाला नहीं हुआ है।

संसद में भी माहौल रहा गर्म

यही नहीं संसद के अंदर भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और बीजेपी शर्म करो के नारे लगाए। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि जिसके चलते हम चुनाव हारे वो हुआ ही नहीं। जोरदार हंगामे के बाद राज्यसभा को 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया था।

कपिल सिब्बल ने भी ली चुटकी

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी इस फैसले के बाद चुटकी लेते हुए कहा कि बीजेपी पिछले कई सालों से इस मुद्दे पर यूपीए सरकार को घेरती रही है। इस फैसले के बाद बीजेपी को माफी मांगनी चाहिए। आज ये साबित हो गया है कि कोई घोटाला नहीं हुआ था। मैंने दस्तावेज देखे थे उसमें कोई घोटाला नहीं था। मुझपर भी गलत आरोप लगाए गए थे। स्कैम-स्कैम बोलकर बीजेपी सत्ता में आई। सिब्बल ने कहा कि बीजेपी और पीएम मोदी ने इस मुद्दे को लेकर गलत माहौल बनाया और अब उन्हें इस मुद्दे पर बात करनी बंद कर देनी चाहिए।

मुख्य आरोपी कनिमोझी ने भी दिया बयान

इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी और डीएमके की सांसद कनिमोझी ने कहा, “हम सब खुश हैं, हमें न्याय मिला हे, ये डीएमके और मेरे परिवार के लिए बड़ा दिन है।”

क्या था 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला

ये घोटाला पहली बार साल 2010 में सामने आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक यानी सीएजी ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए टेलीकॉम स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए। इस आवंटन में टेलीकॉम कंपनियों को नीलामी की बजाय ‘पहले आओ और पहले पाओ’ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे।सीएजी का दावा था कि नियमों की अनदेखी कर हुए इस आवंटन की वजह से सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ था। इस रिपोर्ट ने तत्कालीन यूपीए सरकार और पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। सीएजी की रिपोर्ट में दिए गए 1.76 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पर विवाद भी खूब हुआ लेकिन तब तक ये घोटाला राजनीतिक विवाद की शक्ल ले चुका था और सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर कर दी गई थी। इसके बाद फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

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