पत्रकारिता के गिरते अस्तित्व पर कलम के सिपाही ने व्यक्त किया चिंतन

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 एस.पी तिवारी          News Plus 

हिंदुस्तान विश्व प्रेस दिवस मना रहा है।लेकिन बदलते समय मे पत्रकारिता का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है।आज पत्रकारिता ने व्यवसाय का रूप धारण कर लिया है।पत्रकारों को जन्म दिया जा रहा है।जो लेखनी का सही ढंग से इस्तेमाल नही कर पाते है उनको बड़े बड़े बैनर का अखबार थमा दिया गया है।फर्जी पत्रकारों के संगठन बना कर पत्रकारों की एकता को विखण्डित किया जा रहा है।आज की पत्रकारिता में बड़े बैनर के अखबारों द्वारा बड़े पैमाने पर खबरों से समझौता किया जा रहा है।आज बड़े बैनर वाले हो या छोटे बैनर वाले सिर्फ अखबार विज्ञापनों से ही पटा रहता है।अब देखा जाए तो पत्रकारिता की स्वतंत्रता भी धीरे धीरे खबरों के प्रति कम होती जा रही है सिर्फ विज्ञापनों का ही व्यवसाय ही बढ़ता जा रहा है।सरकारों को पत्रकारिता के बारे मे भी जवाबदेही के साथ कड़े से कड़े नियम कानून बनाये जाने की आवश्यकता है जिससे निष्पक्ष पत्रकारिता का पुनः जन्म हो सके और पत्रकारिता की फौज जो बढ़ती जा रही है पर भी रोक लग सके। इसके साथ ही सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने चाहिए। आए दिन पत्रकारों पर  हो रहे हमले स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। एक सच्चा पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाज की बुराइयों को उजागर करके समाज को आईना दिखाने का काम करता है। विडंबना है की जो आज स्वयं में सुरक्षित नहीं है।

 लखीमपुर-खीरी से न्यूज प्लस ब्यूरो एस.पी.तिवारी की रिपोर्ट 

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