आश्रम पद्धति विद्यालयों में छात्रो को मिल रहा बेकार खाना

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रायबरेली

गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण इलाको में रहने वाले बालको को अच्छी शिक्षा देने के लिए सरकार ने आश्रम पद्धति विद्यालयो की योजना बनाई और इस योजना को संचालित करने के लिए करोडो का बजट भी जारी किया जाता है जिससे इन छात्रों को मुफ्त व् अच्छी शिक्षा मिल सके लेकिन लोगो को इसकी जिम्मेदारी दी गई उन्होंने सरकार की मंशा को मटियामेट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी/

दरअसल जिले में आश्रम पद्धति से तीन विद्यालय संचालित हो रहे है इन में सैकड़ो छात्र रहते है और शिक्षित हो रहे है लेकिन इन विद्यालयों में मौजूद कर्मचारी व ठेकेदार मिलीभगत से बच्चो को सही खाना नहीं मिल पा रहा है/ऐसे ही एक विद्यालय में जब बच्चो को मिलने वाली सुविधाओ  पर देखा गया तो हालात  बद  से बदतर देखने को मिले/ छात्रों को मिलने वाली रोटियां खुली पड़ी थी, दाल में दाल काम पानी ही पानी व् चावल ऐसा की कोई भी खाये तो बीमार हो जाए/ बच्चो का भी  रोज इसी तरह दाल चावल रोटी व् सब्जी दी जाती है /नाश्ते के नाम पर चाय मिलती है/मौके पर देखा गया की जिस किचन में खाना बनता है वही पर कर्मचारी अपने कपडे धूल रहे है/

इस पूरे प्रकरण पर जब कृष्ण कुमार सिंह समाज कल्याण अधिकारी  से बात की गई तो उन्होंने बताया की अभी पिछले सप्ताह मैंने निरिक्षण किया था और खुद भी वहां खाना खाया भी था सारी व्यवस्थएं बेहतर थी और खाने की क्वालिटी भी बेहतर थी लेकिन फिर भी यदि कोई कमी है तो उसको दिखवाया जाएगा और सुधारने की कोशिश की जाएगी |

अब साहब को कौन बताये की उनके निरिक्षण में चीजों को सही कर दिया जाता है लेकिन किसी दिन अचानक वो विद्यालय  पर पहुंचे तो सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

 

रायबरेली से न्यूज प्लस के लिए सौरभ शुक्ल की रिपोर्ट

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