पीड़ित पर ही मुकदमा लिख कर किरकिरी करा रहे शहर कोतवाल

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रायबरेली शनिवार देर शाम प्राप्त जानकारी के अनुसार रायबरेली सदर कोतवाली के अंतर्गत डिग्री कालेज चौराहे पर अपनी मासूम बेटी के साथ जा रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही की गाड़ी ट्रैफिक के चलते वकील की गाड़ी से हल्की से टकरा गई, जिसके चलते वकील ने पहले सिपाही को रोका और धमकाना शुरू कर दिया और । इतने में वकील के दूसरे साथी ने अपने सहकर्मी वकीलों को मौके पर बुला लिया और भीड़भाड़ वाले इलाके में जम कर उत्पात मचाया। जिसका विरोध सिपाही और उसकी बेटी द्वारा किया गया तो गुस्साए वकीलों ने पहले तो सिपाही की गाड़ी तोड़ी और फिर वर्दीधारी सिपाही को जमकर मारा-पीटा, वर्दी फाड़ डाली, और जान से मारने की धमकी देने लगे। प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो वकीलों का तांडव देख किसी ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी और मौके पर पहुँची पुलिस दोनों पक्षो को लेकर थाने आ गई।

कोतवाली में भी काला कोट भारी रहा खाखी पर

थाने पहुचते ही वकीलों की भीड़ ने सदर कोतवाल पर अपना मेडिकल करवा कर मुकदमा दर्ज करवाने का दबाव बनाया। पहले से दबाव में काम करने के आदी सदर कोतवाल ने पहले तो वकीलों को खुश करने के लिए सिपाही को उसकी मासूम बच्ची के सामने जमकर लताड़ा, अभद्र भाषा का प्रयोग किया और अपराधियों की तरह बैठा दिया। और बिना पूरे तथ्य जाने तत्काल प्रभाव से सिपाही पर मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। मासूम बच्ची लगतार चीखती रही कि मेरे पापा को बचा लो इन लोगो ने बहुत मारा है लेकिन पहले सरेआम फिर अपनो के बीच हुई बेइज्जती से सहमे सिपाही ने वहां चुप रहना ही उचित समझा।

पीड़ित पर मुकदमा लिखने से शुरू हुई किरकिरी

कोतवाल सदर की इस हरकत से पुलिस की छवि को लेकर चर्चाएं जैसे ही शहर में फैली उल्टे लोग पुलिस को ही पुलिस का दुश्मन कहने लगे। मामले का संज्ञान लेेेकर सीओ सिटी ने सिपाही की तरफ से तहरीर लेकर मुकदमा लिखने का आश्वासन दिया। फिलहाल खबर लिखे जाने तक फटी वर्दी पहने वर्दी वालो से ही न्याय की आस में सिपाही कोतवाली में ही बैठा था।

कैसे बनेगा भयमुक्त माहौल

फिलहाल अगर इस तरह के मामलों में कड़ाई से निपटा नही गया तो देश और प्रदेश की सरकारे भयमुक्त वातावरण बनाने के जो सपने देख रही है वो यूं ही चूर चूर होते रहेंगे। सरे आम पिट रही खाखी का कोई कैसे खुद को सुरक्षित महसूस कर पायेगा । आखिर बेटी के सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई लड़ने वाली सरकारें एक मासूम बेटी के सामने पिटते पिता को न्याय देने में अक्षम कैसे हो जाती हैं ये एक बड़ा सवाल है।

 

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